प्रियंका कौशल
वैसे तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई बार जनता का दिल जीत चुके हैं, लेकिन हर बार कुछ ऐसा कर देते हैं, जिससे सर्वत्र छत्तीसगढ़ की माटी की महक फैल जाती है. अपनी मिट्टी, बोली, भाषा, खानपान और संस्कृति पर गर्व तो सबको होता है. लेकिन उच्च पदासीन होने के बाद कुछ बिरले ही अपनी जन्मभूमि को मान-सम्मान दिलाते हैं. उसके गौरव की रक्षा करते हैं. उसके मर्म को परिभाषित करते हैं. ऐसे ही जननेता बनकर उभरे हैं भूपेश बघेल.
मुख्यमंत्री जानते हैं कि हरेक मनुष्य के लिए सबसे बड़ी पूंजी है आत्मसम्मान. यदि किसी को ऊंचा उठाना है तो उसका आत्मसम्मान बढ़ा दो. उसकी संस्कृति, रहन-सहन और विशेषकर खानपान को महत्व दो. आज 1 मई को जब मेहनतकश श्रमिकों की बारी आई तो उनमें एक नया आत्मविश्वास भरने और उनके स्वाभिमान की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री के आह्वान पर पूरा छत्तीसगढ़ 'बोरे बासी' का स्वाद ले रहा है.
लेकिन यहां यह स्पष्ट करना भी जरूरी है कि बोरेबासी केवल किसी वर्ग विशेष का नहीं अपितु सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ का प्रिय व्यंजन है. अत्यंत सादा किन्तु परम् स्वाद वाला पोषक तत्वों से भरपूर, गर्मी और लू से बचाने वाला भोजन है. इतनी ठंडक प्रदान करने वाला कि "ठंडा मतलब बोरेबासी' कहा जाता है.
बोरे और बासी बनाने की विधि
जहां बाकी व्यंजनों को बनाने के कई झंझट हैं, वहीं बोरे और बासी बनाने की विधि बहुत ही सरल है. न तो इसे सीखने की जरूरत है और न ही विशेष तैयारी की. खास बात यह है कि बासी बनाने के लिए विशेष सामग्री की भी जरूरत नहीं है. बोरे और बासी बनाने के लिए पका हुआ चावल (भात) और सादे पानी की जरूरत है. यहां बोरे और बासी इसलिए लिखा जा रहा है मूल रूप से दोनों की प्रकृति में अंतर है.
बोरे से अर्थ, जहां तत्काल चुरे हुए भात (चावल) को पानी में डूबाकर खाना है. वहीं बासी एक पूरी रात या दिनभर भात (चावल) को पानी में डूबाकर रखा जाना होता है. कई लोग भात के पसिया (माड़) को भी भात और पानी के साथ मिलाने में इस्तेमाल करते हैं. यह पौष्टिक भी होता है और स्वादिष्ट भी. बोरे और बासी को खाने के वक्त उसमें लोग स्वादानुसार नमक का उपयोग करते हैं.
प्याज, अचार और भाजी बढ़ा देते हैं स्वाद
बासी के साथ आमतौर पर प्याज खाने की परम्परा सी रही है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल में प्याज को गोंदली के नाम से जाना जाता है. वहीं बोरे या बासी के साथ आम के अचार, भाजी जैसी सहायक चीजें बोरे और बासी के स्वाद को बढ़ा देते हैं. दरअसल गर्मी के दिनों में छत्तीसगढ़ में भाजी की बहुतायत होती है. इन भाजियों में प्रमुख रूप से चेंच भाजी, कांदा भाजी, पटवा भाजी, बोहार भाजी, लाखड़ी भाजी बहुतायत में उपजती है. इन भाजियों के साथ बासी का स्वाद दुगुना हो जाता है. इधर बोरे को दही में डूबाकर भी खाया जाता है. गांव-देहातों में मसूर की सब्जी के साथ बासी का सेवन करने की भी परंपरा है. कुछ लोग बोरे-बासी के साथ में बड़ी-बिजौरी भी स्वाद के लिए खाते हैं.
बोरे-बासी खाने से लाभ
बोरे-बासी के सेवन से नुकसान तो नहीं लाभ कई हैं. इसमें पानी की भरपूर मात्रा होती है, जिसके कारण गर्मी के दिनों में शरीर को शीतलता मिलती है. पानी की ज्यादा मात्रा होने के कारण मूत्र उत्सर्जन क्रिया नियंत्रित रहती है. इससे उच्च रक्तचाप नियंत्रण करने में मदद मिलती है. बासी पाचन क्रिया को सुधारने के साथ पाचन को नियंत्रित भी रखता है. गैस या कब्ज की समस्या वाले लोगों के लिए यह रामबाण खाद्य है. बासी एक प्रकार से डाइयूरेटिक का काम करता है, अर्थ यह है कि बासी में पानी की भरपूर मात्रा होने के कारण पेशाब ज्यादा लगती है, यही कारण है कि नियमित रूप से बासी का सेवन किया जाए तो मूत्र संस्थान में होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है. पथरी की समस्या होने से भी बचा जा सकता है. चेहरे में ताजगी, शरीर में स्फूर्ति रहती है. बासी के साथ माड़ और पानी से मांसपेशियों को पोषण भी मिलता है. बासी खाने से मोटापा भी दूर भागता है. बासी का सेवन अनिद्रा की बीमारी से भी बचाता है. ऐसा माना जाता है कि बासी खाने से होंठ नहीं फटते हैं. मुंह में छाले की समस्या नहीं होती है.
बासी का पोषक मूल्य
बासी में मुख्य रूप से संपूर्ण पोषक तत्वों का समावेश मिलता है. बासी में कार्बोहाइड्रेट, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण और जल की बहुतायत होती है. ताजे बने चावल (भात) की अपेक्षा इसमें करीब 60 फीसदी कैलोरी ज्यादा होती है. बासी को संतुलित आहार कहा जा सकता है. दूसरी ओर बासी के साथ हमेशा भाजी खाया जाता है. पोषक मूल्यों के लिहाज से भाजी में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहते हैं. इसके अलावा बासी के साथ दही या मही सेवन किया जाता है. दही या मही में भारी मात्रा में कैल्शियम मौजूद रहते हैं. इस तरह से सामान्य रूप से बात की जाए तो बासी किसी व्यक्ति के पेट भरने के साथ उसे संतुलित पोषक मूल्य भी प्रदान करता है.
(नोट-इस पोस्ट में बोरेबासी बनाने की विधि से लेकर उसके पोषक तत्वों तक का अंश जनसंपर्क से साभार है. )
प्रियंका कौशल की वाल से साभार
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