देवभूमि में समाजवादी शंखनाद

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देवभूमि में समाजवादी शंखनाद



 समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री  राजेन्द्र चौधरी की पांच दिवसीय उत्तराखण्ड यात्रा (10 सितम्बर से 14 सितम्बर 2023) कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण रही. एक ओर जहां उन्होंने धार्मिक-ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया वहीं उन्होंने उत्तराखण्ड  प्रदेश के राजनैतिक तथा सामाजिक मुद्दों पर भी अधिकारी, विद्वानों से चर्चा की. श्री चौधरी ने उत्तराखण्ड के विभिन्न धार्मिक स्थलों पर पूजा अर्चना की. समाजवादी पार्टी के तमाम नेता भी उनसे मिलने पहुंचे और उत्तराखण्ड की समस्याओं के बारे में भी गहन विचार विमर्श हुआ.

    उत्तराखण्ड देवभूमि के रूप में पूजनीय है. प्राकृतिक सौंदर्य के साथ यह धरती अलौकिक सांस्कृतिक स्थलों को भी संजोए हुए है. उत्तराखण्ड देश की सुरक्षा के प्रहरी की भूमिका निभाता है. सेना में यहां के नौजवान अपने को समर्पित करते रहे हैं. वहीं यह प्रदेश धार्मिक सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी विख्यात है. वर्ष प्रतिवर्ष लाखों लोगों को उत्तराखण्ड आमंत्रित करता है. बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के प्रति आस्था अतुलनीय है तो भागीरथी के किनारे घाटों पर आस्था की डुबकी लगाने देश-विदेश तक से लोग आते हैं.

    उत्तराखण्ड में आदि शंकराचार्य ने बद्री-केदार मंदिरों की स्थापना के साथ बद्री धाम में धार्मिक पीठ की स्थापना की थी. उत्तराखण्ड में स्वामी विवेकानंद, रवीन्द्रनाथ टैगोर, मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, कैंचीधाम में बाबा नीम करौरी का आश्रम, नानकमत्ता जैसा पवित्र स्थल हैं जहां गुरु नानक देव ने तपस्या की थी. यहां नीलकंठ, हेमकुंड साहब की भी बहुत मान्यता है. गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ चार धाम उत्तराखण्ड देवभूमि के आध्यात्मिक शक्ति केन्द्र है. नैनीताल के रामगढ़ में महादेवी वर्मा सृजन पीठ और वरिष्ठ पत्रकार श्री अंबरीष कुमार का राइटर्स कॉटेज है जहां अक्सर लेखकों, विचारकों की गोष्ठियां होती रहती हैं.

    रामगढ़ पहुंचने पर पहले दिन ही राइटर्स काटेज में बैठक हुई. वर्धा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रिटायर्ड आईपीएस और लेखनी के धनी श्री विभूति नारायण राय से आज के सामाजिक परिदृश्य पर श्री राजेन्द्र चौधरी के साथ विचार विमर्श का जो क्रम शुरू हुआ तो उसमें अन्य सामयिक विषयों पर भी चर्चा होना स्वाभाविक था. अंबरीष जी ने बढ़िया चाय पानी की व्यवस्था की थी. श्री राय ने राजेन्द्र चौधरी को अपनी नई पुस्तक ‘रणभूमि में भाषा‘ भेंट की.

    54 वर्ष पूर्व 1969 में डॉ0 राममनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के युवा संगठन समाजवादी युवजन सभा के नैनीताल के शिविर में उत्तर प्रदेश के संयुक्त राज्यमंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी शामिल थे, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद श्री किशन पटनायक थे.

    महादेवी वर्मा की सृजनपीठ रामगढ़ में 5 जून 2014 को सभागार में हरित स्वराज के संयोजक श्री अम्बरीश कुमार द्वारा आयोजित ‘पर्यावरण दिवस‘ पर विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर तत्कालीन कैबिनेट मंत्री (कारागार एवं खाद्य विभाग) श्री राजेन्द्र चौधरी ने हिस्सा लिया था जिसमें नैनीताल से पहाड़ पब्लिकेशन के सम्पादक एवं पर्यावरणविद प्रो0 शेखर पाठक, साहित्यकार लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही जी, सामाजिक कार्यकर्ता शमशेर सिंह बिष्ट आदि वार्ता में शामिल रहे.

