अडानी के घपलों में फंसी मोदी हुकूमत

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अडानी के घपलों में फंसी मोदी हुकूमत

हिसाम  सिद्दीकी

नई दिल्ली.  गौतम अडानी ने देश विदेश के बैंकों और दीगर मआशी इदारों के साथ जो बड़े पैमाने पर घपले और घोटाले किए हैं नरेन्द्र मोदी सरकार उनमें बुरी तरह फंस गई है.  इसीलिए जम्हूरी तारीख में शायद पहली बार यह हो रहा है कि सत्ता में बैठी पार्टी ने पार्लियामेंट में हंगामा करके ऐवान की कार्रवाई नहीं चलने दी.  खबर लिखे जाने तक पार्लियामेंट इजलास के पांच दिन गुज़र चुके थे लेकिन एक दिन भी ऐवान की कार्रवाई चल नहीं पाई थी.  बीजेपी का मतालबा था कि ब्रिटेन जाकर राहुल ने देश की तौहीन की है इसलिए वह बिना शर्त माफी मांगे तभी पार्लियामेंट चलने दी जाएगी.  तेरह मार्च को छुट्टियों के बाद जब पार्लियामेंट का एजलास दुबारा शुरू हुआ तो बगैर किसी नोटिस के लोकसभा में डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह और राज्य सभा में पियूष गोयल ने राहुल गांधी पर देश की तौही करने का इल्जाम लगाते हुए उनसे माफी मांगने का मतालबा किया.  राहुल ने देश की क्या तौहीन की और कौन सी तौहीन आमेज बात कही यह कोई नहीं बता पाया.  बीजेपी के बड़बोले वजीर रहे रविशंकर प्रसाद ने एलान कर दिया कि बीजेपी पूरे मुल्क में राहुल गांधी के खिलाफ मुहिम चलाएगी.  लंदन से वापसी पर राहुल गांधी सोलह मार्च को पार्लियामेंट पहुंचे उन्होंने स्पीकर ओम बिड़ला से मुलाकात करके कहा कि लोकसभा में उनके खिलाफ सख्त इल्जामात लगाए गए हैं इसलिए वह भी ऐवान में ही जवाब देना चाहते हैं यह उनका संवैधानिक हक भी है इसलिए उन्हें लोकसभा में बोलने का मौका दिया जाए.  बाखबर जराए के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार अडानी के घपलों और घोटालों में न सिर्फ बुरी तरह फंसी हुई है बल्कि डरी हुई है कि अगर अडानी मामले की जांच के लिए ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बन गई तो सरकार भी फंस सकती इसीलिए पार्लियामेंट का इजलास नहीं चलने दिया गया. 

मोदी सरकार को इसी इजलास में 2023-24 का बजट पास कराना है इसके अलावा पैंतीस बिलों को भी मंजूरी दिलानी है दो ढाई हफ्तों तक हंगामे के बाद आखिर में किसी दिन हंगामे के दौरान ही बजट और बिल पास करा लिए जाएंगे.  मोदी सरकार के वजीर और पूरी बीजेपी इसी बात पर अड़ी रही कि राहुल माफी मांगे.  राहुल गांधी और कांग्रेस का कहना था कि उन्हें लोकसभा में अपनी बात रखने का मौका तो दिया जाए.  अपोजीशन की सोलह पार्टियों के मेम्बरान पार्लियामेंट ने पन्द्रह मार्च को पार्लियामेंट से ई.डी. के दफ्तर तक मार्च निकालने की कोशिश की तो भारी पुलिस फोर्स लगाकर उन्हें रोक दिया गया.  अगले दिन फिर अपोजीशन पार्टियों के लीडरान ने इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात दोहराई.  दोनों तरफ से जो टकराव बना हुआ है वह खत्म होता नहीं दिखता है.  राहुल गांधी के खिलाफ डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह समेत चार मिनिस्टरों ने देश की तौहीन करने का इल्जाम तो लगा दिया लेकिन राहुल की बात सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है क्या यही जम्हूरी सिस्टम है? उन्होंने लंदन में यही तो कहा था कि भारत में जम्हूरियत को कमजोर किया जा रहा है.  बीजेपी और आर.एस.एस. ने तमाम संवैधानिक इदारों पर कब्जा कर लिया है यह लोग देश में जम्हूरियत को मज़बूत नहीं रहने देना चाहते. 

