बड़ी डील कराते हैं आरएसएस लीडरान !

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बड़ी डील कराते हैं आरएसएस लीडरान !

हिसाम सिद्दीकी 
नई दिल्ली! बीजेपी सरकारों और सदर राज वाले जम्मू-कश्मीर में आरएसएस के सीनियर लीडर बड़े पैमाने पर रिश्वत कमाते हैं और सरकारों से गैर कानूनी काम कराते हैं. इस बात का खुलासा बीजेपी के ही एक सीनियर लीडर और मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने अपनी एक तकरीर के दौरान किया है. गवर्नर मलिक ने राजस्थान के झुनझुनू में एक प्रोग्राम में बोलते हुए कहा कि जब वह कश्मीर के गवर्नर थे तो उनके पास दो फाइलें आई थीं, एक का ताल्लुक अनिल अंबानी की कम्पनी से था और दूसरे के पीछे आरएसएस के एक बड़े लीडर का हाथ था. मुझसे कहा गया था कि अगर मैं दोनों फाइलों पर दस्तखत कर दूं तो मुझे दोनों के डेढ-डेढ सौ करोड़ यानी कुल तीन सौ करोड़ रूपए मिल जाएंगे. मलिक ने कहा कि मैंने दोनों फाइलें रिजेक्ट कर दीं थी. आरएसएस का कौन लीडर था उसका नाम बताने के बजाए सत्यपाल मलिक ने कहा कि सभी जानते हैं कि उस वक्त जम्मू कश्मीर का इंचार्ज कौन था. उन्होंने बताया कि आरएसएस लीडर महबूबा मुफ्ती की सरकार में शामिल था और वह वजीर-ए-आजम मोदी का बहुत नजदीकी है. सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन से अपनी हमदर्दियों और हिमायत को दोबारा जाहिर करते हुए यहां तक कह दिया कि अगर मोदी सरकार ने किसानों से बात करके उनका मसला हल नहीं किया और किसानों के साथ दुश्मनों जैसा रवैय्या ही जारी रखा तो बीजेपी तबाह हो जाएगी और मोदी 2024 का एलक्शन भी हार जाएंगे. उन्होने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह गवर्नरी के ओहदे से इस्तीफा देकर किसानों के साथ बैठने के लिए भी तैयार है. उन्होने कहा कि अगर उन्होंने कश्मीर में रिश्वत खा ली होती तो अब तक उनके घर पर ईडी और इनकम टैक्स सभी पहुच चुके होते. सत्यपाल मलिक गवर्नर है, वजीर-ए-आजम मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह के नजदीकी बताए जाते हैं. तभी गवर्नर हैं वह बिहार, जम्मू कश्मीर और गोवा के गवर्नर रह चुके हैं. उन्होने इतना सनसनी खेज खुलासा कर दिया फिर भी मीडिया खुसूसन मोदी गुलाम टीवी चैनलों और अखबारात में उनके बयान को न तो अच्छी तरह दिखाया न शाया (प्रकाशित) किया. वजीर-ए-आजम मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह की जानिब से भी मलिक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. इससे जाहिर होता है कि उन्होने आरएसएस लीडर पर जो इल्जाम लगाया वह सच है.  