    रामगढ़ में महादेवी सृजनपीठ का ऐतिहासिक-साहित्यिक महत्व है. महादेवी वर्मा जी हिन्दी साहित्य की प्रख्यात कवियित्री रही हैं. उन्होंने साहित्यकारों को लेखन का माहौल देने के लिए सन् 1936 में इस स्थान का चयन किया था. इस पीठ में कभी निराला जी, सुमित्रानंदन पंत, इलाचंद जोशी, धर्मवीर भारती और अज्ञेय जी भी रूके थे. कथाशिल्पी शैलेश मटियानी के नाम पर यहां पुस्तकालय है.

   राजेन्द्र चौधरी से मिलने गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता श्री भुवन पाठक अल्मोड़ा कौसानी से चलकर आए थे. वे अपने साथ गांधी साहित्य भी लाए थे जो उन्होंने भेंट किया. श्री पाठक उत्तराखण्ड में गांधी विचारधारा के प्रचार प्रसार के साथ पर्यावरण संरक्षण पर काम करते हैं. श्री भुवन पाठक कौसानी के गांधी जी के अनासक्ति आश्रम से जुड़े हैं. श्री राजेन्द्र चौधरी जब यू.पी. एग्रो के चेयरमैन थे तब 1991 में कौसानी अनासक्ति आश्रम गए थे. कौसानी में महात्मा गांधी जी 1929 में आये, और एक पखवाड़ा प्रवास के दौरान ‘अनासक्ति योग‘ पुस्तक की भूमिका उन्होंने यहीं पर लिखी थी.

    उत्तराखण्ड में आएं तो कैची धाम में बाबा नीम करौली जी महाराज के स्थल पर जाए बिना मन नहीं मानता. यह कैंची धाम अपनी भव्यता और दिव्य अनुभूतियों के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता है यहां पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी ने बाबा नीम करौली जी महाराज को मंदिर स्थापना के लिए वन विभाग की भूमि दिलाने में अपनी भूमिका निभायी थी तब बाबा जी ने चौधरी साहब को प्रधानमंत्री होने का आशीर्वाद दिया था. बाबा जी को हनुमान जी का अंश माना जाता है. यहां उनकी कई चमत्कारिक घटनाओं की चर्चा होती है. यहां सिद्धि मां का भी कक्ष है जो बाबा जी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बनी थी.

    इसी प्रसंग में उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध मुक्तेश्वर शिव मंदिर में पूजा के दौरान राजेन्द्र चौधरी को आशीर्वाद मिला. मंदिर की चढ़ाई कठिन है पर भक्त बड़ी संख्या में यहां आते हैं. कहा जाता है कि पांडवों ने स्वर्ग जाते हुए यहां भगवान शंकर जी की पूजा की थी. मंदिर परिसर में ही एक प्राथमिक विद्यालय तथा आंगनबाड़ी केन्द्र है जहां नन्हें मुन्ने बच्चों के साथ वहां की शिक्षिकाओं श्रीमती दीपा कर्नाटक तथा रश्मि आर्या ने राजेन्द्र चौधरी का स्वागत किया.

धार्मिक सांस्कृतिक दृश्टि से उत्तराखण्ड में नानकमत्ता गुरुद्वारे की यात्रा महत्वपूर्ण रही. यहां पांच सौ वर्ष पूर्व कभी गुरूनानक देव महाराज जी आकर रूक थे. एक विशाल पीपल का पेड़ आज भी यहां श्रद्धा का केन्द्र बना है जिसकी छाया में गुरू जी ने विश्राम किया था.

    सरदार कुलदीप सिंह भुल्लर, देवेन्द्र सिंह, गुरुवंत सिंह, हरभजन सिंह, सुखवंत सिंह, अमर सिंह, प्रकाश सिंह, तिलविन्द्र सिंह आदि ने नानकमत्ता में श्री चौधरी को सरोपा भेंट किया और वहां के प्रमुख ने अलग से उनसे भेंट की.