लंदन में दिए गए बयानात को लेकर कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने सफाई दी है.  उन्होंने कहा कि मेरे बयानात में ऐसी कोई बात नहीं थी जो मैंने पब्लिक रिकार्ड से नहीं निकाली.  सब कुछ यहां-वहां से जुटाया था.  यह पूरा मामला डिस्ट्रैक्ट करने का है.  दरअसल, वजीर-ए-आजम अडानी के मुद्दे से डरे हुए हैं.  वह बताएं कि अडानी से उनका क्या रिश्ता है.  राहुल गांधी ने यह सारी बातें प्रेस कान्फ्रेंस में कहीं.  साथ ही कहा कि लंदन में की गई तकरीर के मुद्दे पर पार्लियामेंट में तफसील से जवाब दूंगा.  मैं एमपी हूं और पार्लियामेंट मेरा मंच है.  राहुल ने कहा कि अडानी को श्रीलंका, बांग्लादेश और आस्ट्रेलिया में ठेके मिल रहे हैं.  पीएम मोदी और आस्ट्रेलिया के पीएम के दरम्यान क्या बात हुई पीएम उसके जवाब नहीं दे पाए.  मैं लोकसभा का मेम्बर हूं.  मेरी जिम्मेदारी अपनी बात लोकसभा में रखने की है.  मुझे अगर लोक सभा में बोलने का मौका मिलता है तो वहां मैं तफसील में इस मौजूअ पर अपनी बात रखूंगा.  हालांकि लगता है कि वह मुझे लोक सभा में बोलने नहीं देंगे.  इससे पहले पार्लियामेंट के बाहर राहुल ने कहा था- मैंने लंदन में भारत के खिलाफ कुछ नहीं कहा था.  अगर संसद में मुझे बोलने का मौका मिलेगा, तो मैं अपनी बात रखूंगा.  उन्होंने आगे कहा कि मेरा बोलना बीजेपी को पसंद नहीं है.  राहुल गांधी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से सेालह मार्च को मुलाकात की.  उन्होंने लंदन के बयान पर अपनी बात लोकसभा में रखने के लिए वक्त मांगा. 

राहुल गांधी ने कहा कि मैंने नहीं पीएम मोदी देशकी की तौहीन करते हैं.  मुझे याद है कि पिछली बार पीएम मोदी ने विदेश जाकर एलान किया था कि आजादी के सत्तर सालों में कुछ नहीं हुआ.  उन्होंने कहा था कि हमने दस साल खो दिया है.  भारत में बेहिसाब बेईमानी है.  यह सब उन्होंने विदेश में कहा था.  मैंने कभी अपने देश की तौहीन नहीं की.  मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा.  जब वह कहते हैं कि सत्तर सालों में कुछ नहीं हुआ, तो क्या यह हर भारतीय की तौहीन नहीं है? जो सरकार से सवाल करता है उस पर हमला होता है.  अगर कोई पीएम नरेंद्र मोदी का सपोर्टर है, तो उसकी भी आंख मूंदकर हिमायत की जाती है.  इसका उलटा जो लोग उन पर या उनकी सरकार पर सवाल उठाते हैं, उस पर हमला किया जाता है.  कुछ ऐसा ही ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कार्पोरेशन (बीबीसी) के साथ हुआ है.  बीबीसी ने गुजरात दंगों पर डाक्यूमेंट्री बनाई और मोदी ने सरकार ने तनाजा पैदा कर दिया.  इसे एक प्रोपेगैंडा बताया.  राहुल से जब यह पूछा गया कि वह अगले पीएम उम्मीदवार होंगे, इस पर उन्होंने कहा- मेरा पीएम कैंडिडेट होना चर्चा का मौजूअ नहीं है.  अपोजीशन का मरकजी आइडिया बीजेपी और आरएसएस को हराना है.  यह ख्याल कि एक आदमी सभी मसायल को हल करता है, सतही है.  लोगों से बात करने से मसायल हल हो जाते हैं.  इसके लिए मुताल्लिका फरीक और सरकार के दरम्यान बातचीत जरूरी है.  मैं ऊपर से नीचे तक एक ही शख्स वाले नरेंद्र मोदी के तर्ज से मुत्तफिक नहीं हूं जो चीजों को ठीक करने के लिए जादू की छड़ी लेकर इधर-उधर भागता है. 

राहुल ने कहा कि अमेरिका समेत दुनिया के जम्हूरी मुल्क यह नोटिस करने में नाकाम रहे कि भारत की जम्हूरियत खतरे में है.  भारत में हम बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ लड़ रहे हैं.  इन दोनों ने देश के तमाम संवैधानिक इदारों पर कब्जा कर रखा है.  ब्रिटेन में इदारे आजाद हैं और दो पार्टियां आपस में लड़ती हैं, लेकिन भारत में अपोजीशन बीजेपी और आरएसएस के साथ-साथ सरकारी इदारों से भी लड़ रहा है.  बीजेपी चाहती है कि भारत में दलित, आदिवासी, मीडिया और बाकी सभी लोग खामोश रहे.  वह इसलिए ऐसा चाहते हैं ताकि भारत में जो कुछ भी है, उसे ले सकें और अपने चार-पांच करीबियों को सौंप सकें.  मैं इंडियन फारेन पालीसी से मुत्तफिक हूं.  पीएम मोदी कहते हैं कि भारत की जमीन में कोई नहीं घुसा है.  हमारी एक भी इंच जमीन किसी ने नहीं ली है, लेकिन भारत को चीन से चैकन्ना रहने की जरूरत है.  वह बार्डर पर बहुत ज्यादा सरगर्म और जारेह (आक्रामक) है. 

