पंकज चतुर्वेदी
कल रात जिस तरह दिल्ली एनसीआर , खासकर उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद, नोयडा में आतिशबाजी हुई और रात नो बजे ही सडक पर इतना फोग पसर गया कि सडको पर वाहन चलने वालों को फोग लाइट जलानी पढ़ीं, जिस तरह आज सुबह से बहुत से लोगो का सर भारी होना , आँखों में जलन और कई लोगों के ब्लड प्रेशर की दिक्कतें आ रही हैं . यह असल में महज प्रशसनिक लापरवाही या नाफरमानी नहीं हैं , यह आम लोगो की थोड़ी बहुत उम्मीद के दीप सुप्रीम कोर्ट के इकबाल को नष्ट करने का माध्यम है. भारत में संस्थाएं और उनका निष्पक्ष रवैया ही लोकतंत्र को ज़िंदा रखे है वरना कुछ राजनेता तो बेशर्मी से सेना के जवानों को संबोधित करते हुए भी पिछली सरकार को कोसने जैसे भाषण दे कर हर संस्था को बर्बाद करने में कसर नहीं छोड़े हैं .
प्रतिबधों के बाजवूद दीवाली की पूरी रात जमकर पटाखे फोड़े गए, जिसका असर शुक्रवार सुबह से दिखाई दे रहा है. राजधानी दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के शहरों में भी सुबह से ही दमघोंटू धुंध (स्माग) छाई हुई है, जिसके चलते जहरीली हवा अपना असर दिखा रही है. आलम यह है कि स्माग के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है. दिल्ली-एनसीआर के कुछ इलाकों में विजिबिलिटी 50 मीटर तक है. स्थिति यह है कि इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन की इमारतें प्रदूषण के धुएं में नजर नहीं आ रही हैं. उधर, प्रदूषण की निगरानी करने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था सफर (SAFAR- इंडिया सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च) के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बहुत खराब स्तर में पहुंच गया है.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) जो शाम चार बजे 382 था, वह रात आठ बजे तक बढ़कर 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया क्योंकि कम तापमान और हवा की गति मंद रहने के कारण प्रदूषक तत्वों का बिखराव नहीं हो सका.
धड़ल्ले से पटाखे जलाने के चलते रात नौ बजे के बाद दिल्ली के पड़ोसी शहरों फरीदाबाद में एक्यूआई 424, गाजियाबाद में 442, गुरुग्राम में 423 और नोएडा में 431 दर्ज किया गया, जोकि 'गंभीर' श्रेणी में आता है.
राष्ट्रीय राजधानी में एक जनवरी 2022 तक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद दक्षिण दिल्ली के लाजपत नगर, उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी, पश्चिमी दिल्ली के पश्चिम विहार और पूर्वी दिल्ली के शाहदरा में शाम सात बजे से पटाखे जलाए जाने के मामले सामने आए. वहीं, गुरुग्राम और फरीदाबाद में उच्च-तीव्रता के पटाखे जलाये गए. हरियाणा सरकार ने भी दिल्ली से सटे क्षेत्रों समेत 14 जिलों में पटाखे की बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था.
एक तो जान लें कि दीपावली पर आतिशबाजी धर्म नहीं ,ए क कुरीति है दूसरा सुप्रीम कोर्ट के जो भी आदेश थे वह आम लोगों को बेहतर जिंदगी dएने के लिए ही थे -- हाल ही में कोविड की दूसरी लहर से स्वस्थ हुए लोगों के फेंफडे अभी भी इतने कमजोर हैं कि थोड़ा सा वायु प्रदुषण उनके जीवन को खतरे में डाल सकता है -- दिल्ली एनसीआर के कोई साढ़े तीन करोड़ बच्चे और बूर्गों के लिए तो यह धुआं व् धमाके जीवन की सांसों को कम करने के कारक हैं ,
पाबन्दी के बावजूद आतिशबाजी के धमाके गवाही हैं कि पुलिस ने खुद पटाखें बिकवाये हैं और तभी दीपावली की शाम से गाज़ियाबाद में तो एक भी पुलिसवाला सडक पर दिखा नहीं ---
सिविल सोसायटी को यह मसला सुप्रीम कोर्ट में ले जाना चाहिए कि जिस तरह पाबन्दी वाले इलाकों में प्रतिबंधित आतिशबाजी , निश्चित समय के बाद भी चलती रहीं, उसके लिए जिले के कलेक्टर, एसपी से ले कर थानेदार तक को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर जांच की जाए - वरना यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रति कोताही की शुरुआत लोकतंत्र की बची खुंची ईंटों को भी अर्रा कर ढहा देगी
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