चीन को लाल आंखें कब दिखाएंगे मोदी ?

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चीन को लाल आंखें कब दिखाएंगे मोदी ?

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! अरूणाचल के तवांग में आठ की रात और नौ दिसम्बर की सुबह चीन के तकरीबन तीन सौ फौजियों ने लाइन आफ एक्चुअल कण्ट्रोल (एलएसी) पार करके भारतीय फौजियों के साथ मार-पीट की.  भारतीय फौजियों ने उन्हें मुंह तोड़ जवाब देते हुए वापस धकेल दिया.  इस मार-पीट में दोनों तरफ के दर्जनों जवान जख्मी हुए, भारतीय फौज के ज्यादा जख्मी छः जवानों को इलाज के लिए गवाहाटी के आर्मी अस्पताल पहुंचाया गया.  2020 में चीन ने इसी तरह की नापाक हरकत गलवान घाटी में की थी.  उस वक्त भारतीय फौज के बीस जवान शहीद हो गए थे.  गलवान घाटी में हुई हरकत से अबतक चीन लाइन आफ एक्चुअल कण्ट्रोल पर आए दिन कोई न कोई हरकत करता रहता है.  लेकिन गुजरात के वजीर-ए-आला की हैसियत से उस वक्त के वजीर-ए-आजम डाक्टर मनमोहन सिंह को चीन को लाल आंखें दिखाने का मश्विरा देने वाले अब मुल्क के वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी आठ सालों से चीन को लाल आंखें नहीं दिखा रहे हैं, आखिर क्यों? चीन की किसी भी हरकत पर पीएम मोदी चीन का नाम लेकर उसकी मजम्मत (निंदा) भी नहीं करते.  हद यह है कि चीन को कोई सख्त जवाब न देना पड़े इसलिए मोदी हुकूमत पार्लियामेंट में चीनी घुसपैठ पर बहस भी नहीं कराती.  तवांग मामले पर बहस का मतालबा करते हुए अपोजीशन पार्टियों ने लोक सभा और राज्य सभा दोनों में हंगामा करने के बाद दोनों एवानों से कई दिनों तक वाकआउट भी किया लेकिन सरकार बहस कराने के लिए तैयार नहीं हुई.  सरकार की इस कमजोरी का नतीजा यह है कि चीन ने उल्टे भारत पर इल्जाम लगा दिया कि तवांग में भारतीय फौजियों ने एलएसी पार करके चीनी फौजियों का रास्ता रोकने का काम किया.  पीपुल्स लिबे्रशन आर्मी (पीएलए) ने भारतीय फौजियों को सख्त जवाब दिया. 

बीजेपी और मोदी सरकार की जानिब से तवांग मामले पर भी नेहरू और कांग्रेस की कमजोरियां गिनाई जा रही हैं.  तेरह दिसम्बर को पार्लियामेंट के बाहर मीडिया से बात करते हुए होम मिनिस्टर अमित शाह ने 1962 से 2014 तक कांगे्रस की सैकड़ों गलतियां गिनवा दीं.  यह भी बता दिया कि 2005 में राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी सिफारतखाने से एक करोड़ पैतीस लाख रूपए का चंदा मिला.  कांगे्रस ने हमेशा चीन के लिए अपने देश का नुक्सान कराया.  उन्होने कहा कि कांग्रेस ओर अपोजीशन ने पार्लियामेंट से इसलिए वाकआउट किया कि अगर चर्चा हो जाती तो कांग्रेस के सारे गुनाह मुल्क के सामने आ जाते.  अमित शाह का यह बयान उल्टा चोर कोतवाल को डांटने जैसा है.  क्योकि तवांग पर बहस का कांगे्रस और अपोजीशन का मतालबा न माने जाने पर ही तो अपोजीशन ने वाकआउट किया फिर बहस से कौन भागा?

अमित शाह ने यह भी कह दिया कि यह इंतेहाई हस्सास (संवेदनशील) मामला है, इसलिए पार्लियामेंट में बहस नहीं हो सकती.  जाहिर है एलएसी पार करके चीनी फौजी भारत में घुसे, यह मामला हस्सास भी है और मुल्क के तहफ्फुज का भी है, इसपर पार्लियामेंट में बहस क्यों नहीं हो सकती.  आठ साल से मुल्क में मोदी की हुकूमत है दावा किया जा रहा है कि इससे मजबूत हुकूमत मुल्क में कभी नहीं बनी.  मोदी दुनिया के सबसे ताकतवर वजीर-ए-आजम हैं.  अगर इस दावे में सच्चाई है तो चीन की हरकतों पर मोदी खामोश क्यों रहते हैं.  यह कोई बीजेपी या कांगे्रस का मामला नहीं है.  यह मुल्क के तहफ्फुज का मसला है.  इसपर किसी भी कीमत पर कोई समझौता न हो सकता है और न ही किया जाना चाहिए.  नेहरू हुकूमत से 2014 तक की कांगे्रस की गलतियां गिनवाकर अमित शाह और मोदी हुकूमत अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती. 

