आलोक कुमार
पटना.भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता, आईपीएफ के संस्थापक महासचिव व पीयूसीएल की बिहार राज्य कार्यकारिणी के सदस्य कामरेड राजाराम की स्मृति में आज जगजीवन संस्थान में आयोजित संकल्प सभा में महागठबंधन के सभी घटक दलों के प्रतिनिधियों सहित नागरिक आंदोलनों की प्रमुख हस्तियों और आईपीएफ के जमाने में राजाराम जी के कई सहयोगियों ने भागीदारी की और उनके संघर्षों को याद करते हुए फासीवाद की मुकम्मल हार सुनिश्चित करने का संकल्प लिया.
सभा में मुख्य रूप से भाकपा-माले महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य, 74 आंदोलन में उनके जेल के साथी व राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी, राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दकी, बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, जदयू के संतोष कुशवाहा, सीपीएम के सर्वोदय शर्मा, सीपीआई के प्रमोद प्रभाकर, पीयूसीएल के किशोरी दास व सरफराज, छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी के नेता रहे सत्यनारायण मदन, आईपीएफ के जमाने के उनके सहयोगी पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद व राजेन्द्र पटेल, प्रो. भारती एस कुमार, प्रो. संतोष कुमार, रूपेश कुमार, भाकपा-माले के नंदकिशोर सिंह आदि वक्ताओं ने श्रद्धांजलि सभा में अपनी बातें कही. सभा की अध्यक्षता एआइपीएफ के केडी यादव ने की जबकि संचालन संयोजक कमलेश शर्मा ने की.
मौके पर कामरेड दीपंकर ने कहा कि कामरेड राजाराम हमारी पार्टी में एक बड़ी भूमिका निभाते थे और विभिन्न जनांदोलनों के बीच एक ब्रीज का काम करते थे. अब यह काम हमें करना है. हम सबको राजाराम बनकर दिखाना है, क्योंकि आज देश एक अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहा है और ऐसे समय में उनकी जरूरत सबसे अधिक थी. उन्होंने कहा कि हर दिन भाजपा की नई साजिशों का पर्दाफाश हो रहा है. चुनाव आयोग के गठन में सुप्रीम कोर्ट के किसी प्रतिनिधि की जगह सरकार के ही कैबिनेट के किसी मंत्री को शामिल करने वाला बिल चुनाव आयोग को जेबी संगठन बनाने वाला कदम है. 2019 का चुनाव भाजपाइयों ने पुलवामा व बालाकोट के नाम पर जीता था, इस बार वे पूरे देश में एक बड़े उन्माद-उत्पात के अभियान में लगे हुए हैं. लव जिहाद, धर्मान्तरण व सनातन को मुद्दा बनाकर 30 सितंबर से किसी शौर्य जागरण यात्रा की चर्चा हो रही है. इसलिए हम इंडिया गठबंधन के लोगों को भी भाजपा के खिलाफ प्रतिरोधी वैचारिक विमर्श को आगे बढ़ाते हुए रोजगार, महंगाई और जन सवालों पर आंदोलनों का तांता लगा देना चाहिए. 2024 के चुनाव को हमें एक बड़े जनांदोलन के रूप में ही देखना होगा.
राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि का. राजाराम जी से उनका 74 से संबंध रहा है, जब वे उनके साथ फुलवारी जेल में बंद थे. उस समय देश एक आपातकाल को झेल रहा था, लेकिन संविधान बदल देने या देश को हिंदु राष्ट्र में बदल देने का उन्माद नहीं था. आज परिस्थिति गुणात्मक रूप से भिन्न है. ऐसे दौर में भाजपा विरोधी सभी राजनीतिक धाराओं को एकताबद्ध होकर आगे बढ़ना होगा. सीपीएम के सर्वोदय शर्मा ने का. राजाराम को एक आदर्श कम्युनिस्ट बताते हुए कठिन परिस्थितियों में भी बड़े धैर्य के साथ आगे बढ़ते रहने के उनकी विशिष्टता को अनुकरणीय बतलाया.
अब्दुल बारी सिद्दकी ने कहा कि उनके संघर्षों से संकल्प लेने का समय है. का. राजाराम वैचारिक रूप से काफी स्पष्ट थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक बदलाव को समर्पित कर दिया. उदय नारायण चौधरी ने कहा कि का. राजाराम संघर्ष के प्रतीक हैं. उनमें अद्भुत क्षमता थी. वे अपनी सहजता से लोगों का दिल जीत लेते थे. आज के दौर में उनका हमसे अचानक चले जाना बेहद नुकसानदेह है.
उनके साथ लंबे समय से काम कर रहे किशोर दासी, राजेन्द्र पटेल, रामेश्वर प्रसाद व केडी यादव ने उनकी जिंदगी के विभिन्न पहलूओं की चर्चा की और उनके कार्य करने की शैली को अपनाने पर जोर दिया.श्रद्धांजलि सभा में माले राज्य सचिव कुणाल, स्वदेश भट्टाचार्य, कार्तिक पाल, राजाराम सिंह, धीरेन्द्र झा, शशि यादव सहित बड़ी संख्या में पटना के राजनीतिक-सामाजिक व सांस्कृतिक जगत के लोग उपस्थित थे.जसम के कलाकारों अनिल अंशुमन, प्रमोद यादव व पुनीत कुमार ने शहीद गीत के साथ का. राजाराम को श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम की सफलता में एआइपीएफ के संतोष आर्या, पीएस महाराज, विश्वनाथ चौधरी, लखन चौधरी, गालिब, संजय कुमार आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
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