राहुल गांधी ने लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में चीन की तारीफ की.  उन्होंने कहा कि चीन का इंफ्रास्ट्रक्चर देखिए, वहां रेलवे हो, एयरपोर्ट हो, सबकुछ कुदरत से जुड़े हैं.  चीन कुुदरत से मजबूती से जुड़ा हुआ है.  वहीं, अगर हम अमेरिका की बात करें तो वह खुद को कुदरत से भी बड़ा मानता है.  यह बताने के लिए काफी है कि चीन को अम्न पसंद है.  वहां सरकार एक कार्पोरेशन की तरह काम करती है.  राहुल ने यह भी कहा कि ग्यारह सितम्बर 2001 के हमले के बाद अमेरिका बाहरी लोगों को नौकरी देना कम कर रहा था, तब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने मेलजोल को बढ़ाने का काम किया.  राहुल की तकरीर का वीडियो सैम पित्रोदा ने शेयर किया है.  राहुल के इस बयान पर बीजेपी ने एतराज जताया है.  मरकजी वजीर अनुराग ठाकुर ने कहा- राहुल विदेशी धरती पर भारत को बदनाम कर रहे हैं.  राहुल ने भारत में अपोजीशन पार्टियों, लीडरान और जम्हूरी इदारों की दिक्कतों का जिक्र किया.  राहुल ने कहा, ‘‘मेरे फोन की जासूसी होती है.  अपोजीशन के खिलाफ केस दर्ज किए जाते हैं.  भारत में अपोजीशन लीडर के तौर पर यह एक ऐसा दबाव है, जो मुसलसल झेलना पड़ता है.  राहुल गांधी ने कहा कि मैं भारत जोड़ो यात्रा लेकर कश्मीर गया तो सिक्योरिटी वाले बोले- आप कश्मीर में पैदल नहीं चल सकते.  आप पर हैंड ग्रेनेड से हमला हो सकता है.  इसके बावजूद मैंने कश्मीर के अलग-अलग जिलों में अपनी यात्रा जारी रखी.  राहुल गांधी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर मुबय्यना (कथित) हिंसक जगह है.  मैं कश्मीर के पुलवामा में उस जगह पर भी गया जहां सीआरपीएफ के चालीस जवान शहीद हुए थे. 

कैम्ब्रिज में राहुल ने कहा था कि  बड़े पैमाने पर सियासी लीडरान के फोन में पेगासस है.  मेरे फोन में भी पेगासस था.  मुझे इंटेलिजेंस अफसरान ने बुलाकर कहा था कि आप फोन पर जो कुछ भी कहें, बेहद होशियार होकर कहें, क्योंकि हम इसे रिकार्ड कर रहे हैं.  यह एक ऐसा दबाव है, जो हम महसूस करते हैं.  उन्होंने कहा कि अपोजीशन के खिलाफ केस दर्ज किए जाते हैं.  मेरे खिलाफ कई क्रिमिनल केस दर्ज किए गए हैं, लेकिन यह केस ऐसी चीजों के लिए दर्ज किए गए, जो मुजरिमाना नहीं थीं.  जब देश में मीडिया और जम्हूरी ढांचे पर इस तरह का हमला हो रहा हो तो अपोजीशन के तौर पर आपके लिए लोगों से बात करना मुश्किल हो जाता है.  राहुल बोले, ‘जम्हूरियत के लिए जरूरी ढांचा पार्लियामेेट, आजाद मीडिया और अदलिया होते हैं.  आज यह सब मजबूर होते जा रहे हैं.  इसलिए हम भारतीय जम्हूरियत के बुनियादी ढांचे पर हमले का सामना कर रहे हैं.  भारतीय संविधान में भारत को रियासतों का फेडरेशन बताया गया है.  उस फेडरेशन को बातचीत की जरूरत है.  यह वह बातचीत है जो खतरे में है.  आप देख सकते हैं तस्वीर जो पार्लियामेंट हाउस के सामने की है.  अपोजीशन लीडरान कुछ मुद्दों पर बात कर रहे थे और उन्हें जेल में डाल दिया गया.  ऐसा तीन-चार बार हुआ है जो हिंसक था. 

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