सरकार को चाहिए अपोजीशन मुक्त पार्लियामेंट

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सरकार को चाहिए अपोजीशन मुक्त पार्लियामेंट

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! महंगाई और बेतहाशा लादी जा रही जीएसटी के खिलाफ आम लोग तो सड़कों पर निकल ही नहीं सकते, मेम्बरान पार्लियामेंट भी अगर इन मसलों पर बहस कराने की जिद करें तो उन्हें भी मोअत्तल करके पार्लियामेंट से बाहर कर दिया गया तो क्या वजीर-ए-आजम मोदी मुस्लिम मुक्त ‘भारत सरकार की तरह ही अपोजीशन मुक्त पार्लियामेंट चाहते हैं. पीएम मोदी ने तो कांगे्रस मुक्त भारत बनाने का एलान किया था. अब अपोजीशन लीडरान का कहना है कि मोदी तो पार्लियामेंट और पूरे देश को ही अपोजीशन मुक्त बनाने पर तुले हैं. महंगाई के मामले पर आवाज उठाने वाले लोक सभा के चार कांगे्रस मेम्बरान मणिक्कम टैगौर, एस ज्योतिमणि, राम्या हरिदास और टी एन प्रथापन को 26 जुलाई को सेशन के बाकी तमाम दिनों के लिए मोअत्तल कर दिया गया था उसके बाद 19 राज्य सभा मेम्बरान को एक हफ्ते के लिए मोअत्तल किया गया. अगले दिन 27 जुलाई को आम आदमी पार्टी के संजय सिंह को भी इसलिए मोअत्तल कर दिया गया कि वह गुजरात में जहरीली शराब सप्लाई होने से चालीस से ज्यादा लोगों की मौत का मामला उठा रहे थे. संजय सिंह पर इल्जाम है कि उन्होने कागज फाड़कर चेयरमैन की तरफ फेंका, बाकी उन्नीस मेम्बरान पर इल्जाम यह था कि उन्होंनेे राज्य सभा के वेल में आकर हंगामा और शोर शराबा किया. चेयरमैन की बार-बार हिदायतों को नजर अंदाज किया और एवान की तौहीन की, संजय सिंह का कहना था कि अगर इतने अहम मामले पर सरकार कुछ सुनना नहीं चाहती तो एक जिम्मेदार मेम्बर की हैसियत से हम क्या कर सकते थे. 28 जुलाई को आम आदमी पार्टी के दो अैर राज्य सभा मेम्बर सुशील गुप्ता और संदीप पाठक को सस्पेण्ड कर दिया गया. इने साथ आजाद राज्य सभा मेम्बर अजित कुमार भुयन को भी मोअत्तल किया गया. इस तरह खबर लिखे जाने तक मोअत्तल किए गए मेम्बरान पार्लियामेंट की तादाद 27 हो चुकी थी. राज्य सभा चेयरमैन और सरकार की तरफ से वाजेह कर दिया गया कि मोअत्तल किए गए मेम्बरान माफी मांग लें तो उनकी मोअत्तली वापस ली जा सकती है. ऐसी उम्मीद थी कि जब तक यह अखबार अपने पढने वालों के दरम्यान पहुंचेगा पहली अगस्त से शुरू होने वाले हफ्ते में मोअत्तल मेम्बरान एवान में भी आएंगे और सरकार महंगाई पर बहस भी कराएगी.

याद रहे कि 2011 से 2014 के लोक सभा एलक्शन तक भारतीय जनता पार्टी ने तरह-तरह के मामलात उठाकर पार्लियामेंट के बेश्तर इजलास नहीं चलने दिए गए थे. उस वक्त 30 जनवरी 2011 को राज्य सभा में लीडर आफ अपोजीशन रहे अरूण जेटली ने कहा था कि अगर समाज और देश के मुद्दों को सरकार की जानिब से नजर अंदाज किया जाए तो ऐसे मुद्दों को उठाने के लिए पार्लियामेंट की कार्रवाई में रूकावट डालना गलत नहीं बल्कि जम्हूरी (लोकतान्त्रिक) है. उस वक्त लोक सभा में सुष्मा स्वराज लीडर आफ अपोजीशन थी, उन्होने कहा था कि पार्लियामेंट को न चलने देना भी जम्हूरियत की एक शक्ल और तरीका है. अब उसी बीजेपी की सरकार है तो वह पार्लियामेंट में किसी भी मुद्दे पर हंगामा करने को पार्लियामेंट और जम्हूरियत की तौहीन बता रही है।

