आलोक कुमार
पटना.बिहार में लोक आस्था और पवित्रता का चार दिवसीय महापर्व छठ को तैयारी दशहरा के बाद से ही शुरू हो जाती है. घाटों की साफ-सफाई से लेकर मिट्टी के चूल्हे और दउरा बनाने तक के काम में लोग कई दिनों पहले से जुट जाते हैं.बिहार में छठ हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन मनाया जाता है. इसकी शुरुआत चतुर्थी तिथि से ही हो जाती है और सप्तमी तिथि के सुबह तक चलती है.
इस बार छठ पूजा 28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार से शुरु होकर 31 अक्टूबर 2022, सोमवार को समाप्त होगी. छठ व्रत, सुहाग, संतान, सुख-सौभाग्य और सुखमय जीवन की कामना के लिए किया जाता है. इस पर्व में तैयार की जाने वाली हर चिजों में शुद्धता का खास ख्याल रखा जाता है. आइए जानते हैं इस साल कब शुरु हो रहा छठ पर्व और क्या है नहाय खाय से लेकर सूर्योदय तक का शुभ मुहूर्त?
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो चुकी है. इस दिन व्रती सुबह तैयार होते हैं और घाट पर जाकर नदी में डुबकी लगाते हैं. जिसके बाद भोजन बनाया जाता है. आज के दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद छठव्रती ग्रहण करते हैं.इस दिन व्रती घर में पवित्रता के साथ बनाएं गए सात्विक भोजन को ही ग्रहण करती हैं.
छठ महापर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस बार खरना 29 अक्टूबर को पड़ रहा है. इस दिन सूर्यास्त के बाद गुड़, दूध वाली खीर और रोटी बनाई जाती है. खरना के दिन महिलाएं इसे सूर्य देव को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं. खरना के प्रसाद के बाद से महिलाओं का निर्जला उपहास 36 घंटे के लिए शुरू हो जाता है. छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन छठी मईया की पूजा की जाती है. व्रती अपने घर में सुबह से ही घाट जाने की तैयारी में जुट जाते हैं. घर के सभी लोग पवित्रता के साथ पूजा की तैयारी में जुट जाते हैं, और शाम से पहले सिर पर प्रसाद का दउरा लेकर घर के पुरूष और महिलाएं घाट पहुंचती हैं, जहां डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस पूरी प्रकिया में शुद्धता का खास ख्याल रखा जाता है.
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी यानी छठ पूजा के चोथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. घर के सदस्य भोर से ही व्रती के साथ घाट पहुंच जाते हैं, जहां व्रती पानी में खड़े होकर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए हाथ जल लेकर खड़े होते हैं, सूर्य की किरणों को देखते ही पूजा की विधी शुरू हो जाती है. इस बार सप्तमी तिथि 31 अक्टूबर को है. इस दिन उगते सूर्य के अर्घ्य देते हुए व्रत का समापन किया जाता है. व्रती छठ का प्रसाद ग्रहण कर व्रत को खत्म करते हैं.
इस बीच कुमार रवि, आयुक्त पटना प्रमंडल द्वारा डॉ चंद्रशेखर सिंह,ज़िलाधिकारी पटना, मानवजीत सिंह ढिल्लो,
वरीय पुलिस अधीक्षक एवं नगरायुक्त पटना के साथ छठ पर्व के लिए प्रतिनियुक्त दंडाधिकारियों, पुलिस पदाधिकारियों एवं छठ पूजा समितियों की ब्रीफ़िंग की गयी.सभी को मुस्तैदी से कर्तव्य निर्वहन के लिए निदेशित किया गया.
दीघा में स्थित फेयर फील्ड कॉलोनी के रहवासी डेरिक लौरेंस नामक एक रोमन कैथोलिक ने महापर्व छठ के ऊपर परांपरिक गीत 'कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाय
बहंगी लचकत जाय
होई ना बलम जी कहरिया,
बहंगी घाटे पहुंचाय' गाए है.जिसे लोक पसंद कर रहे हैं.
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