मोहन भागवत की मुसलमानों से मुलाकात!

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मोहन भागवत की मुसलमानों से मुलाकात!

आरएसएस चीफ मोहन भागवत इक्कीस सितम्बर को अचानक अपने एक खानदानी गुलाम उमैर इलियासी के कब्जे वाली कस्तूरबा गांधी मार्ग की मस्जिद और फिर एक मदरसे में पहुंच गए. तभी यह भी पता चला कि तकरीबन एक महीना पहले बाइस अगस्त को साबिक चीफ एलक्शन कमिशनर याकूब कुरैशी, दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर रहे नजीब जंग, रिटायर्ड फौजी अफसर और अलीगढ मुस्लिम युनिवर्सिटी के वीसी रहे जमीर उद्दीन शाह, सहाफी शाहिद सिद्दीकी और एक मुस्लिम व्यापारी सईद शेरवानी से भी मिल चुके हैं. इस मुलाकात के लिए शाहिद सिद्दीकी ने खत लिखकर उनसे वक्त मांगा था. मुस्लिम दानिशवर बताए जाने वाले पांच लोगों से भागवत की मुलाकात की बात इक्कीस सितम्बर तक पोशीदा रखी गई, जब वह अपने गुलाम की तरह काम करने वाले उमैर इलियासी के कब्जे वाली मस्जिद गए तभी पता चला कि पांच मुसलमानों का एक ग्रुप बाइस अगस्त को उनसे मुलाकात कर चुका है. उमैर इलियासी को हम उनका पुश्तैनी गुलाम इसलिए लिख रहे हैं कि उमैर के वालिद जमील इलियासी साबिक आरएसएस चीफ के एस सुदर्शन के जमाने से ही आरएसएस का काम कर रहे थे. उमैर इलियासी भी अपने वालिद की तरह इन्द्रेश कुमार की कयादत वाले मुस्लिम मंच में कई सालों से सरगर्म हैं. इसलिए उनके कब्जे वाली मस्जिद में मोहन भागवत का जाना किसी मुसलमान के यहां जाना नहीं कहा जा सकता. उमैर पढे-लिखे भी नहीं हैं, बस लम्बी दाढी रख ली है और अपने वालिद जमील इलियासी के इंतकाल के बाद से ही मस्जिद की इमामत पर काबिज हैं.

जहां तक पांच मुसलमानों के आरएसएस चीफ से मिलने का सवाल है उसमें कोई बुराई नहीं है क्योकि देश में आरएसएस की आज जो हैसियत हो गई है उसके साथ मुसलमानों की बातचीत होते रहना जरूरी भी है. लेकिन यह मुलाकात और बातचीत सिर्फ आरएसएस और बीजेपी को खुश करने के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि एक ठोस एजेण्डे पर बात होनी चाहिए. मुसलमानों को अपने मसायल सरकार और आरएसएस दोनों के सामने रखना चाहिए. इसके बावजूद कि अभी तक के रिकार्ड के मुताबिक सरकार मुसलमानों के साथ कोई इंसाफ नहीं करने वाली. याकूब कुरैशी और नजीब जंग की जो बातचीत अब तक सोशल मीडिया पर आई है उससे पता चलता है कि इस मुलाकात के दौरान तीन मौजुआत पर ही मीटिंग का फोकस रहा है. एक मुसलमान हिन्दुओं को काफिर क्यों कहता है, दूसरा जेहाद और तीसरा गौकुशी के सिलसिले में मुसलमानों की क्या राय है. अगर ऐसे एजेण्डे पर मुसलमानों के नाम पर आरएसएस चीफ से मुलाकात करते हैं तो यह मुलाकात आरएसएस और बीजेपी की खुशामद करने और उनके जरिए इस्तेमाल होने के सिवा कुछ नहीं है. शाहिद सिद्दीकी तो इतने पुरउम्मीद हो गए कि कहते हैं कि उनकी मुलाकात के नतीजे में ही मोहन भागवत मस्जिद गए और मोदी सरकार में इंफारमेशन मिनिस्टर अनुराग ठाकुर ने यह कह दिया कि कुछ टीवी चैनल नफरत फैला रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. शाहिद एक चालाक सहाफी रहे हैं. उन्होंने यह नही देखा कि चैनलों और सोशल मीडिया में मोदी पर जो हमले हो रहे हैं उसे अनुराग ठाकुर नफरत फैलाने वाला कह रहे हैं.

आरएसएस चीफ से मुलाकात करने करने पांचों लोग अव्वल तो मुसलमानों के नुमाइंदे नहीं हैं. अगर मोहन भागवत को मुस्लिम डेलीगेशन से मुलाकात करके उनके मसले सुनने थे तो उन्हें सिर्फ इन पांच लोगों के बजाए दारूल उलूम देवबंद, दारूल उलूम नदवातुल उलेमा लखनऊ, महाराष्ट्र और दक्खिन भारत के मुसलमानों को शामिल करके एक ग्रुप को बुलाकर बात करनी चाहिए थी. बातचीत के हम भी खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जो लोग यह समझ रहे हैं कि इस तरह की बातचीत से मसले हल हो जाएंगे वह भी बहुत ही कम अक्ली की बातें कर रहे हैं. उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि आरएसएस की बुनियाद ही मुस्लिम मुखालिफत पर है. मोहन भागवत अक्सर दिल्ली में ही रहते हैं क्या उन्हें यह नहीं पता है कि 2014 में मोदी हुकूमत बनने के बाद पूरे देश में मुसलमानों के साथ कैसा जुल्म व ज्यादती का बर्ताव हो रहा है. भागवत ने बात करके काफिर, गौकुशी और जेहाद पर बात तो कर ली, क्या उन्होंने यह भी वादा किया कि चैबीस घंटे मुसलमानों और इस्लाम को गाली देने वाले आरएसएस के सुदर्शन चैनल के खिलाफ भी कोई कार्रवाई कराएंगे. दिल्ली के आरएसएस दफ्तर से चंद किलोमीटर के फासले पर डासना में बैठा यति नरसिंहानंद रोज इस्लाम पर हमला करता है. अभी तो उसने यह तक कह दिया कि मदरसे के बच्चों के दिमाग में कुरआन नाम का ‘वायरस’ डाला जाता है. इसलिए मदरसों के लड़कों को ठीक करने के लिए उन्हें डिटेशन सेण्टर भेजा जाना चाहिए. क्या मोहन भागवत को यह  नहीं पता है कि जितने लोगों ने शहरियत कानून (सीएए) के खिलाफ जम्हूरी तरीके से आवाज उठाई थी दिल्ली पुलिस ने तकरीबन उन सबपर दहशतगर्दी मुखालिफ कानून यूएपीए और देशद्रोह का मुकदमा लगाकर जेल में डाल रखा है. क्या उन्हें यह भी नहीं पता कि देश का वजीर-ए-आजम और उनका पुराना स्वयं सेवक कपडे़ देखकर दहशतगर्दों की शिनाख्त करने की बात करता है फिर बातचीत का क्या मतलब है?

पांच मुसलमानों से बातचीत करने के एक महीने बाद मोहन भगवत मदरसे में गए और यह कहा कि मदरसों में भगवत गीता की तालीम भी दी जानी चाहिए. इन पांच मुसलमानों का यही हासिल है. सभी को पता है कि मदरसे सिर्फ इस्लामी तालीम के लिए होते हैं. भागवत अगर मदरसों में भगवत गीता पढाना चाहते हैं तो फिर फिरकावाराना यकजेहती के लिए यह क्यों नहीं कहते कि सरस्वती शिशु मंदिरों में कुरआन के कुछ चुनिंदा हिस्से भी पढाए जाने चाहिए. यकजेहती तो दोनों तरफ से हो सकती है यकतरफा कैसे होगी. मदरसे के बच्चों ने तो भागवत के सामने चार-पांच नारे लगाए भारत माता की जय के नारे भी लगाए, हिन्दू-मुस्लिम इत्तेहाद के नारे भी लगाए, लेकिन क्या किसी सरस्वती शिशु मंदिर में हिन्दू-मुस्लिम इत्तेहाद के नारे लगाए जा सकते हैं? फिर इन पांच मुसलमानों ने भागवत के साथ किस एजेण्डे पर बात की.

मुल्क के वजीर खारजा एस जयशंकर ने गुजिश्ता दिनों सऊदी अरब का दौरा करके वहां के क्राउन प्रिंस (वजीर-ए-आजम) मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी और वजीर-ए-आजम नरेद्र मोदी का खत उन्हें सौंपा था. जिसके जरिए पीएम मोदी ने उन्हें भारत आने की दावत भी दी थी. खबर है कि मोहम्मद बिन सलमान ने पीएम नरेन्द्र मोदी का दावत नामा कुबूल किया और नवम्बर के तीसरे हफ्ते में शायद 19 नवम्बर को भारत आने की बात भी कही, मोहन भागवत के मस्जिद जाने के कदम को इससे भी जोड़कर देखा जाना चाहिए कि यह कदम माहौल बनाने की एक कोशिश है. जहां तक उमैर इलियासी के कब्जे वाली मस्जिद जाने की बात है, जैसा हमने शुरू में ही कहा है कि उमैर के वालिद जमील इलियासी ने मुसलमानों के खिलाफ हिन्दुओं को भड़काने और बीजेपी के हक में हिन्दुओं को पोलराइज करने का काम 1993 में नरसिम्हा राव के जमाने से ही शुरू कर दिया था. जब उन्होने आल इंडिया इमाम कौंसिल बनाकर मस्जिद के इमामों की तंख्वाह सरकार से दिलाने का फैसला नरसिम्हा राव से कराया था. यह इंतेहाई बेहिसी और बेशर्मी की अलामत थी कि मुसलमानों को नमाज अदा करवाने वाले इमाम की तंख्वाह सरकार दे. आरएसएस और बीजेपी ने हिन्दू तबके में इस बात का बड़े पैमाने पर प्रोपगण्डा करके सियासी फायदा उठाया. अब उमैर इलियासी ने मोहन भागवत को गांधी के बराबर खड़ा करते हुए राष्ट्रपिता और ‘राष्ट्र ऋषि’ तक कह दिया. यह शख्स इतना लालची और खुशामदखोर है कि अपने छोटे-छोटै फायदों के लिए वह मोहन भागवत को अपना बाप भी बना सकता है.जदीद मरकज


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