मुसलमानों पर नफरत का बुलडोजर,सुप्रीम कोर्ट की भी परवाह नहीं

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मुसलमानों पर नफरत का बुलडोजर,सुप्रीम कोर्ट की भी परवाह नहीं

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! मुसलमानों के साथ नफरत में अंधे हो चुके लोगों ने बीस अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के बावजूद जहांगीरपुरी सी ब्लाक की जामा मस्जिद का गेट समेत उसके इर्द-गिर्द की सैकड़ों दुकानों पर बुलडोजर चलवा दिया.  जैसे ही यह बुलडोजर इलाके के कालीमाता मंदिर तक पहुंचे उनकी रफ्तार रूक गई, मंदिर की एक ईंट भी नहीं तोड़ी गई, हालांकि मदिर का भी उतना ही हिस्सा बाहर निकल कर बना है जितना मस्जिद का गेट था.  इलाके पर बुलडोजर न चलाया जाए.  इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा हिंद की दरख्वास्त पर सुबह पौने ग्याहर बजे ही आर्डर कर दिया था कि इलाके में ‘स्टेट्स को’ (यानी जो चीज जैसी है वैसी ही रहे) कायम रखा जाए.  सुप्रीम कोर्ट का आर्डर इसलिए नहीं माना गया कि एक दिन पहले 19 अप्रैल को दिल्ली बीजेपी के सदर आदेश गुप्ता ने नार्थ दिल्ली म्युनिस्पिल कारपोरेशन के मेयर राजा इकबाल सिंह को खत लिखकर सख्त हिदायत दी थी कि सोलह अप्रैल को हनुमान जयंती की शोभा यात्रा के दौरान जहांगीरपुरी मे जिन लोगों ने पथराव किया था उन्होने म्युनिस्पिल कारपोरेशन की जमीन पर नाजायज कब्जा कर रखा है.  उसे फौरन रोका जाए.  आदेश गुप्ता के गुलाम बने मेयर राजा इकबाल सिंह और कमिशनर संजय गोयल ने अगले दिन सुबह ही फोर्स के चार सौ जवान लगवाकर तोड़-फोड़ शुरू करा दी. 

कानून के मुताबिक अगर किसी जगह कुछ लोगों ने नाजायज कब्जा कर रखा है तो उसे तोड़ने से पहले कम से कम पांच दिन का नोटिस देना जरूरी है.  चूंकि मामला मुसलमानों से मुताल्लिक था इसलिए किसी तरह के कानून पर अमल नहीं किया गया.  उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई इस बुलडोजर कार्रवाई से ऐसा साबित होता है कि भारतीय जनता पार्टी ने शायद यह फैसला कर लिया है कि देश के किसी कोने में खुसूसन पार्टी की सरकारों वाली रियासतों में अगर कहीं मुसलमानों ने सर उठाने की कोशिश की तो उन्हें बुलडोजर से रौंद दिया जाएगा.  बीस अप्रैल को जब सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के बावजूद मुसलमानों के खिलाफ तोड़-फोड़ में लगे बुलडोजर नहीं रूके तो दुष्यंत दवे, कपिल सिब्बल और सुरेन्द्र नाथ जैसे सीनियर वकील फिर अदालत पहुंचे.  अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल को हिदायत दी कि वह फौरन पुलिस कमिशनर और नार्थ दिल्ली म्युनिस्पिल कमिशनर को आर्डर की कापी पहुचाए.  यह कार्रवाई मुकम्मल होने तक दोपहर के साढे बारह बज चुके थे.  बुलडोजर अपना काम करते हुए मंदिर तक पहुंच चुके थे.  इसलिए वह वहीं रूक गए.  अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई अदालत ने आर्डर के बावजूद तोड़फोड़ की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की, स्टेटस-को बरकरार रखने का आर्डर कायम रखा.  दो हफ्तों के बाद मामले की दोबारा सुनवाई होगी तभी यह तय होगा कि आर्डर न मानने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए.  हम इसपर सख्त रूख अख्तियार करेंगे. 

