हिसाम सिद्दीकी
नई दिल्ली! मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर वजीर-ए-आजम
नरेन्द्र मोदी को पूरी तरह बेनकाब किया है साथ ही यह भी बता दिया कि होम मिनिस्टर अमित
शाह की राय मोदी के लिए कितनी खराब है और वह मोदी से नाराज रहते हैं. हरियाणा के दादरी
में फोगाट खाप के जरिए गुजिश्ता दिनों सत्यपाल मलिक की इज्जत अफजाई की गई थी. इस मौके
पर सत्यपाल मलिक ने कहा कि जब वह किसानों के मसले में वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी से
मिलने गए तो पांच मिनट के अंदर ही दोनों में लड़ाई हो गई. क्योकि उस वक्त मोदी बहुत
गुरूर (घमण्ड) में थे. जब मैंने उनसे कहा कि हमारे पांच सौ लोग (किसान) मर चुके हैं
तो ‘उसने’ कहा कि क्या मेरे लिए मरे हैं. मैने कहा- हां. आपके लिए मरे
हैं. आप जो राजा बने बैठे हैं, वह उन्होने ही बनाया
है. इसपर उन्होने कि तुम जाकर अमित शाह से मिल लो. मैं अमित शाह के पास गया तो उन्होने
कहा कि सत्यपाल उसका (मोदी का) कुछ लोगों ने दिमाग खराब कर रखा है. लेकिन तुम मिलते
रहो ठीक हो जाएगा. गवर्नर मलिक के इस बयान के बाद देश के सियासी हलकों में हंगामा मच
गया. मामला काफी तूल पकड़ गया तब शायद मोदी ने अपने होम मिनिस्टर अमित शाह पर सख्ती
की और अमित शाह ने अपने गवर्नर सत्यपाल मलिक पर. इस सख्ती की वजह से तीन जनवरी को गवर्नर
सत्यपाल मलिक ने अपने बयान में थोड़ी तरमीम करते हुए कहा कि उनसे मुलाकात के दौरान अमित
शाह ने वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी के लिए खराब बात नहीं की क्योकि वह मोदी की बहुत इज्जत
करते हैं. मलिक ने यह भी कहा कि वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने गुजरात का वजीर-ए-आला
रहते किसानों के लिए जो काम किए उसके लिए वह कई बार खुद भी वजीर-ए-आजम की तारीफ कर
चुके हैं. जाहिर है मलिक का दूसरा बयान दबाव में आया है.
वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह के हवाले
से सत्यपाल मलिक ने जो कुछ कहा वह सच लगता है. क्योकि 380 दिन के किसान आंदोलन के दौरान
किसानों के लिए नरेन्द्र मोदी का जो रवैया रहा और मोदी के इशारे पर पूरी बीजेपी और
आरएसएस ने किसानों के लिए जिस तरह की बयानबाजी की उससे साबित होता है कि नरेन्द्र मोदी
किसानां और उनके आंदोलन के खिलाफ कितने गुरूर में डूबे हुए थे. उन्होने तो पार्लियामेंट
तक में ‘आंदोलनजीवी’ और ‘परजीवी’ जैसे अल्फाज का इस्तेमाल
किया. तकरीबन सात सौ किसानों की आंदोलन के दौरान मौत हो गई लेकिन मोदी ने एक बार भी
अफसोस तक जाहिर नहीं किया. सत्यपाल मलिक कहते हैं कि उन्होने मोदी से कहा था कि कुतिया
के मरने तक पर आपका खत चला जाता है लेकिन पांच सौ से ज्यादा किसान मर गए तो भी आपकी
जानिब से अफसोस जाहिर नहीं किया गया. इसपर उन्होने (मोदी ने) कहा कि क्या मेरे लिए
मरे? अगर उनके लिए किसान नहीं मरे थे तो भी उन्हें अफसोस जाहिर करना
चाहिए था. क्योकि वह देश के वजीर-ए-आजम हैं और किसान मुल्क के वह शहरी हैं जो न सिर्फ
देश के लोगों का पेट भरने के लिए गल्ला फराहम करते हैं बल्कि देश की हिफाजत के लिए
अपने बेटों को फौज में भेजते हैं. तो क्या उनका इतना भी हक नहीं है कि अगर बड़ी तादाद
में उनकी मौतें हो जाएं तो वजीर-ए-आजम उन मौतों पर अफसोस जाहिर करे?
होम मिनिस्टर अमित शाह का गुस्सा और कमेण्ट भी काबिले कयास है
वैसे भी सत्यपाल मलिक उनके जरिए कही गई बात को बताते हुए झूट क्यों बोलेंगे? गवर्नर का तो सीधा ताल्लुक होम मिनिस्टर से ही होता है. क्योकि
होम मिनिस्ट्री ही गवर्नर की तकर्रूरी (नियुक्ति) करती है. कुछ लोगों ने उनका दिमाग
खराब कर रखा है यह बात अमित शाह कह सकते हैं. वजह यह है कि मोदी अपनी सरकार चलाने में
मनमानी करते हैं. अमित शाह समेत एक भी मिनिस्टर की इतनी हैसियत नहीं है कि वह अपनी
वजारत में अपनी मर्जी के मुताबिक कोई काम कर सके. चाहे कैसा भी जलसा क्यों न हो मोदी
इस बात का पूरा ख्याल रखते हैं कि तस्वीर में उनके अलावा किसी और की शक्ल न दिखाई दे.
यह बातें अमित शाह और दूसरे वजीरों को जरूर नागवार गुजरती होगी. इसीलिए बकौल सत्यपाल
मलिक अमित शाह ने उनसे कह दिया कि कुछ लोगों ने उनका दिमाग खराब कर रखा है. अमित शाह
या कोई और वजीर कुछ कहे या न कहे मोदी का दिमाग खराब करने वालों के लिए उनका इशारा
कुछ नौकरशाहों की जानिब रहा होगा.
सत्यपाल मलिक इससे पहले भी ऐसी बातें कह चुके हैं जिससे अंदाजा
लगता है कि मोदी के अंदर न सिर्फ बेइंतेहा गुरूर है बल्कि वह बड़ी सतह के बेईमानो की
पुश्तपनाही भी करते हैं. सत्यपाल मलिक ने कहा था कि जब वह कश्मीर के गवर्नर थे तो उनके
पास मुकेश अंबानी के रिलायंस और आरएसएस के एक बड़े लीडर से मुताल्लिक दो ऐसी फाइलें
आई थीं जिनपर दस्तखत करने के लिए उनके सेक्रेटरी ने कहा था कि दस्तखत कर दीजिए आपको
करोड़ों रूपए मिलेंगे. उन्होने कहा हमने दस्तखत नहीं किए और जब वजीर-ए-आजम मोदी को यह
बात बताई तो उन्होने मेरी तारीफ तो की लेकिन चंद दिनों में ही कश्मीर से मेरा तबादला
गोवा कर दिया गया. फिर उन्होने बताया कि गोवा की पूरी बीजेपी सरकार बेईमानों से भरी
पड़ी है. उन्होने इसकी शिकायत वजीर-ए-आजम मोदी से की तो उन्हें गोवा से हटाकर मेघालय
भेज दिया गया. सत्यपाल मलिक के इन बयानात का क्या मतलब है. सत्यपाल मलिक की गवर्नरी
का टर्म इस साल नवम्बर तक है. अगर मोदी और अमित शाह उन्हें बर्खास्त न कर सके या उनका
इस्तीफा न ले सके तो वह अगले ग्यारह महीनों तक उन लोगों के लिए सरदर्द ही बने रहेंगे.जदीद
मरकज
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