ये आगा खान पैलेस है

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ये आगा खान पैलेस है

अविनाश त्रिपाठी

ये आगा खान पैलेस है. इस पैलेस को आगा खान तृतीय ने बनाया था. आगा खान  के प्रयासों से ही 1909 के मार्ले-मिंटो सुधारों में अलग मुस्लिम निर्वाचक मण्डल बन पाया साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाने में भी आगा खान का विशेष योगदान रहा. अंग्रेजों के साथ आगा खान के रिश्ते इतने मधुर थे कि अंग्रेजों ने उन्हें नाइट की उपाधि से सम्मानित किया. आगे चलकर अलग मुस्लिम निर्वाचन और एएमयू ने मिलकर पाकिस्तान बनने में अभूतपूर्व योगदान दिया.

भारत छोड़ो आंदोलन के समय गांधी जो को उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और उनके सचिव महादेवभाई देसाई के साथ इसी पैलेस में रखा गया था. जहां कैद के दौरान उन दोनों की मृत्यु हो गई. बाकि दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी के विशेष योगदान को देखते हुए अंग्रेजों ने उन्हें केसरी-ए-हिन्द और विक्टोरिया क्रॉस दे चुके थे.

दूसरी तरफ गणेश सावरकर की पत्नी येसूबाई हैं जिन्हें महाराष्ट्र में येसूवहिनी के नाम से ज्यादा जाना जाता है क्योंकि विनायक अपनी भाभी को येसूवहिनी ही कह कर बुलाते थे. सारी संपत्ति जब्त होने के बाद येसूवहिनी और परिवार की दूसरी महिलाओं को रिश्तेदारों के घरों में शरण लेनी पड़ी.

इसके बाद करीब 10 साल तक येसूवहिनी अंग्रेज सरकार से अपने पति और देवर से मिलने की गुहार लगाती रही. 10 साल बाद जब अंग्रेज सरकार ने उन्हें उनके पति से मिलने की अनुमति दी तब तक इंतजार करते-करते उनकी मृत्यु हो गई.कर्जन वायली की हत्या के विरोध में लंदन में प्रवासी भारतीयों ने जो मदन लाल ढींगरा के खिलाफ सभा का आयोजन किया था. उस सभा में आगा खान और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुरेंद्र नाथ बनर्जी भी शामिल थे जहां निंदा प्रस्ताव का विरोध करने पर सावरकर और अंगेज पुलिस अधिकारी में मारपीट की नौबत आ गई थी.

बाकी तो ये सब जानते हैं कि इस महल में नजरबंदी काटने वाले गांधी जी से अंग्रेज थर-थर कांपते थे और कालापानी में कोल्हू चलाने वाले सावरकर अंग्रेजों से मिले हुए थे और ये विमर्श उस एएमयू से निकलता है जिसे स्थापित करने वाले आंगा खान क्रांतिकारी ढींगरा के विरोध में आयोजित सभा की अध्यक्षता कर रहे थे और इस प्रोपेगेंडा को पचाने वाले वो आम हिन्दू हैं जो 200 साल अंग्रेजों के गुलाम रहे हैं, एक तिहाई देश 70 साल पहले खो चुके हैं और अभी भी सुधरने को रत्ती भर तैयार नहीं है.


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