यूपी, उतराखंड दोनों जगह हार रही बीजेपी ?

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यूपी, उतराखंड दोनों जगह हार रही बीजेपी ?

हिसाम सिद्दीकी 
लखनऊ! एक मरकजी होम मिनिस्टर हैं अमित शाह दूसरे उत्तर प्रदेश के वजीर-ए-आला हैं योगी आदित्यनाथ दोनों के पास तमाम सेण्ट्रल और रियासती खुफिया एजेंसियांं की रिपोर्टें आती हैं दोनों आजकल जिस किस्म की बातें कर रहे हैं उससे यह जाहिर होता है कि खुफिया एजेंसियों ने दोनों को यह रिपोर्टें दे रखी हैं कि अगले साल होने वाले दोनों रियासतों के असम्बली एलक्शन में बीजेपी की शिकस्त हो रही है, आखिरी वक्त में आप लोग कुछ कर सकें तो कर लीजिए. 29 अक्टूबर को अमित शाह लखनऊ आए अगले दिन देहरादून गए, दोनों जगहों पर उन्होने जो तकरीरें कीं उनमें इस बात का कोई जिक्र नहीं था कि उनकी सरकार ने दोनों रियासतों में क्या काम किए हैं. वह मुगलों से अब तक की तारीख बताते रहे और एक बड़ा झूट यह बोल गए कि उनका काफिला आ रहा था रास्ते में ट्राफिक रूका मिला तो उन्होने किसी से पूछा कि क्या बात है, जवाब मिला कि आज जुमे का दिन है, हाईवे पर नमाज हो रही है. इधर योगी आदित्यनाथ का हाल यह है कि वह अपने साढे चार साल की कामयाबियां तो बता ही नहीं पा रहे हैं लिहाजा वह भी सिर्फ हिन्दुत्व की बात करते हैं और अब तो उन्हें तिहत्तर साल पहले इंतकाल कर चुके मोहम्मद अली जिनाह मिल गए हैं. जिनके नाम पर हिदुओं को भड़का कर वह वोट लेने की कोशिश कर रहे हैं. दरअस्ल हरदोई में सरदार पटेल जयंती के जलसे में समाजवादी पार्टी के सदर अखिलेश यादव ने कह दिया था कि महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और मोहम्मद अली  जिनाह एक ही इदारे से कानून की पढाई करके आए थे और देश को आजादी दिलाई. उनकी इस बात को योगी ले उड़े और कहते फिर रहे हैं कि अखिलेश यादव ने तो जिनाह का मुवाजना (तुलना) सरदार पटेल से किया है. 
अखिलेश यादव ने जिनाह का सरदार पटेल से कोई मुवाजना नहीं किया सिर्फ यह जिक्र किया कि चारों लोग एक ही इदारे से कानून की पढाई करके आए थे. योगी और उनकी टीम ने सरदार पटेल का नाम तो ले लिया क्योंकि कुर्मी वोटों पर उनकी नजर है लेकिन एक बार भी यह नहीं कहा कि अखिलेश ने महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू का मुवाजना (तुलना) जिनाह से किया. अखिलेश यादव ने तो चारों का नाम लिया था फिर योगी को सिर्फ पटेल का नाम क्यों याद रहा? योगी ने अखिलेश के बयान को शर्मनाक तक कहते हुए उनसे माफी मांगने का मतालबा कर डाला और कहा कि अखिलेश यादव ने मुल्क तोड़ने वाले जिनाह का मुवाजना मुल्क जोड़ने वाले सरदार पटेल से किया यह उनकी तालिबानी जेहनियत है. देश और उत्तर प्रदेश के अवाम इसके लिए उन्हें माफ नहीं करेंगे. उनकी पार्टी के उत्तर प्रदेश के सदर स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि जिनाह के लिए अखिलेश की मोहब्बत देखकर ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के क्रिकेट मैच जीतने पर उन्होने फुलझड़ी छुड़ाई होगी. योगी के डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्या ने तो अखिलेश का नाम अखिलेश अली जिनाह ही रख दिया. 
मरकजी होम मिनिस्टर अमित शाह उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी को जितवाने की मुहिम के लिए लखनऊ आए थे उनकी पार्टी की मरकजी और रियासती सरकारों ने क्या काम किए यह तो वह नहीं बता सके लेकिन यह कहा कि मुगलों की हुकूमत जाने के बाद से 2017 में जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी तभी लोगों को यह एहसास हो सका कि अयोध्या में भगवान राम, मथुरा में भगवान कृष्ण और बनारस में बाबा विश्वनाथ की भूमि है. उन्होने अखिलेश का नाम लेते हुए कहा कि आपकी पार्टी की सरकार थी तो बेगुनाह कारसेवकों पर फायरिंग की गई थी. उन्हें गोलियों से भूनने का काम किया गया था. इंतेहाई ड्रामाई अंदाज में अमित शाह ने कहा कि ‘अखिलेश बाबू कोरोना वबा के दौरान आप कहां थे, गुजिश्ता पांच सालों में आप कितने दिन विदेशों में रहे.’ वह ऐसे बात कर रहे थे जैसे कोरोना वबा के दौरान योगी आदित्यनाथ के बजाए अखिलेश यादव चीफ मिनिस्टर रहे हों और अपनी जिम्मेदारी से भाग खड़े हुए हों. मुगलों की हुकूमत खत्म होने के बाद से 2017 में ही लोगों को राम जन्म भूमि का एहसास हुआ यह कहकर उन्होने अपनी ही पार्टी की कल्याण सिंह राजनाथ सिंह राम प्रकाश गुप्ता 1970 में जनता पार्टी की सरकारों आडवानी, जोशी की रथ यात्रा और छः दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद का गिराया जाना सभी पर पानी फेर दिया. 
अमित शाह, योगी आदित्यनाथ की तारीफें करने में इतना बहक गए कि यह भी बोल गए कि अगर 2022 में योगी आदित्यनाथ सरकार की वापसी न हुई तो 2024 में मरकज में नरेन्द्र मोदी की वापसी भी मुश्किल हो जाएगी. मतलब यह कि मोदी के मुकाबले अब योगी ज्यादा अहम हो गए हैं और मोदी भी उन्हीं के सहारे हैं. अमित शाह तो यह कहकर निकल गए लेकिन बीजेपी के तर्जुमान और दीगर लोग अखबारात और टीवी चैनलों से यह कोशिश करते रहे कि उनकी इस बात को न शाया (प्रकाशित) किया जाए न दिखाया जाए. अगले दिन अमित शाह देहरादून गए थे, वहां उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ नफरत का माहौल पैदा करने की गरज से एक झूटी कहानी सुना दी कि वह हाईवे पर आ रहे थे तो उन्हें रोक दिया गया क्योकि हाईवे बंद करके जुमे की नमाज पढाई जा रही थी. यह मुंहभराई (तृष्टिकरण) है जो उनकी सरकार नहीं होने देगी. वह सद फीसद झूट बोल रहे थे इसलिए वह यह नहीं बता पाए कि किस हाईवे को बंद करके जुमे की नमाज हो रही थी. उन्हें तो बस मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलानी थी तो फैला दी. 
बीजेपी लीडरान और जिम्मेदारान की इस किस्म की बौखलाहट इस बात का सबूत है कि इन्हें अपनी शिकस्त का बखूबी अंदाजा हो गया है. उन्हें पता है कि अगर इस तरह की ड्रामेबाजी नहीं करेंगे तो लोगों के जेहन में एक सौ बारह रूपए से ज्यादा के पेट्रोल की कीमत, सौ रूपए से ज्यादा डीजल और दो हजार साठ (2060) रूपए के कामर्शियल गैस सिलेण्डर की बातें जरूर होंगी. किसान खुदकुशी कर रहे हैं लड़कियों और ख्वातीन के साथ छेड़छाड़ और मजालिम हो रहे हैं. सरसों का तेल 210 रूपए लीटर तक बिक रहा है, बेरोजगारी और महंगाई अपने उरूज पर है. इन बातों का जवाब यह लोग नहीं दे सकते इसीलिए हिन्दुत्व, मंदिर, अयोध्या, मथुरा, बनारस, जिनाह और नमाज का जिक्र करके यह वोट हासिल करना चाहते हैं. 
एनडीटीवी के कमाल खान की रिपोर्ट के मुताबिक गांधी और जवाहर लाल नेहरू ने लंदन के इनर टैपल सरदार पटेल ने मिडिल टैंपल और मोहम्मद अली जिनाह ने लिकंस इन से कानून और बैरिस्टरी की पढाई की थी. यह चारों एक ही इदारे की शाखें हैं. अखिलेश यादव ने इसी बात का जिक्र किया था. मुगल बादशाह बाबर का 491 साल पहले इंतकाल हो चुका आखिरी मुगल बहादुर शाह जफर एक सौ तिरसठ (163) साल पहले रंगून भेज दिए गए थे, मोहम्मद अली जिनाह के इंतकाल के 73 साल हो चुके हैं. अयोध्या में कारसेवकों पर फायरिंग के 31 साल गुजर चुके हैं अब बीजेपी को यह सारी बातें याद आ रही हैं इस वक्त प्रदेश और देश में तकरीबन साठ फीसद वोटर तीस साल की उम्र के हैं उन्हें कारसेवकों पर फायरिंग याद दिलाकर अमित शाह और योगी आदित्यनाथ वोट कैसे हासिल कर लेंगे?जदीद मरकज़ 
 

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