बुलडोजर चलने की इत्तेला पाकर सीपीएम लीडर वृंदाकरात फौरन मौके पर पहुंच गई.  उन्होने सुप्रीम कोर्ट के आर्डर का हवाला देकर बुलडोजर रोकने के लिए कहा, लेकिन मौके पर मौजूद अफसरान ने उनकी एक नहीं सुनी.  उन्हीं की इत्तेला पर जमीयत के वकील दोबारा सुप्रीम कोर्ट गए थे.  वृंदा करात के अलावा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का एक भी शख्स इलाके के लोगों की हमदर्दी मे मौके पर नहीं पहुंचा.  अगले दिन कांग्रेस लीडरान का एक वफ्द मौके पर गया, लेकिन आम आदमी पार्टी तब भी गैर हाजिर रही.  बुलडोजरों के जरिए जिन दुकानों और तामीरात को तोड़ा गया उनमें बेश्तर (अधिकांश) ऐसी हैं जिनका बाकायदा कानूनी तौर पर एलाटमेट है.  गेंहू के साथ घुन की तर्ज पर इलाके के कुछ हिन्दू दुकानदार भी पिस गए.  जूस की दुकान चलाने वाले गणेश गुप्ता ने बताया कि पैंतालीस साल पहले 1977 में उन्हें म्यूनिस्पिल कारपोरेशन ने ही दुकान एलाट की थी, वह अपने कागजात दिखाने की कोशिश करते रहे लेकिन किसी अफसर या पुलिस वाले ने उनकी एक नहीं सुनी.  ऐसा ही दर्द सोनी चाय वाले और पान की दुकान चलाने वाले रमन झा ने भी बयान किया. 

बाद में वृंदा करात ने बताया कि बुलडोजर की कार्रवाई सिर्फ इसलिए की गई कि सी-ब्लाक की जामा मस्जिद के पास सोलह अप्रैल को तलवारें, कट्टे और पिस्तौल लहराते हुए पुलिस की इजाजत के बगैर लोगों ने शोभा यात्रा निकाली थी, मस्जिद के सामने पहुंचकर उन्होने भड़काने वाली नारेबाजी की मस्जिद पर भगवा झण्डा लगाने की कोशिश की तो मकामी मुसलमानों के साथ उनका टकराव हो गया था.  उस शोभा यात्रा में बाहरी लोग थे.  पहले तो पुलिस ने टकराव की जिम्मेदारी एक तरफा तौर पर मुसलमानों पर डाल दी और चौबीस लोगों को गिरफ्तार किया.  उसके बाद बुलडोजर भी चलवा दिया गया.  उन्होने कहा कि एक तरफा कार्रवाई बेहद गलत है, बुलडोजर की सियासत देश और संविधान दोनों को बुलडोज कर रही है.  यह मुसलमानों को धमकाने और खौफजदा करने का एक सियासी एजेण्डा है.  कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने हमेशा की तरह ट्वीट करके कहा कि इस तरह की बुलडोजर कार्रवाई लोगों के हुकूक और संविधान पर हमला है. 

सोलह अप्रैल को बाकायदा दंगा कराने की साजिश के तहत एक भीड़ ने जहांगीरपुरी में शोभा यात्रा निकाली थी.  दो पहर तक दो यात्राएं निकल गईं किसी को कोई एतराज नहीं हुआ न ही मौके पर माहौल खराब हुआ इससे यात्रा निकालने वालों का असल मकसद पूरा नहीं हुआ तो उन लोगों ने शाम को ऐन इफ्तार के वक्त एक और यात्रा निकाल दी.  तीसरी यात्रा के लिए पुलिस से इजाजत भी नहीं मिली थी.  इस यात्रा में बड़ी तादाद में गुण्डों ने हाथों में तलवारें, रिवाल्वर और कट्टे ले रखे थे.  मस्जिद के गेट पर पहुंचकर वह लोग हंगामा करने लगे, मस्जिद पर भगवा झण्डा लगाने की कोशिश की भड़कीली नारेबाजी की तो इर्द-गिर्द के कुछ रहने वालों ने उनपर पत्थर चला दिए, किसी ने फायर भी किया.  जिसका नाम सोनू चिकना बताया गया.  इस फायर से इलाके के दारोगा एस आई मेदालाल के हाथ में गोली लग गई आठ पुलिस वालों समेत नौ लोग जख्मी हो गए. 

पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ तो कोई कार्रवाई नहीं की जिन्होंने इजाजत के बगैर तलवारें और कट्टे लहराते हुए जुलूस निकाला सारी कार्रवाई मुसलमानो के खिलाफ की गई, चार नाबालिगों समेत चौबीस लोगों को गिरफ्तार कर लिया.  पुलिस ने यह कहकर अपना दामन छुड़ा लिया कि उसने इस शोभा यात्रा की इजाजत नहीं दी थी.  सवाल यह है कि अगर इजाजत नहीं थी तो जहांगीरपुरी के इस्पेक्टर राजीव रंजन, एसआई मेदालाल और दर्जनों पुलिस वालों ने गैर कानूनी शोभा यात्रा को रोकने के बजाए उसकी सिक्योरिटी करने के लिए साथ-साथ क्यों चल पड़े.  मुसलमानों की तो गिरफ्तारी हो गई लेकिन दूसरी तरफ के चार लोगों को दफा-188 के तहत नोटिस भेजकर बातचीत के लिए बुलाया गया.  इनमें विश्व हिन्दू परिषद के मकामी लीडर प्रेम शर्मा भी शामिल हैं.  स्पेशल पुलिस कमिशनर दीपेन्द्र पाठक ने यह तो कहा कि यकतरफा कार्रवाई नहीं हुई है दूसरी तरफ के लोग भी गिरफ्तार किए गए है.  लेकिन दूसरी तरफ के कितने लोग गिरफ्तार हुए हैं और उनके नाम क्या हैं यह वह लोग नहीं बता सके.  मुसलमानों में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया उनमें अंसार अहमद, मोहम्मद असलम, जाहिद, शहजाद, मुख्तार अली, मोहम्मद अली, आमिर, आशकार, नूर आलम, जाकिर मोहम्मद अकरम, मोहम्मद इम्तियाज, मोहम्मद अली, अहद खान, सलीम और शेख सोहराब वगैरह शामिल है.  दूसरी तरफ जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया उनमें सुजीत सरकार, सूरज, सुकेन, नीरज, सुरेश शामिल हैं. 

पुलिस ने इस मामले में भी सारी जिम्मेदारी मुसलमानों पर डाल दी मैसेज यह दिया गया कि मुसलमानों ने शोभा यात्रा पर पत्थर फेंकने की हिम्मत कैसे की, उन लोगों के खिलाफ संगीन दफाएं नहीं लगाई गई जो मस्जिद के बाहर तलवारें, पिस्तौल कटटे और लाठी-डंडे लहराते हुए जहरीली नारेबाजी कर रहे थे.  उनको इस इल्जाम से भी बजाहिर बरी कर दिया गया कि उनके उकसाने पर ही पत्थराव और झडप हुई अंसार नाम के जिस शख्स को पुलिस ने दंगे का मास्टर माइण्ड करार देकर गिरफ्तार किया उसके मोहल्ले के हिन्दुओं का कहना है कि वह दंगाई नहीं हो सकते वह हमेशा हिन्दुओं की मदद में खड़े दिखाई देते रहे हैं.  इस झड़प के वक्त का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें खतरनाक किस्म का छुरा लिए हुए एक हिन्दू लड़के से अंसार यह कहते हुए दिखाई दे रहा है कि बेटा ऐसा काम मत करो अपने घर जाओ. 

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