मलिक ने राजस्थान के झुंझनू में एक प्रोग्राम को खिताब करते हुए कहा, कश्मीर जाने के बाद मेरे सामने दो फाइलें (मंजूरी के लिए) लाई गईं. एक अंबानी और दूसरी आरएसएस से जुड़े शख्स की थी, जो महबूबा मुफ्ती की कयादत वाली उस वक्त की पीडीपी-बीजेपी सरकार में वजीर थे और वजीर-ए-आजम के बहुत करीबी थे.  उन्होंने कहा, ‘दोनों मोहकमों के सेक्रेटरियों ने मुझे बताया था कि यह काम बेईमानी से जुड़ा हुआ है, लिहाजा दोनों सौदे रद्द कर दिए गए. सेक्रेटरियों ने मुझसे कहा था कि आपको हर फाइल को मंजूरी देने के लिए 150-150 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच जोड़ी कुर्ता-पायजामा लेकर आया था और सिर्फ उन्हें ही वापस लेकर जाऊंगा.  उनकी इस तकरीर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है. मलिक ने इन दो फाइलों के बारे में तफसील से नहीं बताया, लेकिन वह वाजेह तौर से सरकारी मुलाजमीन, पेंशन पाने वालों और एक्रीडेटेड सहाफियों के लिए एक इज्तिमाई हेल्थ बीमा पालीसी स्कीम को लागू करने से मुताल्लिक फाइल का जिक्र कर रहे थे, जिसके लिए सरकार ने अनिल अंबानी वाले रिलायंस ग्रुप के रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ करार किया था. बता दें कि अक्टूबर 2018 में जम्मू कश्मीर के गवर्नर के तौर पर उन्होंने मुलाजमीन के लिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ बीमा करार को गड़बड़ी के शक में रद्द कर दिया था. गवर्नर ने दो दिन बाद रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ कान्ट्रैक्ट को रद्द करने की इजाजत दे दी और मामले को पूरी कार्रवाई की जांच के लिए एंटीकरप्शन ब्यूरो को रेफर कर दिया. उन्होंने कहा, एहतियात के तौर पर मैंने वजीर-ए-आजम से मिलने का वक्त लिया और उन्हें इन दोनों फाइलों के बारे में बताया. मैंने उन्हें सीधे बताया कि मैं ओहदा छोड़ने के लिए तैयार हूं लेकिन अगर मैं ओहदे पर बना रहूंगा तो इन फाइलों को मंजूरी नहीं दूंगा.  मलिक ने किसान आंदोलन पर कहा, अगर किसान आंदोलन जारी रहता है तो मैं बगैर किसी की परवा किए अपना ओहदा छोड़कर उनके साथ खड़ा रहूंगा. यह तभी मुमकिन है जब मैंने कोई गलत काम नहीं किया है. मैं मुतमइन हूं कि मैं कुछ भी गलत नहीं किया.  
राजस्थान के झुंझनू में एक प्रोग्राम में जम्मू कश्मीर के साबिक गवर्नर सत्यपाल मलिक यह दावा कर सियासी गलियारों में चर्चा का मरकज बन गए हैं. मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक से जब यह पूछा गया कि वह आरएसएस का लीडर कौन था, तो उन्होंने नाम बताने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि सबको पता है कि जम्मू कश्मीर में आरएसएस का इंचार्ज कौन था.  इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक उन्होंने कहा, उनका नाम लेना सही नहीं होगा, लेकिन आप पता कर सकते हैं कि जम्मू कश्मीर में आरएसएस इंचार्ज कौन था. लेकिन मुझे अफसोस है, मुझे आरएसएस का नाम नहीं लेना चाहिए था.  उन्होंने आगे कहा, ‘अगर कोई अपनी जाती सलाहियत में काम कर रहा है या कोई कारोबार कर रहा है, तो उसी का ही जिक्र किया जाना चाहिए था. चाहे वह किसी भी तंजीम से जुड़ा हो.  
इस दरम्यान मलिक के इल्जामात के बारे में पूछे जाने पर आरएसएस लीडर राम माधव ने सूरत में कहा, उन्हीं से पूछें कि वह कौन था या क्या था.  जब राम माधव से कहा गया कि वह उस वक्त जम्मू कश्मीर में थे, तो उन्होंने कहा, आरएसएस का कोई भी शख्स ऐसा कुछ नहीं करेगा. लेकिन मैं हकीकत में नहीं जानता कि उन्होंने इसे किस सिलसिले में कहा, या उन्होंने ऐसा कहा भी है या नहीं. आपको उनसे पूछना चाहिए. उन्होंने कहा होगा किसी ने यह कहा है’. मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, आरएसएस से कोई भी ऐसा कभी नहीं करता है. उन्होंने 2014 में कहा था कि हम चुनाव हार रहे हैं और हमने किसानों के साथ नाइंसाफी की है. यह उनकी राय हो सकती है, सच्चाई क्या है, हम नहीं जानते.  मालूम हो कि गुजिश्ता 17 अक्टूबर को राजस्थान के एक प्रोग्राम में मलिक ने कहा था, जम्मू कश्मीर में मेरे सामने दो फाइलें आई थीं. उनमें से एक अंबानी की थी, दूसरी आरएसएस के एक सीनियर लीडर की थी. सेक्रेटरियों में से एक ने मुझे बताया कि अगर मैं इन्हें मंजूरी दे देता हूं तो हर एक के लिए मुझे 150 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. मैंने यह कहते हुए तजवीज को ठुकरा दिया कि मैं (कश्मीर में) पांच कुर्ता-पजामा लेकर आया था, और बस इन्हीं के साथ चला जाऊंगा.  उन्होंने आगे कहा, लेकिन एहतियात के तौर पर मैंने वजीर-ए-आजम से वक्त लिया और उनसे मिलने गया. मैंने उनसे कहा कि यह फाइल है, इसमें घपला है, इसमें यह शामिल लोग हैं, और वह आपका नाम लेते हैं, आप मुझे बताएं कि क्या करना है.  मलिक के मुताबिक अगर इन फाइलों को रद्द नहीं किया जाना है, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा और आप मेरी जगह किसी और को गवर्नर बना सकते हैं. लेकिन अगर मैं रहता हूं, तो मैं इन फाइलों को मंजूरी नहीं दूंगा. मैं वजीर-ए-आजम के जवाब की तारीफ  करता हूं- उन्होंने मुझसे कहा कि बेईमानी पर किसी समझौते की कोई जरूरत नहीं है.  
गवर्नर सत्यपाल मलिक ने बीजेपी और वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी दोनों पर बहुत ही संगीन इल्जाम लगाते हुए कहा कि गोवा में बीजेपी सरकार है, जो पूरी तरह बेईमानी पर चलती है. कोई भी काम ऐसा नहीं है जिसमें बेईमानी शामिल न हो. आप गोवा के गवर्नर थे, आपने कुछ किया क्यों नहीं? इस सवाल पर उन्होने कहा कि किया था तभी तो गोवा से हटाकर मेघालय भेज दिया गया. उन्होने कहा कि आज हालात यह हो गए हैं कि कोई शख्स सरकार के खिलाफ जबान नहीं खोल सकता. लोग खौफजदा हैं, मीडिया भी खौफजदा है, इसलिए सवाल नहीं करती.  
सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर किसानी कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन की हिमायत करके यहां तक एलान कर दिया है कि अगर किसानों का आंदोलन जारी रहा तो वह अपने ओहदे से इस्तीफा देकर उनके साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं. इसके अलावा वायरल हुई एक वीडियो क्लिप में मलिक को यह दावा करते हुए देखा जा सकता है कि नेशनल कान्फ्रेंस के सदर फारूक अब्दुल्लाह और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की चीफ महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना के तहत प्लाट मिले थे. अब्दुल्लाह और मुफ्ती दोनों ने मलिक के इल्जामात को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया है. महबूबा मुफ्ती ने इसे लेकर सत्यपाल मलिक को कानूनी नोटिस भी भेजा है. मलिक ने कहा, उन्हें पता होना चाहिए कि कानूनी तौर पर वह न तो मुझे कानूनी नोटिस भेज सकती हैं और न ही मेरे खिलाफ कानूनी मामला दर्ज कर सकती हैं. अगर महबूबा ने मुझे फोन कर अपनी बात वापस लेने के लिए कहा होता, तो मैं अपनी बात वापस ले लेता, क्योंकि मेरे साथ उनके ऐसे ताल्लुकात हैं. वह अच्छी तरह जानती हैं कि वह मेरे खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती हैं. मैंने जो कहा, मैं उस पर कायम हूं.  गौरतलब है कि रोशनी एक्ट फारूक अब्दुल्लाह की सरकार में लागू किया गया था, जिसमें रियासती सरकार की जमीन के कब्जेदार को फीस देकर मालिकाना हक देने का बंदोबस्त था. इस स्कीम से हासिल रकम का इस्तेमाल रियासत की हाइड्रो पावर प्रोजेक्टों  पर खर्च किया जाना था. हालांकि, जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने इस कानून को गैर-कानूनी करार देकर रद्द कर दिया था और प्लाट लेने वालों की जांच करने की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी थी. जदीद मरकज 
  

 

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