अंबरीश कुमार
सुबह हो चुकी थी .गेस्ट हाउस की रसोई अभी शुरू नहीं हुई थी .काफी की इच्छा हुई तो बाहर निकल लिए .धुंध में ही .चाय बागान परिसर से बाहर युकिलिप्ट्स के दरख्त से घिरी सड़क पर कुछ दूर जाने पर काफी मिली .चाय बागान के अतिथि गृह में थे पर काफी के लिए बाहर की ठंढी हवा में जाना सुखद रहा .चाय बागान की पहाड़ियां लगता है तराश कर बनाई हुई हैं .बंगलूर से जब मैसूर होते हुए ऊटी पहुंचे तो पहले मोर पंखी के बहुत पुराने दरख्त मिले और अब यह युकिलिप्ट्स .दरअसल इसी युकिलिप्ट्स की गंध आपको समूचे कुन्नूर और ऊटी में महसूस होगी .और कभी प्रयास करें किसी चाय बागान के अतिथि गृह में ठहरने का .आपको चालीस के दशक का अनुभव मिलेगा .इन चाय बागान के मैनेजर अपने इलाके के कलेक्टर माने जाते हैं .घोड़े पर चलना ,चमड़े के बड़े जूते और हैट पहने ये मिलेंगे .मुझे सबसे पहले मकाइबारी टी स्टेट में यह अनुभव मिला था .मैंने उनके आलिशान बंगले देखे रहन शहन देखा .इन बंगलों में बार और रीडिंग रम के आलावा एक छोटा थियेटर भी था.
वजह पूछने पर मैनेजर ने कहा ,हम शहर से दूर जंगल में रहते हैं .एक दो परिवार आउट हाउस में रहता है .हमारे बच्चे दार्जिलिंग में पढ़ते हैं ऐसे में खाने पीने के साथ फिल्म देखने का इंतजाम भी रखना पड़ता है .देर शाम उन्होंने छोटे प्रोजेक्टर पर सेकंड वर्ल्ड वार की एक जासूसी फिल्म लगा दी जिसमें एक युद्ध बंदी किस तरह ग्लाइडर बना कर जेल से भागने में कामयाब होता है इसकी कहानी थी .फिल्म खत्म हुई तो डिनर तैयार था .उससे पहले हम लोग इस बंगले के बार में भी बैठे .सिंगल माल्ट से अलमारी भरी हुई थी .सोते सोते रात के बारह बज चुके थे .इनके खानसामा कितने हुनरमंद होते हैं यह तरह तरह के व्यंजनों से पता चला .प्रान से लेकर वियतनाम की बाशा भी बनाई गई थी .
कुन्नूर कई बार जाना हुआ .सत्तर के दशक से ही .घरवालों के साथ एकबार कार्यक्रम उसी दौर में बना पर टल गया .हम लोग मदुरै में थे .एक शाम पापा ने नीलगिरी का पर्यटन वाला ब्रोशर दिया और कहां यहां जाना चाहिए .सीधी बस थी .पहली बार नीलगिरी की सम्मोहक फोटो देखी जो मुझे शिमला और दार्जिलिंग से ज्यादा खूबसूरत जगह लगी .ये दोनों जगह देख रखी थी पर ऊटी जाने की बजाये हम लोग कन्याकुमारी की तरफ चले गए .पर दूसरे या तीसरे साल मित्रों के साथ कार्यक्रम बना दक्षिण का तो फिर पहली बार आना हुआ .पर उसके बाद एक दौरा तब हुआ जब जब बंगलूर में एक अख़बार से जुड़ा .कुन्नूर में तभी पहली बार रुकना हुआ . कुन्नूर और ऊटी दक्षिण के सबसे खूबसूरत पहाड़ी सैरगाह हैं .फोटो साभार जारी
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments