तरबूज के इस मौसम में

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

तरबूज के इस मौसम में

सतीश जायसवाल  
गर्मियों के मौसम की शाम रसीले तरबूजों और मीठे खरबूजों से खिलती है.कितने मौसमों से ये फल  मन को ललचा रहे थे.लेकिन बड़े बड़े तरबूज एक अकेले आदमी को बस दूर दूर से ललचाते हैं. तरबूज का रसीला स्वाद तो भरे-पूरे घर-परिवार का मजा होता है. 
इसका एक तरीका सूझा.इंडियन कॉफी हाउस की हमारी टेबल मण्डली भी तो मेरे लिए एक परिवार ही हुई.पिछले 04, 05 मौसमों से अपनी इस मण्डली के सामने तरबूज-भोज का एक शानदार प्रस्ताव रख रहा था.लेकिन इतना निर्दोष सा प्रस्ताव भी मण्डली की टेबल पर हर बार गिरता रहा.और रसीले तरबूज का शीतल लाल रंग दूर दूर से ललचाता रहा. 
रंजना ने एक रास्ता सुझाया. और मुझे समझ में आया कि बहुत हुआ. कोई साथ नहीं तो क्या हुआ ? मैँ तो हूँ ना !मैंने आज एक बढ़िया सा तरबूज खरीदा. और सुन्दर ढंग से काटकर प्लास्टिक के दो डिब्बों में सजाया और ठंडा होने के लिए फ्रिज में रख दिया. अब बेसब्री से अपने तरबूजों के लिए रास्ता देख रहा हूँ. किन्हीं औरों के लिए क्या रास्ता देखना ? कहीं, कोई एक तो है ! जिसके साथ मेरा कोई रिश्ता नहीं, फिर भी कोई रिश्ता तो है. 
हाँ, यह रंजना कौन है.नहीं बताऊंगा.लोग अंदाज़ लगाते रहें और मेरे दोस्तों की सूची खंगालते रहें.वहां एक नहीं, बल्कि 05- 05 रंजना हैं.सभी अपने अपने फील्ड के जाने-माने नाम. 
 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :