भारत छोड़ो आंदोलन के सिपाही जीजी पारीख का 98 वां जन्म दिन !

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भारत छोड़ो आंदोलन के सिपाही जीजी पारीख का 98 वां जन्म दिन !

अंबरीश कुमार

आज डॉ जीजी परीख जी का 98 वां जन्म दिन है.  जीजी के नाम से मशहूर डाक्टर जीजी पारीख को लोग कम जानते हैं जो गांधी के समय आजादी के आंदोलन में शामिल हुए थे .   भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने वाले दिग्गज समाजवादी जीजी पारीख.  वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने की वजह से दस महीने तक वर्ली की अस्थाई जेल में रहे.  आज वे  98 वर्ष मे प्रवेश कर रहे हैं और समाजवादी आंदोलन का दिया जलाए हुए हैं.  वे न कभी चुनाव लड़े और न कोई शासकीय पद लिया.  दिग्गज समाजवादी जीजी पारीख से कुछ समय पहले जो बातचीत हुई थी उसे एक बार फिर से दे रहे हैं. 

अंबरीश कुमार: आप किसी प्रेरणा से भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े ?

यह उस समय का देश का माहौल था.  लोग आजादी की बात करते थे.  जेल जाने की बात करते थे.  इस सबका असर मेरे ऊपर भी पड़ा.  गांधी और कांग्रेस की हवा बह रही थी जिसका असर मेरे घर पर भी पड़ा.  

अंबरीश कुमार: शुरुआत कहां से हुई ?

जीजी पारीख: एआईसीसी का मुंबई में भारत छोड़ो आंदोलन का जो सेशन हुआ उसमें एक वालंटियर के रूप में मैं भी शामिल हुआ था.  अन्य नेताओं के साथ महात्मा गांधी मंच पर थे.  उनके भाषण से प्रभावित हुआ और फिर इस आंदोलन का हिस्सा बन गया. 

अंबरीश कुमार: समाजवादियों की कई बार एकजुटता की कोशिश हुई ,कई बार बिखराव हुआ.  आप इसे कैसे देखते हैं ? 

जीजी पारीख: मैं सोशलिस्ट पार्टी में हमेशा विभाजन के खिलाफ रहा.  इस मामले में डॉ. राम मनोहर लोहिया से भी सहमत नहीं था.  हमें जोड़ना चाहिए तोड़ना नहीं.  

अंबरीश कुमार: महाराष्ट्र में लम्बे समय से हैं यहां की राजनीति में शिवसेना के उदय को किस तरह देखते हैं ?

जीजी पारीख: मैं खुद गुजरात से हूँ पर पचास साठ के दशक में मुंबई के कल कारखानों में जिस तरह मराठी लोगों की उपेक्षा हुई उसी से यह सब शुरू हुआ.  जो पहल समाजवादियों को करनी चाहिए थी उसे बाल ठाकरे ने किया और वे कामयाब भी हुए.  नौकरी में जब स्थानीय लोगों की हिस्सेदारी नहीं होगी तो यह सब होगा. 


अंबरीश कुमार: इस यूसुफ मेहर अली सेंटर में अस्पताल है ,स्कूल है लड़कियों का छात्रावास है और बड़ी संख्या में स्टाफ है, इसका खर्च कैसे निकलता है ?


जीजी पारीख: इन सब जनहित के कामों में काफी पैसा लगता है.  कुछ हमारे अपने संसाधनों से मिलता है तो ज्यादा हिस्सा जनता से मांगता हूँ.  हर साल करीब दो करोड़ का खर्च आता है जो मांग कर इकट्ठा करता हूँ. 

 अंबरीश कुमार: समाजवादियों की नई पहल से क्या उम्मीद है ?

 जीजी पारीख: अभी भी बहुत उम्मीद है.  हमने कई बदलाव देखे हैं और फिर बदलाव होगा.  

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