अडयार आनंद भवन का काजू पकौड़ा !

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अडयार आनंद भवन का काजू पकौड़ा !

संजय श्रीवास्तव 

पहला पड़ाव बेंगलुरु. फिर मैसूर और फिर कुर्ग ..और अब एक दो दिनों में वापसी. उत्तर भारत के मुकाबले तीनों जगहों पर सुहाना मौसम. रोजाना हल्की फुल्की बारिश. कोई उमस और चिपचिपाहट नहीं. यात्रा में कुछ ऐसी चीजों का स्वाद लिया, जिसका जिक्र होना चाहिए. कर्नाटक में ऐसे तमाम उडुपी रेस्तरां हैं, जहां सुबह से लेकर शाम तक क्वालिटी वाले साउथ इंडियन खाने इडली, वड़ा, डोसा, उत्पम आदि बहुत सस्ते में मिल जाते हैं. ये बात मैने बेंगुलुरु, मैसूर और कुर्ग तीनों जगहों पर देखी. अच्छी क्वालिटी का इडली, डोसा और वड़ा 30-50 रुपए तक मिल जाता है. 100 रुपए से कम में चाय या काफी के साथ यहां भरपूर नाश्ता कर सकते हैं. स्वाद भी अच्छा. 

मैसूर में दो व्यंजन ऐसे मिले, जो अनूठे थे. पहला है काजू पकौड़ा. मैसूर में रेलवे स्टेशन के ठीक बगल में एक बड़ा रेस्तरां है. अडयार आनंद भवन. वैसे तो यहां बहुत कुछ खाने को मिल जाता है. लेकिन काजू पकौड़ा ज्यादा कौतुहल जगाने वाला था. क्रिस्पी, क्रंची और बेहतरीन स्वाद वाला. कई दिनों तक दिनों तक पैकेट में कुरकुरा रह सकता है. साउथ में रेस्टोरेंट चैन चलाने वाले अडयार आनंद भवन का ये काफी पसंद किया जाने वाला स्नैक है. स्वादिष्ट इस कदर कि एक पकौड़े को मुंह में डाला तो फिर हाथ नहीं रुकने वाला. काजू तो खैर इसमें अपना क्रिस्पी स्वाद देता ही है. मुख्य तौर पर इसमें काजू के साथ बारीक कटे प्याज और पुदीने की पत्तियों के साथ मसालों का इस्तेमाल होता है. आप चाहें तो इसमें पुदीना पत्तियों की जगह कढ़ी पत्ता भी मिला सकते हैं. बेसन के साथ बारीक कटी प्याज और भुने काजू, पिसा धनिया पाउडर, पिसी काली मिर्च और मिर्च पाउडर को साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं. अब ये पेस्ट तलने के लिए तैयार है. इसे पकौड़ों के आकार में तेल के कड़ाही में डीप फ्राई करिए. मैसूर और आसपास का मौसम भी ऐसा है कि इस पकौड़े का कुरकरापन जिप लिफाफे में बंद होकर कई दिनों तक टिका रहता है. तमिल में काजू को मुंदिरी परुप्पु तो तेलुगू में जिदीपप्पु या मुथामादी पप्पु कहते हैं. कहीं - कहीं काजू को कोदांबी भी कहते हैं. तो ये गोदांबी पकौड़ा वाकई लजीज है. मैं तो इसका स्वाद कई दिनों पहले खाने के बाद भी अब तक नहीं भूल पाया. इसको घरों में खूब ट्राई किया जा सकता है. 


दूसरा व्यंजन जो मैने मैसूर में ही चखा वो मेद्दूर वडा मंचुरियन था. कहना चाहिए दक्षिण भारतीय मसाला वडा का चाइनीज डिश मंचुरियन ग्रेवी के साथ संगम. जिस वडा की बात मैं कर रहा हूं ये उड़द की पिसी दाल वाला साफ्ट वडा नहीं है. जो फूला हुआ होता है और सांभर के साथ परोसा जाता है, बल्कि इसको दाल या मैदे के साथ मसालों और प्याज को मिलाकर क्रिस्पी होने तक तला जाता है. वैसे ये खास वडा सूजी, चावल के आटे और मैदे के साथ बना होता है.  ये मैसूर की पुरानी दुकान मेद्दूर टिफनी की स्पेशल डिश है. महज 80 रुपए में. इस वडा को छोटे टुकड़ों में तोड़कर खास मंचुरियन ग्रेवी और मसालों के मिश्रण के साथ परोसा जाता है. 

