बीजेपी को हिन्दुत्व का ही सहारा

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बीजेपी को हिन्दुत्व का ही सहारा

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! मजहबी मुद्दों पर एलक्शन लड़कर पीएम मोदी की भारतीय जनता पार्टी को कर्नाटक मे मिली करारी शिकस्त के बावजूद पार्टी मजहब और हिन्दुत्व के मुद्दों पर ही कायम दिखती है.  बीजेपी ने कर्नाटक हारने के बाद मध्य प्रदेश के मुतनाजा (विवादित) धीरेन्द्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर बाबा का पटना में प्रोग्राम कराया जिसमें अपनी पूरी ताकत लगाकर पार्टी ने तकरीबन दो-ढाई लाख की भीड़ इकट्ठा कर दी.  धीरेन्द्र शास्त्री को हनुमान कथा करने के नाम पर बिहार ले जाया गया था.  धीरेन्द्र शास्त्री ने बिहार से भी संविधान मुखालिफ बातें करते हुए कहा कि ‘हिन्दू राष्ट्र तो बनकर ही रहेगा’.  उनकी तकरीर भड़काऊ थी इसके बावजूद नितीश कुमार हुकूमत ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराया और वह कथा के दौरान संविधान मुखालिफ बयानबाजी करके निकल गए.  उधर तेलंगाना के करीम नगर में बीजेपी ने हिन्दू एकता यात्रा निकाली तो उसमें शामिल लोगों ने भड़कीली नारेबाजी की इस हिन्दू एकता यात्रा की कयादत असम केे चीफ मिनिस्टर हेमंत बिस्वा सरमा ने की, बिस्वा सरमा ने यह बताने के बजाए कि अगर उनकी पार्टी की सरकार तेलंगाना में बनती है तो वह अवामी मफाद के क्या काम करेगी.  उन्होने हिन्दुओं को भड़काने की गरज से अपनी तकरीर मंे जोर देकर बताया कि उन्होने असम में सैकड़ों मदरसे बंद करा दिए हैं जल्द ही बाकी बचे तीन सौ मदरसों को भी बंद करा दंेगे.  उनकी बातों से वाजेह हो गया कि वह संविधान को नहीं मानेंगे क्योंकि संविधान हर मजहब के लोगों को यह अख्तियार देता है कि वह अपनी मजहबी तालीम के इदारे कायम कर सकते हैं.  लेकिन बिस्वा सरमा मुस्लिम दुश्मनी में संविधान को भी मानने के लिए तैयार नहीं हैं. 

पीएम नरेन्द्र मोदी ने 2013 से 2019 तक देश के अवाम से जो वादे किए वह वादे चूंकि पूरे नहीं हो सके इसलिए उनकी पार्टी के पास हिन्दुत्व और मजहब के अलावा दूसरा कोई ठोस मुद्दा नहीं है.  कर्नाटक एलक्शन हारने के फौरन बाद से ही बीजेपी आईटी सेल ने प्रोपगण्डा शुरू कर दिया कि उन्हों (मुसलमानों) ने तो मुत्तहिद होकर कांग्रेस को वोट दिए लेकिन हिन्दू जात-पात और तबकों में बंट गया.  कांग्रेस के वादों में फंसकर हिन्दुओं ने अपने मजहब को तरजीह (प्राथमिकता) नहीं दी.  आगे आने वाले एलक्शनों मंे हिन्दुओं को पूरी तरह मुत्तहिद होकर बीजेपी का साथ देना चाहिए.  तेलंगाना असम्बली में हैदराबाद की गोशामहल सीट से बीजेपी के मेम्बर असम्बली टी राजा सिंह हैं ने तिलमिलाहट में यहां तक कह दिया कि अपने पेट और मामूली लालच के सामने कर्नाटक के हिन्दुओं ने धर्म को छोड़ दिया, ऐसे हिन्दुओं पर लानत है.  बीजेपी आईटी सेल और टी राजा सिंह जैसे लोग यह तास्सुर देना चाह रहे हैं कि देश में अब धर्म का मतलब बीजेपी को वोट देना है.  कर्नाटक हारने के बाद चूंकि दक्खिन भारत से बीजेपी का सफाया हो गया है इसलिए पार्टी हर हाल में इस साल के आखिर में होने वाले तेलंगाना असम्बली का एलक्शन जीतना चाहती है.  बीजेपी लीडरान को इस बात का भी एहसास नहीं है कि दक्खिन भारत के लोग आम तौर पर न तो फिरकापरस्त होते हैं और न ही फिरकापरस्त सरगर्मियों मंे मुलव्विस होते हैं.  कर्नाटक के कालेजों में हिजाब पर पाबंदी लगाने वाले वजीर तालीम बी नागेश असम्बली एलक्शन हार गए.  जबकि हिजाब के लिए हर मोर्चे पर जद्दोजेहद करने वाली कनीज फातिमा गुलबर्गा नार्थ हलके से एलक्शन जीत कर असम्बली पहुंच गई.  वह खुद भी हिजाब पहनती हैं और हिजाब पहनकर ही उन्होेंने असम्बली का एलक्शन भी लड़ा था.  इन दोनों की हार-जीत इस बात का जीता जागता सबूत है कि दक्खिन भारत के लोग फिरकापरस्ती और हिन्दू मुस्लिम मुद्दे में कोई दिलचस्पी नहीं रखते, फिर भी बीजेपी मजहब और हिन्दू मुस्लिम मुद्दे से हटने को तैयार नहीं है. 

