हिसाम सिद्दीकी
नई दिल्ली! उत्तर प्रदेश समेत पांच रियासती असम्बलियों के एलक्शन में वैसे तो कोविड प्रोटोकाल के बहाने एलक्शन कमीशन ने रैलियों, पब्लिक मीटिंगें और मुहिम चलाने के दीगर तरीकों पर पाबंदी लगा रखी है. दरवाजे-दरवाजे मुहिम चलाने में सिर्फ दस लोगों को एक साथ निकलने की इजाजत है, लेकिन कम से कम उत्तर प्रदेश में तो ऐसा दिख रहा है कि एलक्शन कमीशन पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बन कर हर सतह पर उसकी मदद कर रहा है. बाकी तमाम पार्टियों और लीडरान पर तो हर तरह की पाबंदी लगाई जा रही है लेकिन बीजेपी के लिए सबकुछ माफ है. शायद कमीशन में बैठे लोगों को यह गलतफहमी है कि उनकी इस किस्म की मदद से भारतीय जनता पार्टी को वोट मिल जाएंगे. मरकजी होम मिनिस्टर अमित शाह ने बाइस जनवरी को पच्छिमी उत्तर प्रदेश के कैराना से घर-घर मुहिम चलाई उनके साथ एक बड़ी भीड़ चलती रही न मास्क न डिस्टेंसिंग और न कोविड प्रोटोकाल पर कोई पाबंदी लेकिन एलक्शन कमीशन या जिला इंतजामिया के अफसरान ने कोई एतराज नही किया. उसी दिन और उसके अगले दिन वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद और अलीगढ में घर-घर जाकर मुहिम चलाई और कोविड प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ा दीं. लेकिन किसी ने कोई एतराज नहीं किया. हालांकि उनसे पहले छत्तीसगढ के वजीर-ए-आला भूपेश बघेल ने कांग्रेस उम्मीदवार पंखुड़ी पाठक के लिए घर-घर मुहिम चलाई थी तो उनके खिलाफ कमीशन ने एफआईआर दर्ज करा दी थी. इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य वगैरह समाजवादी पार्टी में शामिल होने पहुचे थे उनके साथ वर्कर्स की भीड़ थी तो दर्जनों लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई थी. समाजवादी पार्टी के साथ एलक्शन कमीशन का रवैय्या यह है कि पार्टी के बाहर पुलिस वाले चालान बुक लेकर घूमते दिखते हैं कहते हैं कि मास्क न लगाने वालों का मौके पर चालान काटा जा रहा है.
भारतीय जनता पार्टी के बागपत के उम्मीदवार महेश धामा ने रात में एक बड़ी भीड़ के साथ जुलूस निकाला पुलिस और एलक्शन कमीशन के अफसरान उसे खामोश तमाशाई की तरह देखते रहे. अमरोहा में बीजेपी के उम्मीदवार महेन्द्र सिंह खडगवंशी ने दिन दहाड़े जुलूस निकाला न तो उन्हें रोका गया और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ही की गई. लोनी से बीजेपी उम्मीदवार और मौजूदा मेम्बर असम्बली नन्द किशोर गूर्जर ने खुलेआम अली बाहुबलि और बजरंग बलि पर लम्बा-चौड़ा बयान देकर दो तबकों और समाजों के दरम्यान कशीदगी और नफरत फैलाने की हरकत की. एलक्शन कमीशन की जानिब से कहा गया कि नंद किशोर गूजर को नोटिस जारी कर दिया गया है. आज तक यह पता नहीं चला है कि उस नोटिस का क्या हुआ? नोटिस जारी भी हुआ या सिर्फ एलान ही किया गया कोई नहीं जानता. अमरोहा और बागपत के बीजेपी उम्मीदवारों को नोटिस जारी हुआ या नहीं किसी को मालूम नहीं है.
रामपुर में बीजेपी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने एक बड़े जुलूस के साथ कचेहरी जा कर पर्चा नामजदगी दाखिल किया. उनके साथ चार बार स्वार से मेम्बर असम्बली और कल्याण सिंह सरकार में वजीर रहे शिव बहादुर सक्सेना भी थे किसी के चेहरे पर मास्क नहीं था भीड़ मिलकर उनके पीछे खड़ी थी. सोशल डिस्टेंसिंग का तो कोई सवाल ही नहीं था लेकिन पुलिस और एलक्शन कमीशन के लोगों ने आकाश सक्सेना की जानिब देखा तक नहीं.
घर-घर जाकर राब्ता करने के लिए कमीशन ने दस लोगों के एक साथ निकलने की इजाजत दे रखी है. अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के साथ तो दस से ज्यादा सिक्योरिटी वाले ही रहते हैं इनके अलावा बड़ी तादाद में लोग उनके साथ चलते हैं न तो एलक्शन कमीशन की जानिब से कोई फोटोग्राफी होती है व वीडियोग्राफी न पुलिस को कोई एतराज ही होता है. यह रवैय्या और छूट सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के लिए ही क्यों है? इस सवाल का जवाब कौन देगा.
आम तौर पर एलक्शन की कार्रवाई शुरू होते ही रियासतों के डीजी पुलिस होम सेक्रेटरी और एडीशनल डीजी लॉ एण्ड आर्डर जैसे अफसरान को हटा दिया जाता था इस बार समाजवादी पार्टी की जानिब से एलक्शन कमीशन को खत लिखकर कई अफसरान को हटाने के लिए कहा लेकिन कमीशन ने एक नहीं सुनी. कई टीवी चैनल हर हफ्ते एक सर्वे दिखाकर बीजेपी को जिताने का काम करते रहते हैं वह वोटर्स को गुमराह करने का काम करते रहते हैं. लेकिन एलक्शन कमीशन ने उन सर्वों पर पाबंदी नहीं लगाई. जदीद मरकज
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