अंबरीश कुमार
ओल्ड एज होम में काफी समय से रहने वाली मिसेज चक्रवर्ती खामोश हो गई थी . कैसा सदमा लगा उन्हे कि आवाज ही बंद हो गई . उनकी देखभाल करने वाली नर्स बहुत परेशान थी . एक घंटे पहले तक वे बहुत खुश थी . नहाने के बाद धुला हुआ गाउन पहना . बहुत खुशबू वाला टेल्कम पावडर इस्तेमाल किया ताकि बेटे को दवा या अस्पताल की गंध परेशान न करे . चार साल बाद बेटा न्यूयार्क से आ रहा था . बेटा एक मल्टी नेशनल कंपनी में रहा पर व्यस्तता बहुत रहती . बीबी भी नौकरी में रही पर लखनऊ आना मुश्किल रहता . पिछली बार तब आना हुआ जब अलीगंज का मकान बेचना था . तब से मिसेज चक्रवर्ती ओल्ड एज होम में रहती है . चक्रवर्ती साहब दस साल पहले ही गुजर गए थे . घर था तो मन भी लगा रहता पर अकेले घर में कैसे रहती . बेटे ने समझाया और घर बिक गया . अब ओल्ड एज होम ही उनका घर था दर्जन भर से ज्यादा लोगों का साथ रहता पर बेटे को देखने के लिए परेशान रहती . आज उनका बेटा आ रहा था दोपहर के आसपास दिल्ली से पहुंचना था . उसी का वे इंतजार कर रहीं थी . बेटा दिल्ली आ चुका था . दो घंटे बाद ही वह इस ओल्ड एज होम पहुंचने वाला था .
यह लखनऊ का बहुत ही नामी ओल्ड एज होम माना जाता है .इसके एक हिस्से में अस्पताल भी हैं जिसमें ज्यादातर बुजुर्ग भर्ती रहते हैं . लखनऊ में महानगर से कपूरथला जाते हुए चौराहे से कुछ पहले एक ओल्ड एज होम पड़ता है . एक दौर में हर महीने अपना एक बार तो जाना होता ही था . वजह पापा के लिए जो नर्स आती थी उसे यही ओल्ड एज होम भेजता था . करीब बीस से पच्चीस हजार रुपए पड़ जाता था क्योंकि कई बार जब मुझे बाहर जाना होता तो रात की ड्यूटी वाली नर्स की भी जरूरत पड़ती . इसलिए वहां जाकर उनका रजिस्टर देखने के बाद भुगतान करना होता . इंडियन एक्सप्रेस /जनसत्ता का दफ्तर गोमती नगर में है जहां से कुछ देर के लिए मैं निकलता इस ओल्ड एज होम के लिए . इस वजह से वहां का स्टाफ भी जानने लगा था . जो नर्सें घर आती उनसे भी काफी बातचीत होती जो अमूमन गांव से आई हुई पढ़ी लिखी लड़कियां होती . आर्थिक अभाव से जूझती ये लड़कियां बिना किसी प्रशिक्षण के अटेंडेंट का काम पहले सीखती और करती . ओल्ड एज होम में कई ऐसे बुजुर्ग महिला पुरुष थे जिनके बेटे बेटी विदेश चले गए थे . वे हर महीने अपने मां पिता की देखभाल का पैसा बाहर से ही भेज देते .
ऐसे ही लोगों में मिसेज चक्रवर्ती शामिल थीं . ओल्ड एज होम में सत्तर से अस्सी पिचासी साल के लोग भी थे . अलग अलग वजहों से वे इस ओल्ड एज होम में आए और यहां उनका नया परिवार बन गया . कुछ के बेटे बेटी बहू महीने दो महीने में मिलने आते तो कुछ के चार छह महीने में . पर मिसेज चक्रवर्ती का बेटा रंजन चार साल बाद आ रहा था .
शाम के पांच बज गए तो वे परेशान हो गईं . नर्स से कहा ,मुझे व्हील चेयर से ओल्ड एज होम के दफ्तर तक ले ले चलो . शर्मा को पता होगा . शर्मा एकाउंटेंट भी था और दफ्तर भी देखता था . नर्स उन्हे लेकर दफ्तर तक गई . मिसेज चक्रवर्ती को देखते शर्मा खड़ा हो गया और बोल ,मैडम रंजन बाबा ने साल भर का पैसा एडवांस जमा कर दिया है . मिसेज चक्रवर्ती ने पूछा ,कब ? शर्मा ने जवाब दिया ,दो घंटा हो गया अब तो दिल्ली की फ्लाइट पहुंचने वाली होगी . आज रात ही उसे दुबई निकलना है .
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