तवांग में चीनी फौजियों की हरकत आठ दिसम्बर की रात और नौ दिसम्बर की सुबह हुई थी लेकिन बारह दिसम्बर तक सरकार ने इसे छुपाए रखा जब अखबारों में बड़ी-बड़ी खबरें शाया हो गईं तभी सरकार ने तस्लीम किया कि तवांग में झड़प हुई है.  इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा कि तीन सौ चीनी फौजी एलएसी पार करके भारत की सरहद में घुसे जबकि द हिन्दू ने चीनी फौजियों की तादाद छः सौ लिखी.  तेरह दिसम्बर को डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने पार्लियामेंट में इस मसले पर बयान देते हुए कहा कि चीनी फौज पीपुल्स लिबे्रशन आर्मी ने नौ दिसम्बर को अरूणाचल प्रदेश के तवांग इलाके के यांग्त्से में एलएसी की मौजूदा सूरतेहाल तब्दील करने की नापाक कोशिश की जिसे हमारे फौजियों ने बेमिसाल बहादुरी दिखाते हुए नाकाम कर दिया.  इस झड़प में हमारा कोई फौजी संगीन तौर पर जख्मी नहीं हुआ, जितने हमारे जवान जख्मी हुए उससे कहीं ज्यादा नुक्सान चीन का हुआ.  राजनाथ सिंह की इस बात पर कैसे यकीन किया जा सकता है कि कोई भारतीय फौजी संगीन तौर पर जख्मी नहीं हुआ अगर संगीन तौर पर जख्मी न होते तो छः जख्मी जवानों को इलाज के लिए तवांग से गवाहाटी क्यों ले जाया गया. 

कांगे्रस पार्टी ने पार्लियामेन्ट में सरकार के बयान को अधूरा करार देते हुए इल्जाम लगाया कि सरकार सच छुपा रही है.  पार्टी के कौमी तर्जुमान और लोक सभा एमपी गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार को सच बोलना चाहिए.  राजीव गांधी फाउंडेशन को मिले चंदे और फाउंडेशन के एफसीआरए (फेरा) को रोकने जैसे मुद्दे उठाकर देश का ध्यान नहीं बटाना चाहिए.  लोक सभा में कांग्रेस लीडर अधीर रंजन चैधरी ने कहा कि बीजेपी राजीव गांधी फाउंडेशन को तो बदनाम कर रही है अगर पार्टी और सरकार में हिम्मत है तो देश के सामने यह भी तफसील पेश करे कि पीएम केयर फण्ड में चीनी कम्पनियों से कितना पैसा लिया गया. 

याद रहे कि नौ (9) दिसम्बर को अरुणाचल प्रदेश में लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन के फौजियों की झड़प हुई थी.  तवांग सेक्टर में हुई इस झड़प में दोनों तरफ के कई फौजी जख्मी हुए.  छः जख्मी जवानों को इलाज के लिए गुवाहाटी के अस्पताल पहुंचाया गया है.  रिपोर्ट के मुताबिक चीनी फौजी तवांग इलाके में भारत की एक पोस्ट को हटाना चाहते थे.  जराए के मुताबिक भारतीय फौज ने चीन की घुसपैठ का करारा जवाब दिया.  इस वाक्ए में चीनी फौज को भारतीय फौज से काफी ज्यादा नुकसान हुआ.  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सत्रह (17) हजार फीट की ऊंचाई पर यह झड़प हुई.  चीन के तीन सौ (300) फौजियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय फौजी इस तरह की हरकत का जवाब देने के लिए पहले से ही तैयार थे.  द हिन्दू की खबर के मुताबिक चीनी फौजियों की तादाद छः सौ थी.  वाक्ए के बाद कमांडर सतह की बातचीत हुई और दोनों ही तरफ के जवान वहां से हट गए.  इस इलाके में दोनों फौजें कुछ हिस्सों पर अपना-अपना दावा ठोकती आई हैं.  इससे पहले पन्द्रह जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों फौजों के दरम्यान झड़प में बीस भारतीय फौजी शहीद हो गए थे, जबकि चीन के अड़तीस सिपाही मारे गए थे.  हालांकि चीन ने सिर्फ चार फौजी मारे जाने की बात ही कबूली थी. 