मेद्दूर वडा की कहानी भी कोई कम रोचक नहीं है. रेस्टोरेंट इस खास वडा के 100 साल के इतिहास को बखाना गया था. कर्नाटक में बेंगलुरु से मैसूर जाते समय ट्रेन से एक स्टेशन पड़ता है मेद्दूर. चूंकि इस खास वडे का जन्म यहीं हुआ, लिहाजा इसका नाम मेद्दूर वडा पड़ गया. मौजूदा रेस्टोरेंट के मालिक के पिता के पिता मादवाचर नाम के सज्जन 1902 में मेद्दूर स्टेशन पर ट्रेन यात्रियों के लिए वडा स्टाल लगाकर इसे बेचा करते थे. एक दिन ट्रेन जल्दी आ गई. उनके पास वडा का कुछ सामान था और कुछ नहीं. उन्होंने जल्दी में कई जो चीजें उनके पास थीं, उसे ही गूंथकर एक पेस्ट तैयार किया, इसे तलकर वडा बना दिया. ये ना फूला हुआ था और ना ही साफ्ट. ये कड़ा और क्रिस्पी था. वो तो डर रहे थे कि आज तो पैसेंजर्स उन्हें खूब भला बुरा कहने वाले हैं लेकिन यात्रियों को ये नई चीज पसंद आई. उन्होंने जब इस नई डिश का नाम पूछा मादवाचर का जवाब था ये खास मेद्दूर वडा है. इसके बाद तो ये हिट आइटम हो गया. 

इसमें क्या - क्या मिलाया जाता है. ये कैसे बनता है ये भी जान लीजिए. एक कप मैदा, आधा कप सूजी, आधा कप चावल का आटा, बहुत पतला कटा हुआ एक प्याज, एक बारीक कटी मिर्ची, कटी हुई कढ़ी पत्तियां, दो चम्मच धनिया पाउडर, जरूरत के लिहाज से गूंथने लायक पानी.

इसे कड़ा होने तक गूंथे. फिर 10 मिनट के लिए रख दें. इसकी वजह ये है कि इतनी देर में प्याज कुछ पानी छोड़ेगा. आपका मिश्रण कुछ मुलायम हो जाएगा. अब गूंथे हुए मिश्रण से छोटे छोटे गोले बनाकर उसे दबाकर फ्लैट कर दें. गर्म तेल में मध्यम आंच पर वडा को सुनहरा होने तक डीप फ्राई होने दें. 

आपका वडा तैयार हो गया. मंचुरियन ग्रेवी अलग से बना लें. मेद्दूर वडा को प्लेट में रखकर तोड़ें. इसमें ऊपर मंचुरियन ग्रेवी फैलाएं. चाहें तो इसमें ऊपर काजू,  हरी धनिया, पतली कटी प्याज और कढ़ी पत्ता की गार्निश कर सकते हैं. दोनों डिश बहुत आसान हैं और खाने में लज्जतदार भी. वैसे आपको बता दूं कि कुर्ग के खाने तीखे मसालों, काली मिर्च और मिर्च के साथ बने होते हैं. वहां कुर्गी चिकन और कुर्गी मिक्स वेज का स्वाद तो लाजवाब तो होता ही है. साथ में चावल की रोटियों और खास तरीके से बनाई गई राइस बॉल भी आपके जीभ को तृप्त भी करेंगी. स्पायसी डिश खाते हुए नाक और आंखों से पानी आ सकता है. कहा जाता है कि कुर्ग में अगर मुर्ग नहीं खाया तो क्या खाया लेकिन उसका जिक्र बाद में.

संजय श्रीवास्तव की फ़ेसबुक वाल से साभार 

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