मुल्क में महंगाई अपने उरूज पर है इसके बावजूद मोदी हुकूमत ने खाने-पीने के मामूली सामानों तक पर भी जीएसटी लगा दिया. अपोजीशन का कहना है कि अगर इतने अहम मुद्दे पर भी पार्लियामेंट मेें बहस नहीं होगी तो कब होगी, रही बात फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण की बीमारी की तो क्या एक मिनिस्टर के पार्लियामेंट में न होने से पूरी सरकार ही अपाहिज हो गई. फाइनेंस मिनिस्ट्री में मिनिस्टर आफ स्टेट भी हैं वह लीडर आफ द हाउस और वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी भी बहस का जवाब दे सकते हैं. संजय सिंह का यह कहना है कि गुजरात मुल्क का एक ऐसा प्रदेश है जहां आजादी के वक्त से ही शराब पर पाबंदी है. तकरीबन 27 साल से वहां बीजेपी की सरकार है. खुद वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी तकरीबन पन्द्रह साल तक गुजरात के चीफ मिनिस्टर रहे हैं. इसके बावजूद गुजरात में शराब की स्मगलिंग भी जारी है और जहरीली शराब का भी कारोबार बडे़ पैमाने पर होता है. आखिर इस कारोबार को रोकने की जिम्मेदारी किसकी र्है और किसकी पुश्तपनाही में गुजरात में यह धंधा शबाब पर है. जहरीली शराब पीने से चालीस लोगों की मौत हो गई और सरकार पार्लियामेंट में इस मसले पर बात भी नहीं करना चाहती तो हम अपनी बात कहां रखें.

जिन उन्नीस राज्य सभा मेम्बरान को 26 जुलाई को मोअत्तल किया गया उनमें माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ए ए रहीम और डाक्टर वी शिवदासन, सीपीआई के संतोष कुमार, सबसे ज्यादा तृणमूल कांगे्रस के सात मेम्बरान डोला सेन, सुष्मिता देव, शांतनु सेन, मौसम नूर, अबीर विश्वास, शांता छेत्री और नदीमुल हक, डीएमके के छः मेम्बरान डाक्टर कानिमोझी, एन वी एन सोनू, एम मोहम्मद अब्दुल्लाह, एस कल्याण सुंदरम, आर गिरिराजन, आर एन एल नगो और एम षणमुगम, टीआरएस के तीन आर सी वदीराजू डी आर शिवाकोंडा और बी एल यादव शामिल हैं. 27 जुलाई को आम आदमी पार्टी के संजय सिंह को, 28 जुलाई को आम आदमी पार्टी के ही सुशील गुप्ता और संदीप पाठक को मोअत्तल किया गया उनके साथ एक आजाद मेम्बर राज्य सभा अजित कुमार को भी मोअत्तल कर दिया गया.

राज्य सभा से जिन मेम्बरान को मोअत्तल किया गया उनमें कांगे्रस के मेम्बरान शामिल नहीं हैं बल्कि बाकी अपोजीशन पार्टियों के हैं वह भी ऐसी रियासतों के जो रियासतें हस्सास (संवेदनशील) समझी जाती हैं. जैसे तमिलनाडु, तेलंगाना, मगरिबी बंगाल और केरल. इसीलिए अपोजीशन लीडरान ने इल्जाम लगाया कि मोदी चले तो थे कांग्रेस मुक्त भारत बनाने लेकिन लग गए अपोजीशन मुक्त भारत बनाने में, ऐसे देश कैसे चलेगा.

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