हर सूप में उरद है ..

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

हर सूप में उरद है ..

चंचल  
हम जब गांव  में रहते हैं तो शहर को उतार कर दालान की खूंटी पे टांग देते हैं . एक लुंगी कुर्ता और चप्पल पहन कर दिन भर आवारागर्दी करते हैं . चौराहे की सभ्यता ने गाँव को बिगाड़ दिया है . गाँव में घुसने की जरूरत ही नहीं सब एकसाथ एक जगह चौराहे पर ही मिल जायंगे . चाय पीते . पान घुलाये . बीड़ी धौंकते . सब गड्ड-मद्द हो गया है .  
गाँव के घरों में बस औरते रह जाती हैं और वो बच्चे जो खुद चलकर चौराहे तक नहीं पहुच् पाते . जब हम छोटे थे ,गाँव में जाते थे .खेलने ,आम बीनने , होली के लिए जलावन चुराने , नौटंकी देखने , मारनी करनी तब गाँव की शक्ल ऐसी नहीं थी . गो कि देश आजाद हो गया था पर विकास गांव  की तरफ नहीं आया था . लोग मिल जुल कर अपने को विकसित किये जा रहे थे . लोहार ,कुम्हार .जुलहा ,धुनिया , हेला .डफाली ,नाई , सोनार ,चमार धरिकार .पासी औरत मर्द सब एक परिवार की तरह थे . बाभन ठाकुर सब . हर कोइ हर किसी का कुछ न कुछ लगता था . गाँव में एक शादी पडी कि पूरा गाँव उस उत्सव में शामिल . हँसी मजाक सब कुछ .  
धरिकार दौरी बना कर ला रहा है ,सफाली सूप . नाटिं गारी गा रही है  .कुम्हार भारुका ,हांडी ,कलश सब मिट्टी का .मुसहर दोना पत्तल .औरतें बाभन की हों या बाबूसाहेब की 'आँचर 'फैलाकर पूजा करती थी (हैं ) ...किरपाल लोहार अड़े बैठे हैं -इत्ते से काम ना चली , नेक द . नेक में पीतल क परात चाही .सूप 'छूवाई ' क दिन है पूरे गाँव की औरते जुटी हैं अपना अपना सूप लेकर .  
हर सूप में उरद है . हर चहरे पर उमंग है . आँगन में हंसी ठट्ठा है . सलीम सूप लेकर आये हैं .नेग चाही -'बेटा क बिआह है ,बिटिया के शादी में कुछ मागे रहे का ? त द अबकी ! सलीम को साइकिल मिली पुरानी ही सही .पर सब बदल रहा है चट मंगनी पट बिआह . प्लास्टिक ने मार  दिया . शहर का कचड़ा गाँव में गिर चुका है. प्लास्टिक की गिलास कप . ....

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :