हिसाम सिद्दीकी
नई दिल्ली! नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी जल्द ही राहुल गांधी को गिरफ्तार कर सकती है. दो और तीन अगस्त को जिस तरह ईडी ने नेशनल हेराल्ड के बारह ठिकानों पर छापेमारी करने के बाद तीन अगस्त को दिल्ली के हेराल्ड हाउस में कायम नेशनल हेराल्ड और यंग इंडिया के दफ्तर सील कर दिए उनसे यही इशारा मिलता है कि मोदी सरकार ने अब राहुल गाधी को ईडी के जरिए गिरफ्तार कराने का आखिरी फैसला कर लिया है. बीजेपी के कौमी सदर जे पी नड्डा गुजिश्ता दिनों पटना के एक प्रोग्राम में कह चुके हैं कि उनकी सरकार 2025 तक देश को ‘अपोजीशन मुक्त’ कर देगी. जाहिर है देश को अपोजीशन मुल्क करने के लिए सबसे बड़ी अपोजीशन पार्टी के लीडर को सियासी एतबार से पूरी तरह तोड़ना जरूरी है. एक खबर यह भी है कि अगर सोनिया गांधी की तबियत खराब न हुई तो राहुल गांधी के साथ उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है. कांग्रेस लीडरान की गिरफ्तारी के लिए सरकार को ज्यादा कुछ करने की जरूरत भी नहीं है. क्योकि सुप्रीम कोर्ट में जज रहे ए एम खानविल्कर रिटायर होते-होते अपने एक फैसले में ईडी को लामहदूद (असीमित) अख्तियारात दे गए हैं. वह फैसला दे गए हैं कि ईडी जिस किसी को चाहे गिरफ्तार कर सकती है और कुसूरवार ठहराने की जिम्मेदारी भी ईडी की नहीं होगी. इसके बाद ईडी जिसे चाहे गिरफ्तार कर ले और जेल भेज दे.
नेशनल हेराल्ड, एसोसिएटेड जर्नल्स और यंग इंडिया लिमिटेड के जरिए न तो कोई बैंक से कर्ज लिया गया न बैंक घोटाला हुआ न अवाम के पैसों का कोई इस्तेमाल हुआ. कांगे्रस पार्टी ने एसोसिएटेड जर्नल्स पर बाकी बिजली के बिल और मुलाजमीन की तंख्वाहें देने के लिए नव्वे करोड़ रूपए का कर्ज एसोसिएटेड जर्नल्स को दिया था. यह कोई पब्लिक फण्ड नहीं था. यंग इंडिया ने 2010 में एसोसिएटेड जर्नल्स को अपनी तहवील में ले लिया था. यंग इंडिया के जवाबित (नियमों) के मुताबिक उसके शेयर होल्डर्स इससे कोई मुनाफा या माली फायदा हासिल नहीं कर सकते. लेकिन इस मामले की शिकायत करने वाले बीजेपी लीडर सुब्राहमण्यम स्वामी का कहना था कि ‘यंग इंडिया’ बनाकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने एसोसिएटेड जर्नल्स की मुल्क भर में फैली एक हजार दो सौ करोड़ की जायदाद पर कब्जा कर लिया. सवाल यह है कि अगर उन्होंने कब्जा किया तो क्या उन जायदाद को बेच दिया. अब ईडी एसोसिएटेड जर्नल्स की जायदाद एक हजार छः सौ करोड़ बता रही है.
एसोसिएटेड जर्नल्स का मामला बिल्कुल सीधा-सीधा है इसमें बजाहिर कोई पेचीदगी नहीं है. इसके बावजूद पिछले दिनों ईडी ने सोनिया गांधी से तीन दिनों के अंदर तकरीबन ग्यारह घंटे और राहुल गांधी से पांच दिनों में पचास घंटे से ज्यादा तक पूछगछ की थी. सोनिया गांधी से पूछगछ करने के बाद ईडी ने कहा था कि दोनों के बयानात और सवालात के जवाब आपस में मिलाए जांएगे अगर कोई गड़बड़ी मिली तो इन दोनों से फिर पूछगछ की जा सकती है. अब नेशनल हेराल्ड और यंग इंडिया लिमिटेड की तलाशी के बाद ईडी ने जो दस्तावेज जब्त किए मुमकिन है यह कहा जाए कि हेराल्ड और यंग इंडिया से बरामद दस्तावेज राहुल गांधी और सोनिया गांधी के बयानात से मेल नहीं खाते. याद रहे कि मनमोहन सिंह की हुकूमत के दौरान आरएसएस और बीजेपी के एजेण्ट की तरह काम करने वाले उस वक्त के सीएजी विनोद राय ने इल्जाम लगा दिया था कि टूजी स्पेक्ट्रम की नीलामी में 176 करोड़ और कोयला खदानों की नीलामी में तकरीबन दो सौ करोड़ का घपला किया गया है. दोनों मामलात की हर तरह से जांच कर ली गई आठ साल से मोदी सरकार है लेकिन दोनों में कोई घपला या घोटाला साबित हुआ.
नेशनल हेराल्ड और यंग इंडिया के दफ्तरों पर छापे की कार्रवाई पर कांग्रेस लीडरान का कहना था कि मोदी हुकूमत अपोजीशन के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव कर रही है. चूंकि कांगे्रस ने महंगाई, बेरोजगारी और खाने-पीने के सामान पर लगाई गई जीएसटी के खिलाफ पांच अगस्त को पूरे देश में मुजाहिरा करने का एलान कर रखा था इसीलिए हड़बड़ी में मोदी हुकूमत कांगे्रस पार्टी के खिलाफ तरह-तरह की कार्रवाईयां कर रही है. लेकिन हमारी पार्टी इन कार्रवाइयों से न डरने वाली है न पीछे हटने वाली है. देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी होने के नाते अवाम के लिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम महंगाई, बेरोजगारी और खाने-पीने के सामान पर लगाई गई जीएसटी के खिलाफ आवाज उठाएं. हुकूमत पार्लियामेंट में बहस नहीं करने देती और सड़कों पर मुजाहिरा भी नहीं करने देती तो आखिर अवाम के मसायल उठाने के लिए अपोजीशन पार्टियां क्या करें?
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