चंबल के कटहल का कोई सानी नहीं है..

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चंबल के कटहल का कोई सानी नहीं है..

ओम प्रकाश सिंह

चंबल. जहां कभी बंदूक की गोलियां गरजती थीं अब उस चंबल में सैलानी आ रहे हैं. 18, 19 व 20 जून को चंबल-कटहल फेस्टिवल का आयोजन पंचनद पर किया जा रहा है. चंबल टूरिज्म मुहिम के तहत तीन वर्षों से चंबल की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एव प्राकृतिक धरोहरों से देशी-विदेशी सैलानी परिचित होते रहे हैं. चंबल का नाम सुनते ही जेहन में भय का संचार हो जाता था. इस भय को फिल्मकारों ने बढ़ाचढ़ाकर और प्रश्रय दिया लेकिन असली चंबल तो बागियों और क्रांतिकारियों की धरती रही है. क्रातिकारियों के द्रोणाचार्य गेंदालाल दीक्षित ने चंबल से ही अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उन्होंने चंबल के  बागियों को समझाकर देश आजाद कराने के लिए तैयार कर लिया था. मुखबिरी ना हुई होती तो देश उन्नीस सौ सैंतालीस के पहले ही आजाद हो जाता.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को अपराधमुक्त करने की ठानी है. इसका असर भी दिखाई पड़ रहा है. जिस चंबल में लोग जाने सज डरते थे वहां अब देश विदेश के सैलानी आ रहे हैं. चंबल की खूबसूरती को दुनिया के सामने लाने के लिए अवध विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र शाह आलम लगातार सक्रिय हैं. कटहल फेस्टिवल का आयोजन चंबल फाउंडेशन कर रहा है.

चंबल की धरोहर कटहल की लगातार सिमट रही फसल को विस्तार और गति देने के लिए यह आयोजन पांच नदियों के ऐतिहासिक संगम पर किया जा रहा है. चंबल प्रर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तीन दिवसीय चंबल-कटहल फेस्टिवल के दौरान विविध कार्यक्रमों का लुत्फ पर्यटक ले सकेंगे. जिसमें कटहल व्यंजनों के अनोखे संसार से रूबरू होने का मौका मिलेगा. साथ ही कैम्पिंग, कैम्प फायर, हाइकिंग, बोटिंग, माइक्रो राफ्टिंग, सेंड स्पोर्ट्स, कैमल राइडिंग, बीच नाइट स्टे, योगा एवं अन्य कार्यक्रम समानांतर होते रहेंगे. इसके साथ ही सैलानी बिना बर्तनों के खुद अपने हाथ से भोजन बनाकर कर रोमांच से भर जाएंगे.

चंबल फाउंडेशन का मानना है कि चंबल कटहल फेस्टिवल से बीहड़वासी कटहल का पौधा लगाने के लिए आकर्षित होंगे. फेस्टिवल में जहां कई प्रदेशों के कटहलों की एक बड़ी प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. वहीं कटहल से क्या-क्या खाने की चीजें बनाई जा सकती है उसका जायका भी लिया जा सकेगा. बीहड़वासी घर और बागान में कटहल लगाकर कैसे इसका स्वाद ले सकते हैं यह भी बताया जाएगा. फेस्टिवल में कटहल पर शोध करने वाले वैज्ञानिक, कटहल उत्पादक किसान, कटहल बेचने वाले व्यवसायियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया है.

चंबल कटहल फेस्टिवल के संयोजक अजय कुमार ने बताया कि कटहल एक रहस्यमयी पौधा है. चंबल क्षेत्र में यह पौधा किसी वरदान से कम नहीं था. यह मुसीबत के समय का साथी था. ब्रिटिश अदालतें कटहल के पेड़ को सक्षम मानती थी और इतना भरोसा करती थीं कि हत्या जैसे संगीन अपराध में पांच कटहल के पेड़ों से जमानत मिल जाती थी. जिस केस में जमानत के तौर में जितनी धन राशि कोर्ट में दिखानी होती थी. उस हिसाब से हरा सोना की कीमत का आंकलन कर लोगों को कोर्ट से राहत मिल जाती थी. लिहाजा पूरे चंबल अंचल में कटहल बहुतायत मात्रा में उगाए जाते थे. हालांकि कटहल के प्रति उदासीनता अब बढ़ती जा रही है. जबकि कटहल बागान के लिए चंबल की मिट्टी मुफीद है.

चंबल फाउंडेशन प्रमुख शाह आलम राना ने कहा कि स्वाद और पौष्टिकता के नजरिये से कटहल का कोई सानी नहीं है. कटहल कई औषधीय गुणों से भरपूर है. कटहल में कई पौष्टिक तत्‍व पाए जाते हैं जैसे, विटामिन A, C, थाइमिन, पोटैशियम, कैल्‍शियम, राइबोफ्लेविन, आयरन, नियासिन और जिंक. यही नहीं इसमें ढेर सारा फाइबर भी पाया जाता है. हालांकि इसके बावजूद ज्‍यादातर लोग कटहल को नॉन वेज का बेस्ट ऑप्‍शन मानते है. यह अपने प्रोटीन कंटेट के कारण शाकाहारी लोगों में मांस के विकल्प के रूप में खूब लोकप्रिय हो रहा है. फल, बीज तथा गूदे के उपयोग के अतिरिक्त कटहल के पत्ते, छाल, पुष्पक्रम तथा लैटेक्स का उपयोग पारंपरिक दवाओं में भी किया जाता है.

बढ़ती जागरूकता तथा देश भर में कटहल किसानों तथा उद्यमियों के सतत प्रयासों से कटहल निश्चित रूप से सबसे अधिक मांग वाला फल बन जाएगा. आज भी कटहल की सिंगापुर, नेपाल, कतर, जर्मनी, थाईलैंड आदि देशों में भारी मांग है. चंबल कटहल फेस्टिवल से रोजगार के द्वार भी खुलेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश को संवारने की योजना में चंबल फेस्टिवल मील का पत्थर साबित होगा.


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