 राजेन्द्र चौधरी से सम्बन्धित एक उल्लेख यहां जरूरी है. व्यक्तिगत रूप से वे अपने पुराने सम्बंध निभाने में जरा भी संकोच नहीं करते हैं. वर्षों पहले जब वे उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे तब रामगढ़ आए थे तो स्थानीय भट्ट जी के ढाबा में भोजन करने जाते थे. यह भोजनालय 1935 से स्थापित है. उनकी आलू की सब्जी उन्हें खास पंसद थी. इस बार जब गए तो भट्ट जी से मिलना नहीं भूलें. श्री वी.एन. भट्ट जी भी गदगद थे. बड़े प्रेम से उन्होंने खाना खिलाया.

    नैनीताल में एक स्टोर के मालिक को याद था कि जब राजेन्द्र चौधरी जेलमंत्री थे तब आए थे. उसने बड़े उत्साह से स्वागत किया. नैनीताल की प्रसिद्ध झील के किनारे उस स्थान पर भी राजेन्द्र चौधरी गये जहां से 1969 में समाजवादी युवजन सभा के शिविर के अवसर पर श्री राज नारायण ने सम्बोधित किया था.

    काठगोदाम के सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि उत्तराखण्ड में जहां 23 वर्ष में दूरदराज किसी भी गांव की गली में खड़ंजा तक पक्का नहीं हो सका वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार में श्री अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में मात्र 23 महीने में ही 325 कि.मी. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे बना दिया था.

 राजेन्द्र चौधरी ने समाजवादी पार्टी के साथियों का मनोबल बढ़ाते हुए सन 2024 के लोकसभा चुनाव में मजबूती से लड़ने के लिए बल देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड के विकास के लिए श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल की उपलब्धियों को रोल माडल बनाया जाना चाहिए.

    प्रेस कांफ्रेंस में समाजवादी पार्टी उत्तराखण्ड राज्य प्रभारी अब्दुल मतीन सिद्दीकी, उपाध्यक्ष सुरेश परिहार एडवोकेट, कोषाध्यक्ष एस.के. राय, अरविन्द यादव राष्ट्रीय महासचिव मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड, बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भगवती प्रसाद त्रिकोटी, संजय सिंह (मुख्य प्रवक्ता), समाजवादी नेता कुलदीप सिंह भुल्लर, यश भारती सम्मानित मधुकर त्रिवेदी, मणेन्द्र मिश्र, देवेन्द्र सिंह जीतू पार्षद उपस्थित रहे.

उत्तराखण्ड की इस यात्रा में श्री राजेन्द्र चौधरी ने जहां पुरातन का अभिनंदन किया वहीं नई धाराओं से भी तालमेल बनाया. पुराने सम्पर्कों को नया करने के साथ नए आए नौजवानों की टोली से भी सीधे सम्बंध बनाए. पांच दिन की यात्रा में वे कभी रुके नहीं, थके नहीं और हर जगह श्री अखिलेश यादव के लिए समर्थन और सहयोग जुटाते रहे. उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखण्ड में भी समाजवादी पार्टी की अपनी वैचारिक पहचान बन गई है.

    रामगढ़ मुक्तेश्वर के बीच सतबुंगा छिपा के एक रिसॉर्ट THE VANYA द वान्या में जहां रूके थे वहां से सुबह हिमालय की पहाड़ियों का मनमोहक दृश्य दिखाई पड़ता है. दूसरा रूकने का स्थान था काठगोदाम का सर्किट हाउस जिसका शिलान्यास  उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी ने किया था. साफ-सफाई के साथ पेड़ पौधों की हरियाली आकर्षित करती है. यहां दो दिन के प्रवास में हर रोज समाजवादी नेताओं की भीड़ रही.

           (राजेन्द्र चौधरी, पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं राष्ट्रीय सचिव समाजवादी पार्टी)

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