दोनों देशों के दरम्यान मिलिट्री अफसरान सतह पर एक समझौता है जिसके तहत दोनों देशों के फौजी एक तय दायरे में फायरिंग आर्म्स यानी रायफल या ऐसे ही किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगे.  अमूमन दोनों देशों के फौजी एक-दूसरे को हाथों से ही पीछे धकेलते हैं.  गलवान झड़प में चीनी फौजियों ने कांटेदार डंडों का इस्तेमाल किया था.  इसके बाद भारतीय फौजियों ने भी इसी तरह के इलेक्ट्रिक बैटन और कांटेदार डंडों का इस्तेमाल शुरू कर दिया.  लिहाजा, अब चीन को मुंहतोड़ जवाब मिलता है. 

गुजिश्ता साल इसी इलाके में दो सौ (200) चीनी फौजियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी.  तब भी भारतीय फौजियों ने इसे नाकाम कर दिया था.  तब पेट्रोलिंग के दौरान सरहदी तनाजे को लेकर दोनों देशों के फौजी आमने-सामने हो गए थे और कुछ घंटों तक यह सिलसिला चला था.  हालांकि इसमें भारतीय जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ और प्रोटोकाल के मुताबिक बातचीत से मसला सुलझा लिया गया.  मरकजी सरकार चीन के मंसूबों को मुस्तकिल तौर पर काउंटर करने के लिए नार्थ-ईस्ट में चालीस (40) हजार करोड़ रुपए की लागत से फ्रंटियर हाईवे बनाने जा रही है.  तकरीबन दो (2) हजार किलोमीटर लंबा यह हाईवे अरुणाचल प्रदेश की लाइफ लाइन और चीन के सामने भारत की मुस्तकिल ग्राउंड पोजीशन लाइन भी साबित करेगा.  फौजी अहमियत की बात करें तो यह भारत-तिब्बत के दरम्यान खींची गई मैकमोहन लाइन से होकर गुजरेगा.  अंग्रेजों के फारेन सेक्रेटरी हेनरी मैकमोहन ने इसे सरहद के तौर पर पेश किया था और भारत इसे ही असली सरहद मानता है जबकि चीन खारिज करता रहा है.  इस हाइवे की तामीर बार्डर रोड आर्गेजाइजेशन (बीआरओ) और नेशनल हाईवे अथारिटी मिलकर करेंगे.  फौज लाजिस्टिक सपोर्ट देगी.  फ्रंटियर हाईवे तवांग के बाद ईस्ट कामेंग, वेस्ट सियांग, देसाली, दोंग और हवाई के बाद म्यांमार तक जाएगा. 

गुजिश्ता साल चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सरहद से लगे इलाकों में पन्द्रह मकामात के नाम चीनी और तिब्बती रख दिए थे.  चीन की सिविल अफेयर्स मिनिस्ट्री ने कहा था- यह हमारी सालमियत और तारीख की बुनियाद पर उठाया गया कदम है.  यह चीन का हक है.  गलवान घाटी पर दोनों देशों के दरम्यान चालीस साल बाद टकराव के हालात पैदा हुए थे.  इसके बाद अब हिंसक झड़प की खबर सामने आई है.  गलवान पर हुई झड़प के पीछे की वजह यह थी कि गलवान नदी के एक सिरे पर भारतीय फौज ने आरजी पुल बनाने का फैसला लिया था.  चीन ने इस इलाके में गैर कानूनी तौर से बुनियादी ढांचे की तामीर करना शुरू कर दिया था.  साथ ही इलाके में फौजियों की तादाद में इजाफा कर रहा था.  दरअसल, चीन साउथ तिब्बत को अपना इलाका बताता है.  उसका इल्जाम है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया.  इसके पहले 2017 में चीन ने छः जगहों के नाम बदले थे.  चीन के इस कदम का भारत ने भी करारा जवाब दिया. 

वजारते खारजा के तर्जुमान अरिंदम बागची ने कहा- अरुणाचल प्रदेश भारत का अटूट हिस्सा है.  नाम बदलने से सच्चाई नहीं बदलती.  चीन ने 2017 में भी ऐसा ही कदम उठाया था.  अरुणाचल प्रदेश भारत का अटूट हिस्सा था और हमेशा रहेगा.  चीन की पीपुल लिबरेशन आर्मी अरूणाचल प्रदेश से लगी इण्टरनेशनल सरहद के नजदीक अपनी ताकत बढा रही है.  भारतीय फौज की ईस्टर्न कमाण्ड के अफसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कालिटा ने यह जानकारी दी.  उन्होंने कहा कि सरहद पर पैदा हो सकने वाली सूरतेहाल से निपटने के लिए भारतीय फौज भी अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर और सलाहियत में इजाफा कर रही है. 

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