अधूरे एक्सप्रेस वे पर सियासत

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अधूरे एक्सप्रेस वे पर सियासत

हिसाम सिद्दीकी 
लखनऊ! वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने सोलह नवम्बर को सुल्तानपुर के कूडेभार इलाके के अलवर कीरी करवथ गांव के नजदीक लखनऊ-गाजीपुर पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का इफ्तेताह तो कर दिया हालांकि अभी तक एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ फेसिंग और सर्विस लेन का काम मुकम्मल नहीं हुआ है. लखनऊ से गाजीपुर तक कोई पेट्रोल पम्प नहीं है, ट्वायलेट और रेस्टोरेंट भी नहीं बने हैं. फेसिंग मुकम्मल न होने की वजह से एक्सप्रेस वे पर जानवरों के आने और बड़े हादसात का खतरा है. इस एक्सप्रेस वे का इफ्तेताह करते हुए नरेन्द्र मोदी ने एलक्शन मुहिम जैसी तकरीर की हालांकि करोड़ों का खर्चा सरकार के मुख्तलिफ मोहकमों ने उठाया है. दो हजार बसों का इंतजाम तो अकेले यूपी रोडवेज को करना पड़ा. सड़क का इफ्तेताह करने के बहाने मोदी ने जो एलक्शन मीटिंग की उसमें भीड़ जुटाने का काम बीजेपी वर्करों के बजाए कई जिले के अफसरान से लिया गया. मोदी ने कहा कि यह एक्सप्रेस वे बन जाने से पूर्वांचल के लोगों को आमद व रफ्त में तो आसानी होगी ही उनकी मआशी (आर्थिक) तरक्की भी होगी. उन्होने कहा कि पिछली सरकारों खुसूसन समाजवादी पार्टी की सरकार ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की तरक्की पर कभी ध्यान नहीं दिया इसीलिए पहले इधर राह नहीं थी राहजनी होती थी. एक्सप्रेस वे बनना अव्छी बात तो है लेकिन मोदी के दावे गलत हैं. क्योकि यह एक्सप्रेस वे जिन जिलों से गुजरता है उनमें गरीबों की तादाद बहुत ज्यादा है. सतह अफलास (बीपीएल) के नीचे वाले गरीबों की तादाद डेढ करोड़ है जिनमें साढे तेइस लाख लोग तो अन्तयोदय कार्ड वाले हैं. 
नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ दावे चाहे जितने बडे़-बड़े करें आम आदमी की आमदनी में इजाफे के जरिए तलाश किए बगैर इस एक्सप्रेस वे का फायदा गरीबों को नहीं होगा. सिर्फ बड़ी-बडी गाडियां चलाने वालों को होगा, वह भी आसान नहीं इसपर जो टोल टैक्स वसूला जाएगा उसका मोटा हिसाब यह है कि इसपर चलने के लिए एक रूपए नव्वे पैसे फी किलोमीटर टोल टैक्स की शक्ल में देना पड़ेगा. इसके इर्दगिर्द रहने वाले गरीब लोग न इतना पैसा खर्च कर सकेंगे न उन्हें इसका फायदा होगा. जिन जिलों से यह एक्सप्रेस वे गुजरेगा उनमें लखनऊ में बीपीएल लोगों की तादाद साढे सोलह लाख से ज्यादा है. आखिरी शहर गाजीपुर में यह तादाद 28 लाख है. दरम्यान में पड़ने वाले सुल्तानपुर में 18 लाख 70 हजार गरीब और दो लाख 70 हजार अन्तयोदय कार्ड वाले रहते हैं. सुल्तानपुर से अलग होकर बने अमेठी जिले में चौदह लाख 59 हजार गरीब और दो लाख 54 हजार अन्तयोदय कार्ड वाले लोग हैं. फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया गया है इसमें 18 लाख 85 हजार बीपीएल कार्ड वाले लोग हैं. जिनमें दो लाख 75 हजार अन्तयोदय कार्ड वाले हैं. अम्बेडकर नगर में 18 लाख 52 हजार बीपीएल और दो लाख 63 हजार अन्तयोदय कार्ड वाले हैं. मऊ में 26 लाख गरीब और तीन लाख बीपीएल कार्ड वाले लोग हैं. मोदी या योगी में से कौन बताएगा कि बीपीएल और अन्तयोदय कार्ड वाली यह आबादी इस एक्सप्रेस वे से कैसे फायदा उठाएगी. 
वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ ने एक्सप्रेस वे के इफ्तेताह के बहाने एलक्शन मीटिंग तो कर ली, अपोजीशन पार्टियों खुसूसन अखिलेश यादव पर नुक्ताचीनी भी खूब कर ली, लेकिन इस बात पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की कि अखिलेश यादव ने लखनऊ से आगरा तक जो तीन सौ दो किलोमीटर का लम्बा एक्सप्रेस वे बनाया था उसपर भी सुखोई जैसे लड़ाकू तय्यारे उतारे गए थे. उसका काम सिर्फ अट्ठारह महीनों में मुकम्मल हो गया था, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे आठ लेन का है जिसकी कीमत आई थी तेरह हजार दो सौ करोड़ रूपए, हर लेन के एक किलोमीटर की लागत साढे पांच करोड़ थी जो योगी के एक्सप्रेस वे की कीमत से आधी थी. क्योकि योगी के एक्सप्रेस वे की लागत फी लेन फी किलोमीटर ग्यारह करोड़ रूपए आई है यानी अखिलेश के मुकाबले दो गुनी. यह एक्सप्रेस वे भी अखिलेश के जेहन की उपज थी उन्होने 2015 में इसका संगे बुनियाद (आधार शिला) भी रखा था. इसका नाम था समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे. योगी सरकार आने के बाद इसका नाम तब्दील कर दिया गया. इसकी लम्बाई तीन सौ चालीस यानी आगरा एक्सप्रेस वे के मुकाबले सिर्फ 38किलोमीटर ज्यादा है. यह आठ के बजाए छः लेन का है, जिसे बनाने में साढे बाइस हजार करोड़ रूपए खर्च हुए और वक्त लगा 36 महीनों का.जदीद मरकज़ 
 

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