हिसाम सिद्दीकी
नई दिल्ली! एक दर्जन से ज्यादा रियासतों में बडे़ पैमाने पर तोड़फोड़, आगजनी,ट्रेनों को जलाए जाने से रेलवे को हुए तकरीबन चार सौ करोड़ के नुक्सान, पुलिस वालों के जख्मी होने और दो नौजवानों की मौत के बाद बीस जून को हुए भारत बंद के बावजूद मोदी सरकार ने ‘अग्निपथ’ स्कीम के जरिए आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में अग्निवीर नाम के जवानों की भर्ती रोकने के बजाए भर्ती की कार्रवाई शुरू कर दी है. वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने बंगलौर में कहा कि कुछ स्कीमें शुरू में तो खराब या गलत लगती हैं लेकिन बाद में वही स्कीमें सही और मुल्क के लिए मुफीद साबित होती हैं. उनके बयान के अगले दिन नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोभाल ने भी इसी किस्म का बयान दिया और कहा कि अग्निपथ स्कीम के वापस लेने का सवाल ही नहीं है. इस दरम्यान अग्निपथ स्कीम की मुखालिफत करने वाले कर्नाटक के साबिक वजीर-ए-आला एच डी कुमार स्वामी के बयान से मुसलमानों में खौफ की लहर दौड़ गई. कुमार स्वामी ने कहा कि अग्निवीर के नाम पर आरएसएस की एक नई फौज तैयार करने का मंसूबा है इन अग्निवीरों को सरकारी खर्च पर जदीदतरीन असलहों के साथ लड़ने की ट्रेनिंग दी जाएगी फिर जब चार साल की नौकरी पूरी करके वह बाहर आएंगे तो उनको लड़ने मारने का तजुर्बा भी होगा, ट्रेनिंग भी होगी और तकरीबन पन्द्रह लाख रूपए भी होंगे. कुमार स्वामी ने हिटलर की फौज से अग्निवीरोें का मवाजना (तुलना) करते हुए कहा जर्मनी में हिटलर ने इसी तरह की फौज तैयार करके यहूदियों का कत्लेेआम कराया था. वैसी ही सूरतेहाल मोदी सरकार और आरएसएस मिलकर भारत में पैदा करना चाहते हैं. उनके इस बयान से आम मुसलमान खौफजदा हैं. सरकार और वजीर-ए-आजम मोदी को चाहिए कि वह मुसलमानों में पैदा हुए खौफ के माहौल को खत्म करें. कुछ इसी किस्म का बयान कांगे्रस लीडर और साबिक वजीर-ए-आला सिद्धारमैय्या भी दे चुके हैं.
मुल्क भर में हंगामे के बाद 21 जून को फौज के तीनों हिस्सों यानी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स ने एलान किया कि अग्निपथ स्कीम के बावजूद फौज में भर्ती और रेजिमेंट का जो सिस्टम पहले से चला आ रहा है वह जारी रहेगा. याद रहे कि कोविड-19 के बहाने तीन साल से फौज में भर्तियां नहीं हुई हैं जिसकी वजह से तकरीबन डेढ लाख आसामी (पद) खाली हैं. एयरफोर्स में भर्ती हुई थी लड़कों ने इम्तेहान पास किया मेडिकल और इंटरव्यू पास किया. उनकी सिर्फ ज्वाइनिंग बाकी थी लेकिन वह पूरी कार्रवाई रद्द कर दी गई. इससे एयरफोर्स में भर्ती पाने वाले नौजवानों में जबरदस्त गुस्सा है उनका कहना है कि उनकी उम्र निकल गई अब वह कभी भी फौज में नहीं जा पाएंगे. इसी तरह आर्मी में भले ही अग्निपथ स्कीम के तहत उम्र में छूट दी गई है लेकिन जिन नौजवानों ने तीन साल में मेहनत करके तैयारी की थी इस साल सिर्फ तकरीबन चालीस हजार अग्निवीरों की भर्ती होने से फौज में जाने का उनका ख्वाब भी चूर हो गया. वह सरकार से सवाल करते हैं कि आखिर उनकी गलती क्या है और अब उनका मुस्तकबिल क्या होगा. फौज ने यह भी एलान कर दिया है कि जो नौजवान अग्निपथ स्कीम के खिलाफ मुजाहिरों, धरनों और तोड़फोड़ में शामिल रहे हैं उन्हें भर्ती नहीं किया जाएगा.
सरकार और फौज दोनों ने कहा है कि जो अग्निवीर भर्ती किए जाएंगे चार साल बाद उनमें से एक चैथाई यानी 25 फीसद को फौज में मुस्तकिल किया जाएगा. बाकी तीन चैथाई यानी 75 फीसद नौजवानों को रिटायर कर दिया जाएगा. रिटायर होने वाले पचहत्तर (75) फीसद जवान क्या करेंगे इसकी कोई ठोस तजवीज सामने नहीं आई है. लेकिन बीजेपी के लीडरान ने इस सिलसिले में जो बयानबाजी की है वह बहुत शर्मनाक है अपनी बदजुबानी के लिए बदनाम मध्य प्रदेश बीजेपी के लीडर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अगर वह बीजेपी दफ्तर में सिक्योरिटी गार्ड रखेंगे तो अग्निवीरों को ही तरजीह दी जाएगी. मतलब यह कि चार साल बाद रिटायर होने वाले नौजवान बीजेपी दफ्तरों की चैकीदारी में लगाए जाएंगे. मरकजी वजीर जी किशन रेड्डी ने तो यह कह दिया कि रिटायर अग्निवीरों के पास कई लाख रूपए होंगे वह ड्राइवर, धोबी और बारबर का काम भी शुरू कर सकेगे. इन बयानात से भी नौजवानों में जबरदस्त नाराजगी है. आम तौर पर यही खतरा महसूस किया जा रहा है कि चार साल बाद निकाले जाने वाले अग्निवीर चूंकि असलहा चलाने में ट्रेनिंग हासिल किए होंगे इसलिए उनके गलत रास्ते पर पड़ने का खतरा ज्यादा है.
अग्निपथ स्कीम के खिलाफ वैसे तो तकरीबन एक दर्जन रियासतों में नौजवानों ने हंगामे किए लेकिन हंगामों का सबसे ज्यादा शिकार बिहार रहा. जहां लखीसराय और दानापुर समेत कई स्टेशनों पर मुजाहिरीन ने टेªनें जला दीं. बीजेपी के डिप्टी चीफ मिनिस्टर और बीजेपी के कई मेम्बरान असम्बली व दफ्तरों पर हमले हुए कई दिनों तक टेªनों की आमद व रफ्त मामूल पर नहीं आ सकी. लेकिन सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड एक दूसरे पर गैरजिम्मेदारी बरतने का इल्जाम लगाते रहे. शुरूआती तीन दिनों तक पुलिस भी खामोश तमाशाई बनी रही. उधर तेलंगाना के सिकंदराबाद में अजंता एक्सप्रेस, शालीमार एक्सप्रेस और राजकोट एक्सप्रेस तीनों मंे मुजाहिरीन ने आग लगा दी सत्रह और अट्ठारह जून को सिकंदराबाद स्टेशन पर न कोई ट्रेन आ सकी न वहां से रवाना हो सकी. स्टेशन पर पुलिस फायरिंग में एक नौजवान की मौत हो गई.
उत्तर प्रदेश के बलिया, वाराणसी, चंदौली, अलीगढ, जौनपुर, मिर्जापुर, नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर समेत दर्जनों शहरों में बड़े पैमाने पर हंगामा, पथराव और आगजनी के वाक्यात पेश आए. अलीगढ में एक पुलिस चैकी जला दी गई. तो जौनपुर और मिर्जापुर में बसों में तोड़फोड़ करने के बाद उन्हें आग के हवाले कर दिया गया. जिससे कई मुसाफिरों का सामान भी जल गया. बीस जून को अग्निपथ स्कीम के खिलाफ भारत बंद के दौरान तकरीबन सवा दो सौ मेल एक्सप्रेस और चार सौ पैसेंजर ट्रेनें कैसिल करनी पड़ी. उधर दिल्ली में कांगे्रस लीडरान ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च करके राष्ट्रपति को एक मेमोरण्डम सौंपा. पुलिस यह पता नही लगा पाई कि आखिर इतने बड़े हंगामे के पीछे किसका दिमाग और हिकमते अमली थी. सिर्फ अलीगढ मे पता चला कि इन हंगामों के पीछे फौज और पुलिस में भर्ती के लिए कोचिंग चलाने वालों का हाथ था. अलीगढ में सबसे बड़ी कोचिंग ‘यंग इंडिया’ चलाने वाले सुधीर शर्मा को गिरफ्तार किया गया जो खुद को बीजेपी का मंडल नायब सदर बताता है. अलीगढ में कुल 76 गिरफ्तारियां हुई और ग्यारह कोचिंग सेंटर चलाने वालों समेत अरसठ लोगों को हिरासत में लिया गया.
फौज की तरफ से साफ एलान किया गया है कि जो नौजवान हिंसा और हंगामों में शामिल थे उन्हें भर्ती नहीं किया जाएगा. भर्ती से पहले पुलिस से रिपोर्ट मांगी जानी है हंगामा करने वाले खुद को छिपा भी नहीं सकते, अपोजीशन पार्टियों और नौजवानों का इल्जाम है कि सरकार ग्रेच्यूटी और पेंशन का पैसा बचाने के लिए ही चार साल के लिए अग्निवीरों की भर्ती कर रही है.
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