पटना में धीरेन्द्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर बाबा का जो प्रोग्राम हुआ वह पूरी तरह बीजेपी का प्रोग्राम था.  मरकजी वजीर गिरिराज सिंह और मोदी के जरिए वजारत से निकाले गए वजीर रविशंकर प्रसाद और बिहार असम्बली में लीडर आफ अपोजीशन विजय सिन्हा समेत बीजेपी के तकरीबन सभी लीडरान धीरेन्द्र शास्त्री की खिदमत में मसरूफ दिखे.  बीजेपी के लोक सभा मेम्बर मनोज तिवारी ने धीरेन्द्र शास्त्री के ड्राइवर का रोल अदा किया.  उसकी कथा सुनने के नाम पर भीड़ इकट्ठा करने और उसके लिए होटल वगैरह का इंतजाम भी इन्हीं लोगों के जरिए किया गया.  गिरिराज सिंह ने कहा कि कथा में शिरकत के लिए नितीश कुमार को भी दावतनामा भेजा गया था लेकिन वह कथा में शरीक नहीं हुए.  क्योकि वह तो इफ्तार पार्टियों में जाते हैं या वहां जाते हैं जहां जालीदार टोपियों की भीड़ हो.  बागेश्वर बाबा धर्म और हिन्दुत्व की बात करते हैं जो नितीश कुमार को पसंद नहीं है.  धीरेन्द्र शास्त्री आया तो था हनुमान कथा सुनाने लेकिन उसने बार-बार संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि हिन्दू राष्ट्र तो बनकर रहेगा.  उसकी संविधान मुखालिफ बातों के बावजूद संविधान का हलफ लेने वाले गिरिराज सिंह और बीजेपी के दीगर दर्जनों मेम्बरान पार्लियामेंट और मेम्बरान असम्बली उसकी खिदमत में मसरूफ रहे.  धीरेन्द्र शास्त्री ने बिहार के लोगों को पागल करार दिया बोला कि कथा में इतने लोगों को नहीं बुलाया गया था जितने पागल दौड़ पड़े. 

वजीर-ए-आला नितीश कुमार से जब धीरेन्द्र शास्त्री और उसकी तकरीर के बारे में सवाल किया गया तो उन्होने कहा कि यह वह लोग हैं जिनके पुरखों का आजादी की लड़ाई में कोई तआवुन नहीं रहा मुल्क के हर तबके और हर फिरके के लोगों ने मिलकर इत्तेफाक राय से संविधान बनाया, अब देश का नाम बदलने की क्या जरूरत पड़ गई.  आखिर वह देश का नाम क्यों बदलना चाह रहे हैं और किसके इशारे पर वह इस किस्म की बातें कर रहे हैं.  यह सब जानते हैं.  डिप्टी चीफ मिनिस्टर तेजस्वी यादव ने कहा कि हिन्दू राष्ट्र बनवाने का इनका ख्वाब कभी पूरा नहीं होगा ऐसे लोगों को तो मजहबी भी नहीं कहा जा सकता जो मजहब का चोला ओढकर नफरत फैलाने का काम करते हैं.  लालू यादव से जब मीडिया नुमाइंदों ने धीरेन्द्र शास्त्री के बारे में सवाल किया तो उन्होने सिर्फ इतना कहा कि यह कौन है? लालू के बड़े बेटे और बिहार के कैबिनेट वजीर तेज प्रताप यादव ने कहा कि वह कोई बाबा नहीं है.  बार-बार साबित हो चुका है कि वह एक जालसाज है उसे आप लोग बाबा मत कहिए.  उन्होंने कहा कि यह देश भगवान कृष्ण का है जो यदुवंशी थे हम लोग उन्हीं की नस्ल के हैं. 

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