प्रदूषण और ठंढ से बचने के लिए गोवा में ठिकाना बनाते लोग

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प्रदूषण और ठंढ से बचने के लिए गोवा में ठिकाना बनाते लोग

अंबरीश कुमार 

गोवा में पणजी से करीब पच्चीस किलोमीटर दूर एक शहर है पोंडा . पोंडा में एक सुपर मार्केट में राशन का सामान ले रहे थे क्योंकि प्रवास लंबा था . सुपर मार्केट में गेहूं के आटे के साथ ज्वार , बाजरा ,मक्का का भी आटा उपलब्ध था . पिछले चार दशक से गोवा में आना जाना रहा है पर इस तरह का बदलाव नहीं दिखा . ज्वार बाजरा और मक्का तो उत्तर भारत में ज्यादा प्रचलित है . पता चला करीब दो साल से इनकी मांग बढ़ी है . उत्तर भारत के लोगों की आबादी गोवा में बढ़ रही है . खासकर कोरोना के दौर के बाद यह प्रवृति और बढ़ी है . कामकाजी लोग गोवा की तरफ गए तो घर के बुजुर्गों को भी ले गए . कोरोना के बाद ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है जिन्हे पोस्ट कोविड समस्या का सामना करना पड़ रहा है . यह गोवा के विभिन हिस्सों में दिखा भी . वैसे भी होम स्टे का प्रयोग सबसे पहले जी राज्यों में हुआ उनमें गोवा शामिल था . गोवा की अर्थव्यवस्था मुख्यतः पर्यटन उद्योग पर निर्भर रहती है . होटल रिसार्ट के साथ होम स्टे का प्रयोग भी यहां बहुत चल . पर कोरोना काल में इस पर्यटन उद्योग को बड़ा धक्का लगा . कम अवधि के सैलानियों की संख्या तेजी से घटी . पर इसके साथ लंबी अवधि के लिए गोवा आने वालों की संख्या अब बढ़ रही है . कुछ समय पहले गोवा के लंबे प्रवास के दौरान यह महसूस भी हुआ . 

दिसंबर के अंतिम हफ्ते में पणजी से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर कैन्डोलिम के एक अपार्टमेंट में एक फ्लैट झाड पोंछ कर तैयार किया जा यह था क्योंकि तीन चार महीने के लिए उसे दिल्ली के किसी सज्जन ने किराए पर ले लिया था . इस बारे में पूछने पर पता चला कोई युवा जोड़ा है जो वर्क फ्राम होम के लिए यह फ्लैट ले रहा है . वजह दिल्ली ,गुड़गांव का प्रदूषण उन्हे बीमार बना रहा था और ठंढ में यह समस्या और बढ़ जाती . इस बारे में पणजी से लेकर मापुसा और अरेमबोल समुद्र तट तक जाने पर पता चला कि लाक डाउन के बाद काफी संख्या में वे युवा या गए हैं जिनका वर्क फ्राम होम से काम चल जाता है . इसकी एक वजह यह है कि मुंबई और दिल्ली जैसे महानगर रहने के लिहाज से महंगे हैं और अगर दफ्तर जाना जरूरी न हो तो वे गोवा में रहना पसंद करते है . उन्हे जो फ्लैट मुंबई मे तीस चालीस हजार का पड़ता है वह पणजी ,कैन्डोलिम ,मापुसा से लेकर मडगांव तक में पंद्रह सत्रह हजार में मिल जाता है . ये फ्लैट फर्निश होते हैं और इंटरनेट की सुविधा भी रहती है . पर यह सिर्फ आर्थिक पक्ष है . दो खास वजह ऐसी हैं जिसकी वजह से साथ साल से ज्यादा उम्र के लोग गोवा को अपना दूसरा ठिकाना बना रहे हैं . 

दरअसल दिसंबर से लेकर फरवरी मध्य तक जब उत्तर भारत में कड़ाके की ठंढ पड़ती है तो इसे बहुत से लोग बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं . और अगर कोई अस्थमा या सांस की बीमारी से ग्रसित हो तो उसके लिए यह दौर बहुत कष्टदायक होता है . लखनऊ ,जयपुर ,दिल्ली मुंबई में प्रदूषण भी बहुत ज्यादा होता है . जबकि गोवा में न तो ठंढ पड़ती है न ही ज्यादा प्रदूषण होता है . दरअसल गोवा शहरों की बजाय गांवों में ज्यादा बसा हुआ है . घर घर में नारियल ,आम ,सुपारी ,कोकम से लेकर कालीमिर्च तक की बेल मिल जाएगी . हरियाली ज्यादा है और प्रदूषण कम . इसी वजह से अब लोग इसे अपना दूसरा ठिकाना भी बना रहे हैं . लंबे समय तक रहने के लिहाज से गोवा ज्यादा बेहतर लगता है . इसकी कनेक्टिविटी भी दिल्ली मुंबई कोलकता कोच्चि से बनी हुई है . कानपुर के एक सज्जन जो आईटी क्षेत्र के हैं वे साल भर से यहीं हैं और अपने माता पिता को भी ले आए हैं . दिसंबर और जनवरी की ठंढ उनके माता पिता बर्दाश्त भी नहीं कर पाते थे और अस्थमा की दिक्कत भी थी . गोवा के मौसम में वे आराम से रहते हैं . साल भर में कभी सर्दी जुकाम भी नहीं हुआ . कानपुर में वे ज्या दूर तक टहल भी नहीं पाते थे जबकि यहां चार से छह किलोमीटर रोज समुद्र किनारे घूम लेते हैं सुबह शाम मिलाकर . साफ हवा ,धूप की वजह से उन्हे यह जगह अच्छी लगती है . दरअसल गोवा की बसाहट अभी भी बहुत घनी नहीं है और हरियाली ज्यादा है . हवा अन्य शहरों के मुकाबले साफ है . अन्य बड़े महानगरों की अपेक्षा यहां रहना सस्ता पड़ता है . 

अपवाद है तो फल सब्जी जो महाराष्ट्र और कर्नाटक से आने की वजह से कुछ महंगी जरूर पड़ती है . पर मेडिकल सुविधा ,आवास आदि बेहतर है . कुछ युवा ऐसे भी मिले जो अपना दफ्तर दिल्ली से गोवा के किसी गांव में शिफ्ट कर चुके है . इस वजह से उनका खर्च आधा हो गया है खासकर आईटी क्षेत्र के लोग . यहां किराए के घर दिल्ली मुंबई की अपेक्षा आधे से भी कम भाड़े पर मिल जाते हैं . इंटरनेट और बिजली की सप्लाई भी ठीक ठाक है . अपना वह रखें तो भी कोई बहुत दूर आना जाना नहीं होता इसलिए यह खर्च भी कम हो जाता है . पर यह बात उनके लिए जो अपना दफ्तर चलाते हैं या वर्क फ्राम होम की वजह से हैं . स्वास्थ्य की वजह से आने वाले लोग नए हैं . पर उन्हे महानगरों के प्रदूषण की वजह से गोवा बेहतर जगह लगती है . गर्मी में भी यहां का अधिकतम तापमान 38 डिग्री के आसपास रहता है जो उत्तर के मुकाबले कम है .


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