नहीं चल पाया हिन्दू मुस्लिम कार्ड

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नहीं चल पाया हिन्दू मुस्लिम कार्ड

हिसाम सिद्दीकी

लखनऊ! उत्तर प्रदेश असम्बली के एलक्शन में दो राउण्ड की पोलिंग खत्म हो गई, तमाम कोशिशों के बावजूद भारतीय जनता पार्टी वोटरों को हिन्दू मुसलमानों में तकसीम करके पोलराइज नहीं कर सकी उल्टे यह हो गया कि पच्छिमी उत्तरप्रदेश की एक सौ तेरह सीटों पर मुसलमानों ने बीएसपी और असद उद्दीन ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवारों को पूरी तरह ठुकरा कर एकजुट होकर समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल गठजोड़ को ही वोट दिए. तीसरे राउण्ड में यादव बेल्ट कहे जाने वाले तेरह जिलों की उनसठ (59) सीटों की पोलिंग बीस फरवरी को होनी है. इस बार इन सीटों पर भी बीजेपी कमजोर दिख रही है और बजाहिर समाजवादी पार्टी की लहर चल रही है. उत्तर प्रदेश में 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों, कैराना से हिन्दुओं को मुबय्यना (कथित) तौर पर भगाए जाने, अस्सी बनाम बीस, हिजाब और अखिलेश सरकार आ गई तो आजम खान, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी (मुसलमान) जेलों से बाहर आ जाएंगे, उत्तर प्रदेश केरल, कश्मीर और मगरिबी बंगाल बन जाएगा (जहां मुसलमानों की अहमियत है). शरीअत और गजवा-ए-हिंद जैसे बीजेपी लीडरान के बयानात पर दूसरे राउण्ड की पोलिंग तक न तो हिन्दुओं ने ध्यान दिया न मुसलमानों ने. वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने चौदह फरवरी को कानपुर देहात में यह कहकर हिन्दुओं को पोलराइज करने की आखिरी कोशिश भी कर ली कि गोवा में हिन्दू वोटों को तकसीम कराने के मकसद से ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस आई है. दरअस्ल वह गोवा के बहाने उत्तर प्रदेश के हिन्दुओं से कह रहे थे कि वह अपने वोटों की तकसीम न होने दें और एकजुट होकर बीजेपी के हक में वोटिंग करें. उनका यह बयान भी काम नहीं आया वह दूसरे दौर की पोलिंग वाले जिलों के हिन्दुओं को यह मैसेज देने की कोशिश कर रहे थे.

हर मुमकिन कोशिश करने के बावजूद जब नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, जेपी नड्डा और उनके दीगर साथी उत्तर प्रदेश में हिन्दू मुस्लिम नहीं कर सके तो दूसरे राउण्ड की पोलिंग के बाद अचानक सबके सुर तब्दील हो गए. कानपुर देहात की पब्लिक मीटिंग में वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने एक तरफ तो गोवा के बहाने हिन्दू वोटरों को एकजुट होने का मैसेज दिया साथ ही यह भी कहा कि मुस्लिम बेटियों को बीजेपी सरकार ने मुकम्मल तहफ्फुज (सुरक्षा) दिया है तीन तलाक से ख्वातीन की जिंदगी बर्बाद हो जाती थी हमने उसे राका है. इसीलिए मुस्लिम ख्वातीन किसी से कुछ कहे बगैर खामोशी से बीजेपी को वोट दे रही हैं. पहले उन्हें स्कूल कालेज जाते वक्त मनचले लफंगे छेड़ते थे अब हमारी सरकार में ऐसा नहीं हो पा रहा है और मुस्लिम बेटियां पूरी तरह महफूज हैं. योगी आदित्यनाथ ने सफाई दी कि उनके अस्सी बनाम बीस फीसद वाले बयान को गलत तरीके से पेश किया गया उसमें मजहब या जात-बिरादरी जैसी कोई बात नहीं थी. बीजेपी के प्रदेश सदर स्वतन्त्र देव सिंह ने पन्द्रह फरवरी को हमीरपुर में कहा कि वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी मुस्लिम मुखालिफ नहीं हैं. उन्होने मुसलमानों की हिफाजत करने का काम किया है तीन तलाक पर रोक लगाने का कानून लाकर मुस्लिम लड़कियों और ख्वातीन की जिंदगी बचाई है. उसी दिन उन्नाव में डिप्टी चीफ मिनिस्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि समाजवादी लीडरान मुस्लिम नौजवानों के वरगला कर उन्हें कट्टा थमाने का काम करते थे, बीजेपी सरकार ने उन्हें एक हाथ में कम्प्यूटर और दूसरे हाथ में कुरआन थमाई है. मदरसों की जदीदकारी की जा रही है. बीजेपी में आई यह तब्दीली हैरान करने वाली है.

असम्बली एलक्शन में भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह हार रही है. इसका अंदाजा पार्टी लीडरान की बौखलाहट और मायूसी से भी आसानी से लगाया जा सकता है. प्रदेश के गन्ना वजीर सुरेश राना ने शिकायत की कि उनके हलके में बूथ कैपचरिंग हो गई है. इसलिए चालीस पोलिंग बूथों पर दोबारा वोटिंग कराई जाए लेकिन शामली के डीएम ने उनकी बात नहीं मानी. क्योंकि बूथ कैपचरिंग जैसी कोई बात थी ही नहीं. वह दरअस्ल उन चालीस बूथों पर दोबारा पोलिंग कराना चाहते थे जिनपर मुस्लिम वोटरों की तादाद ज्यादा थी. मेरठ के सरधना असम्बली हलके से दंगाई एमएलए संगीत सोम को पोलिंग के तर्ज से ही अंदाजा लग गया कि वह हार रहे हैं तो उन्होने एक पोलिंग बूथ के प्रीसाइडिंग अफीसर अश्विनी कुमार को पहले धमकाया फिर उन्हें थप्पड़ मार दिया. शाहजहां पुर के तिलहर असम्बली हलके में बीजेपी के लोगों ने पुलिस थाने का घेराव किया शिकायत थी कि समाजवादी पार्टी के कुछ लोग बीजेपी के वोट नहीं पड़ने दे रहे हैं और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. सरधना हलके के सलावा में दलितों को वोट नहीं डालने दिया गया क्योकि वह बीजेपी को वोट नहीं दे रहे थे. यह तमाम वाक्यात बीजेपी लीडरान के फ्रस्टेशन यानी मायूसी जाहिर करते हैं.

तीसरे राउण्ड की पोलिंग जिन तेरह जिलों में होनी है उनमें पच्छिमी उत्तर प्रदेश के पांच जिलों हाथरस, फीरोजाबाद, मैनपुरी, कासगंज और एटा की उन्नीस सीटें हैं. इनके अलावा कानपुर देहात, कानपुर, फर्रूखाबाद, औरय्या, कन्नौज और इटावा की सत्ताइस सीटें, बुंदेलखण्ड के सात जिलों ललितपुर, झांसी, महोबा, बांदा, हमीरपुर और चित्रकूट की तेरह सीटें हैं. इनमें बुंदेलखण्ड मे ही शायद बीजेपी का पलड़ा थोड़ा भारी रहेगा बाकी में समाजवादी पार्टी आगे दिख रही है. 2017 में बीजेपी ने इन सभी सोलह जिलों में जबरदस्त कामयाबी हासिल करते हुए उनसठ में से उनचास सीटें जीत ली थी, लेकिन इस बार हालात बिल्कुल उल्टे दिख रहे हैं.

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