किंगफिशर विला अब किंग मेंसन में बदल गया

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किंगफिशर विला अब किंग मेंसन में बदल गया

संजय श्रीवास्तव  
गोवा से वापस लौटे हुए एक हफ्ता हो चुका है. यहां के नजारे, संस्कृति, खानपान और मस्ती अलग सा फील कराती हैं. यहां बड़े बड़े पुर्तगाली आर्किटैक्ट स्टाइल के बंगले हैं. हालांकि अब ये ऐसा शहर भी है जहां बड़े पैमाने पर मूल वाशिंदों के भवनों पर ताले लटके हुए हैं. उनके मालिक विदेशों में रहते हैं. बहुत से ऐसे घरों को देश के बड़े कारोबारियों ने खरीद लिया है. जब सुबह सुबह मैं वहां समुद्र बीच की ओर सैर के लिए निकलता था तो परेरा से ब्रिंगेंजा और डीसूजा जैसी नेम प्लेट वाले आलीशान बंगले अर्से से बंद होने की कहानी कहते मिलते थे. वैसे गोवन भवनों में एक खास बात है. हर बंगला चारों ओर से पेड़ पौधों के बीच बनाया जाता था. उनमें नारियल के पेड़ तो जरूर ही होंगे. 

खैर अपनी बात से थोड़ा भटक गया हूं.नीचे पहली तस्वीर को देखेंगे तो एक खास बड़ा गेट नजर आएगा. गेट का डिजाइन अपने आपमें खास है. जब मैं कैंदोलिम समुद्र तट के करीब अपने होटल से सिक्वेरियम बीच और अगोडा फोर्ट की जा रहा था तो रोड की दूसरी ओर पीले रंग की ऊंची चारदीवारी के बीच ये गेट नजर आया. सामने तैनात गार्ड. लौटते समय फिर इस नजर पड़ी. गेट के दायीं ओर किंग मेंसन नाम की सुनहरी पट्टी ध्यान खींच रही थी.  

किंग मेंसन की ये पट्टी दिमाग पर कहीं टंग गई. होटल में जब किंग मेंसन गोवा के नाम से सर्च किया तो पता लगा कि ये वो वही फेमस किंगफिशर विला है, जो फुल वोल्टेज पार्टियों के लिए सुर्खियों में रहता था, जिसके मालिक विजय माल्या थे. अगले दिन फिर उसी रास्ते की ओर रुख किया. किंग मेंसन के सामने स्कूटी रोकी. गार्ड से पूछ ही लिया, क्या ये माल्या का बंगला है. गार्ड यूपी वाला निकला. जवाब मिला, हां, ये वही बंगला है. अब इसको मुंबई के सेठ सचिन जोशी जी ने खरीद लिया है. इसके साथ ही उसने किंग मेंसन की सुनहरी पट्टी के नीचे लगी सचिन जोशी की नाम की पट्टी की ओर इशारा किया.  

तो माल्या का किंगफिशर विला अब किंग मेंसन में बदल गया है. अब शायद यहां पार्टियों की वैसी तड़क-भड़क भरी पार्टियां नहीं सजने वाली बल्कि ये लकदक आयुर्वेदिक वेलनेस सेंटर और लग्जरी होटल में तब्दील हो चुका है.  
इस इलाके में किसी भी बंगले का प्रवेश द्वार इतना शानदार नहीं है. आईपीएल के दौरान यहां रायल चैलेंजर्स बेंगलुरु टीम की पार्टियां होती थीं. जब भी माल्या को कोई आलीशान पार्टी देनी होती थी तो ये आलीशान प्रापर्टी ही उसकी मेजबानी करती थी. करीब 100 एकड़ या इससे कुछ कम की इस प्राप्रर्टी का एक सिरा कैंदोलिम बीच की मुख्य सड़क की ओर है तो पिछला सिरा समुद्री लहरों का स्वागत करता है. बंगले का पिछवाड़ा सीधे कैंदोलिम बीच के उस हिस्से में खुलता है, जो माल्या का प्राइवेट बीच होता था.  

