आलोक कुमार
ओडिशा.ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की आशा वर्कर मटिल्दा कुल्लू ने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की है. फोर्ब्स ने उन्हें दुनिया की ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल किया है. 45 वर्षीय मटिल्दा पिछले 15 वर्षों से मटिल्डा सुंदरगढ़ के बड़गांव तहसील के गर्गडबहल गांव में अपनी सेवाएं दे रही हैं. कोरोना काल में मटिल्डा ने जिस तरह लोगों के लिए काम किया उसने उन्हें अब दुनिया में पहचान दिलाई.
फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू - पावर 2021 सूची में सबसे ताकतवर भारतीय महिलाओं की सूची में ओडिशा की आशा कार्यकर्ता ने भी जगह बनाई है.फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू-पावर 2021 सूची में बैंकर अरुंधति भट्टाचार्य और अभिनेत्री रसिका दुग्गल जैसी शख्सियतों के साथ ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की 45 वर्षीय आदिवासी आशा कार्यकर्ता मटिल्डा कुल्लू का नाम भी शामिल है.ओडिशा की मटिल्डा कुल्लू के अलावा फोर्ब्स इंडिया ने अपनी सेल्फ मेड वूमन पावर लिस्ट में स्टेट बैंक की पूर्व चीफ अरुंधति भट्टाचार्य, महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल, फिल्म अभिनेत्री रसिका दुग्गल पैरा एथलीट अवनि लेखरा, पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि, अमेजन प्राइम वीडियो की हेड ऑफ ऑरिजनल अपर्णा पुरोहित, और भाविना पटेल का नाम भी शामिल है.
ग्रामीण भारत के स्वास्थ्य खासकर महिला व बच्चों के स्वास्थ्य में आए व्यापक सुखद व खुशनुमा बदलाव जिसके लिए आशाकर्मीयों को देशभर में बहाल किया गया,इस कार्य के साथ ही देश के अंदर युगों से जड़ जमाए कुरीतियों, अंधविश्वास के घटिया मूल्यों जिसे बीजेपी-आरएसएस देश के अंदर पुनर्स्थापित करने के जी जान से जुटी है ,इन्ही मूल्यों के खिलाफ अपने पराक्रम से लड़कर समाज मे लाए गए बदलाव के लिए फॉर्ब्स ने आशा मटिल्डा कुल्लू को इस तोहफे से नवाजा और दुनिया भर में प्रतिष्ठित किया.
यह तोहफे कृषि कानूनों की वापसी के बाद यह खबर मोदी सरकार के लिए प्रहार से कम नहीं है.मोदी सरकार,अंधविश्वास,जादू- टोना,रूढ़िवादी चिंतन व्यवहार व खासकर महिलाओं के प्रति बीजेपी-आरएसएस के जिन घटिया मूल्यों को आगे बढ़ा रही है,इन्ही विचारों को नष्ट करते हुए आदिवासी मटिल्डा कुल्लू व इन जैसी लाखों आशाकर्मी स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ देश में सामाजिक बदलाव की बड़ी वाहक बनी हुई है.
मोदी सरकार को लज्जा से सर झुका लेना चाहिए कि अभी 24 सिंतबर 21 को देशभर की आशाओं ने अपने अधिकारों के लिए देश मे पहली बार अखिल भारतीय हड़ताल किया,पर सरकार को शर्म इस बात के लिए आना चाहिए कि इनकी मांगों पर गौर करने के बजाए मोदी ने नोटिस लेना भी जरूरी नहीं समझा.
नेशनल फेडरेशन ऑफ आशा वर्कर्स की महासचिव बीवी विजयलक्ष्मी ने कहा, “आशा सरकार की आंख और हाथ हैं.जमीनी स्तर से कोई भी जानकारी पाने के लिए या वहां की जानकारी देने के लिए अफसर पूरी तरह से इन वर्कर्स पर निर्भर हैं.उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी से निपटने में बहुत अच्छा काम किया है.फिर भी, उन्हें भारत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिलती है.उन्हें केवल पारिश्रमिक दिया जाता है और कोई निश्चित वेतन नहीं दिया जाता है.उनकी लंबे समय से लंबित मांग है कि उन्हें वर्कर्स के रूप में मान्यता दी जाए न कि वॉलंटियर्स के रूप में, क्योंकि तभी उन्हें अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे.”
ओडिशा की आदिवासी आशा वर्कर मटिल्डा कुल्लू सुंदरगढ़ जिले की बड़ागांव तहसील के गर्गडबहल गांव में पिछले 2005 से बतौर आशा वर्कर काम कर रही हैं.तब से उनका यह सफर चुनौतीपूर्ण रहा है.उनकी उपलब्धि यह है कि अगर मटिल्डा कुल्लू के प्रयास न होते तो उनके गांव के लोग अभी भी स्थानीय अस्पताल जाने के बजाय स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के लिए काला जादू का सहारा ले रहे होते. जब लोगों को अस्पताल जाने की सलाह देती थी तो वे मेरा मजाक उड़ाते थे.
आशा कार्यकर्ता संघ अध्यक्ष सह फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजिका शशि यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि बहुत दिनों से आशा कार्यकर्ता वॉलंटियर्स काम कर चुकी हैं.इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य संबंधी काफी जानकारियां प्राप्त कर ली है.अब तो आशा कार्यकर्ता फील्ड संभालने में सक्षम हो गयी हैं.फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजिका शशि यादव ने आगे कहा कि कबतक आशा कार्यकर्ता बेगारी कर और सरकार की बंधुआ मजदूर बनी रहेगी?अब वक्त आ गया है कि आशा कार्यकर्ताओं को सरकारी सेवक घोषित कर वाजिब मानदेय 18000 रू.दिया जाए.यह सब फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू - पावर 2021 सूची में शामिल मटिल्डा कुल्लू को सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री जी कर दें.
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