डा शारिक अहमद खान
लाल वाला है द ग्रेट इंडियन खजूर और काला वाला है पर्शियन खजूर फ़्राम ईरान.रमज़ान में खजूर से रोज़ा खोलना पसंद किया जाता है.इस वजह के इस महीने में खजूर की बहार रहती है.हिंद में बरही-हिल्लावी-खुनेजी जामली-खदरावी जैसी खजूर की किस्में ख़ूब प्रचलन में हैं.अरबी अजवा खजूर भी रमज़ान में ख़ूब पसंद किए जाते हैं.मिस्र लीबिया और ईराक़ के खजूर भी मशहूर हैं.समरकंद और बुख़ारे से भी खजूर आते हैं.तुर्कमेनिस्तान के खजूरों की भी आमद होती है.अल्जीरिया से जो खजूर आते हैं उन्हें खजूरों की रानी कहा जाता है.बहुत से लोग सुन्नत होने की वजह से मतलब इस्लामी प्रैक्टिस में पसंद किए जाने की वजह से खजूर के पानी को रमज़ान में सहरी के दौरान पीना पसंद करते हैं.इसे बनाने के लिए रात में सात-आठ खजूरों को एक जग में डाल चार कप पानी डाल दिया जाता है.सुबह मतलब सहरी के वक़्त बहुत से लोग पीते हैं.
इसे नबीदह कहा जाता है.जब अरब में शराब पर रोक लगी तो शराब के शौक़ीनों ने क्या किया कि अच्छे किस्म के काले खजूरों को पानी में डालकर तीन से चार दिनों तक छोड़ देते.जब पानी में ख़मीर उठ जाता तो पानी पी जाते.ऐसे में नशा हो जाता.तब नियम बना कि नबीदह वही पिया जा सकता है जिसमें ख़मीर ना उठा हो,नशे की सिफ़त ना हो,वरना हराम है.खजूर को ताक अदद मतलब ऑड नंबर में खाने की रवायत है.खजूर गुणों से भरपूर फल है.इसमें मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट ख़ूब होते हैं.खजूर के पेड़ से खजूर की मीठी ताड़ी भी निकलती है,उस ताड़ी से गुड़ भी बनता है.खजूर को दूध में उबालकर और ख़ूब गाढ़ा हो जाने पर ये दूध पीने से वज़न बढ़ता है.बहुत से लोग प्याज़ माजून या मुग़ल्लिज़ माजून इस खजूर वाले दूध में मिलाकर विशेष मर्दाना कारणों से पीते हैं.
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