कठवत बनाना है , जानते हो ?

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कठवत बनाना है , जानते हो ?

चंचल  
    विलुप्त होती शब्द संपदा तकलीफ देगी .पीढियां पूछेंगी - ये शब्द लुप्त कैसे हुए ? निहायत आसान सा  जवाब  मिलेगा -  शब्द निरर्थक नही होता , निरपेक्ष भी नही , वह संबोधन है,  किसी अस्तित्व का .कोई अस्तित्व खत्म हो या उसका रूप बदल जाए तो , उसके लिए गढ़ा गया शब्द भी विलुप्त हो जाता है .उसके विलुप्त होने का रोना कुछ समय तक चलेगा लेकिन कब तक ? एक दिन वह भी थम जायगा और एक शब्द भी खत्म हो जाएगा . 
   घर मे पिता जी की ' नंगई ' बहुत दमदार थी .'  बरिया काहे ना बनी ? छिनरौ अपुना  बदे कटहरे का रसेदार , तेलही सोहारी आम के  अचार ? हमे बदे एक ठो बरिया न बन सकत रही ? फिर लात मार के चूल्हा फोड़ा जाता , पिसान      फेंका   जाता   वगैरह वगैह .एक   दिन   इसी ' महाभारत '  में कठवत टूट गयी .अइया को लोंगो ने पहली बार गुस्सा होते देखा था ,  चूल्हे से  निकाल के जलता ' चैला'  लगी मारने पिता जी को कि पूछो मत .पिता जी माई बप्पा करते चूतर सहलाते भागे .लोग बताते है  इसके बाद पिता जी  गुस्सा तो कई बार हुए पर न चूल्हा टूटा न कठवत फूटी .कठवत कहाँ से टूटती जब बची ही नही . 
   कठवत ?  
     शुक्रिया रविदास जी !  आपने कठवत को जिंदगी  दे दिया , वरना तो इसका नाम लेवा कोई नही बचा . 
        मन चंगा  
       तो कठौती  में गंगा . 
कठौती काठ की बनती थी .इसे पीतल के पारात ने खिसकाया चमक का रुआब दिखा कर .पीतल को क्या मालूम था जमाना नकली पालिश का आ रहा है .गया- गुजरा लोहा नकली पालिश लगा कर दरवाजे के  बाहर खड़ा है , पीतल , कस्कूट , फूल और कांसे के बर्तन  सरे आम बिकेगा , बदले में लोहा आएगा स्टेनलेश स्टील बन कर .अब कठवत स्टेनलेस स्टील में है . 
    मेटलर्जी इंजियनरिंग का एक मजबूत विषय है , मैकाले की नालाकयक  औलादों ने इसे देश मे घुसने ही नही दिया , इन्हें यह नही पढ़ाया की बताओ धातु के बर्तनों का सेहत पर क्या असर पड़ता है ? भारतीय उपमहाद्वीप के लोंगो को सेहत और स्वाद देने वाले अन्न, किस धातु से कितना परिमार्जित होते हैं ? इन धातुओं में लकड़ी और मिट्टी भी शामिल है .यह पढ़ाई के बाहर है . 

     -  कठवत बनाना है , जानते हो ?  
     -  बहुत आसान है , लेकिन किसे चाहिए ? अब तो यह किसी भी घर मे नही मिलेगा . 
      - किस लकड़ी की बनती है ?  
      - आंवला , जामुन , कटहल और नीम , आम भी . 
 माथा ठनका - एक बार काशी विश्वविद्यालय मेडिकल कालेज के डॉक्टर उड़प्पा जी ने कुलपति को सुझाव दिया कि  बच्चों के छात्रावासों में पानी की जो टंकियां बनी हैं,  उनमें आंवले की छाल नियमित रूप से डाली जाए तो पानी औषधि बन जायगी . 
    अइया ! आपके लिए कठवत बनवा रहा हूँ .पिसान इसी  में  साना जायगा . 
   - पिसान ? साना जायगा ?  यह क्या है ?  
    - ऐसा बोल रहे हो जैसे 'बरिया ' या  'जरतै चैला ' जानते हो ?  
      - यह क्या है ?  
   - यह गांव है , आकर देख जाइये .

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