कैरिबियन क्रिकेटर क्रिस गेल ने इस बंगले में हुई पार्टी में खुद की शिरकत का जिक्र कई जगह किया है. ये वो बंगला भी है जहां किंगफिशर के उस चर्चित  कैलेंडर के फोटोशूट होते थे.  

इसमें लंबे चौडे़ सुंदर लॉन हैं. कई स्विंमिग पूल. जिम और स्पा भी. एक जमाना था जब यहां अक्सर ही कारों का काफिला मुख्य गेट से अंदर घुसता नजर आता था. बाहर लोग देखते थे इस पार्टी में कार से कौन सा स्टार आ रहा है और कौन सा क्रिकेटर. पार्टियों में जाम और सुंदरियों का नशा सिर चढ़कर बोलता था. लान के सागर की उछलती-कूदती लहरें माहौल को और नशीला बनाती रही होगी. अब यहां ना पार्टियों का मेला सजता है और ना ही सुंदरियों के मोहक अंदाज दिखते हैं. 

संयोग है कि माल्या से मेरी दो मुलाकातें वर्ष 2011 में नोएडा और दिल्ली में दो मौकों पर हुईं थीं. पहली वर्ष 2011 में ग्रेटर नोएडा के बुद्धा रेसिंग सर्किट पर एफ वन रेस के दौरान, जिसमें माल्या की फोर्स इंडिया टीम भी रेस में शामिल थी. तब माल्या 02-03 दिन बुद्धा सर्किट में अपनी टीम के साथ ही नजर आते थे. मीडिया से भी रू-ब-रू हुए. तब मैं हिंदुस्तान अखबार में स्पोर्ट्स एडीटर के तौर पर काम कर रहा था. फोर्स इंडिया टीम के साथ उन्हें पिट पर देखकर हैरानी होती थी. हालांकि तब तक माल्या के साम्राज्य के आर्थिक डांवाडोल होने की खबरें आने लगी थीं. बेहद खर्चीली एफ1 टीम के खर्च उठाना जब मुश्किल भरा हो गया तो उन्होंने 42.5 फीसदी हिस्सेदारी सहारा को बेच दी. जिस प्रेस कांफ्रेंस में इस डील की घोषणा हुई, उसमें माल्या और सहाराश्री सुब्रत राय दोनों मौजूद थे. करीब 05 फीट 05 इंच कद वाले माल्या उस प्रेस कांफ्रेंस में कुछ बुझे हुए लगे. चेहरे पर कोई भाव नहीं. अब तो खैर इस एफ1 टीम का डिब्बा गोल हुए भी तीन साल हो चले हैं.  
कर्ज और तमाम कानूनी कार्रवाइयों के बीच बुरी तरह से फंसते जाने के बीच माल्या अपने परिवार और ढेर सारे सामान-असबाब के साथ 02 मार्च 2016 को लंदन भाग निकले. तब से महफिलें सजाने वाला ये बंगला सूना पड़ गया. पार्टियों, जाम, सुंदरियों के खिलाखिलाहट के दौर खत्म हो गए.आसपास के इलाकों में रात में यहां होने वाली पार्टियों के होहल्ले को लोग अब भी भूले नहीं हैं.  

माल्या के लंदन जाने के बाद बैंकों ने कई बार इस बंगले की नीलामी की. मोटे बेस प्राइस के चलते दो बार ये गैर बिका रहा. बैंकों को इसकी कीमत नीचे लानी पड़ी. आखिरकार मुंबई के एक एक्टर और हीरों के व्यापारी सचिन जोशी ने इसे 73 करोड़ में खरीदा. इस खरीद के बाद ऐसा लगा कि उनके दिन भी कुछ खराब खराब आ गए. पहले प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें पकड़ा. फिर हवाला का शिकंजा भी कस गया. 

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