डॉ. शारिक़ अहमद ख़ान
जब टिकोरे जवाँ होकर थोड़े बड़े हो जाते हैं तो अमियाँ हो जाते हैं,कैरियाँ हो जाते हैं. पेड़ों पर लगे ये क़लमी दशहरी आम हैं. आज सुबह सैर के वक़्त एक हज़रत के बाग़ में ये कच्ची अमियाँ दिखीं जो तस्वीर में हैं. हमने तस्वीर उतारी तो उन्होंने अमियाँ झोर दी और बीनकर दीं. अब हमने घर आकर कच्चे आम के बारीक टुकड़े किए. टुकड़ों में लाल मिर्च कलौंजी जीरा सौंफ़ अजवाइन मेथीदाना राई सेंधा नमक और हल्दी मिलायी. फिर इसे गुड़ की चाशनी में पौन घंटे पका लिया. सीज़न का पहला 'गुड़म्मा' तैयार हो गया. हमें गुड़म्मा पसंद हैं. हिंदुओं की शादियों में जहाँ नॉनवेज नहीं होता हम डिनर नहीं करते,क्योंकि हम डिनर में नॉनवेज ही लेते हैं,साल के हर दिन,क़रीब पंद्रह बरस से ये दस्तूर है. ऐसे में अधिकतर लोग तो मेरे लिए अलग से नॉनवेज बनवाते हैं,फिर भी कार्यक्रम में नॉनवेज नहीं हुआ और कोई बहुत लटक गया तो अगर मौसम है और गुड़म्मा बना है तो गुड़म्मे के साथ एक पूड़ी प्रतीक स्वरूप ले लेते हैं.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments