अरसे बाद दुनिया को एक खूबसूरत पोस्टर मिला है

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अरसे बाद दुनिया को एक खूबसूरत पोस्टर मिला है

चंचल  
शुक्रिया प्रियंका गांधी . 
अरसे बाद दुनिया को एक खूबसूरत पोस्टर  मिला है .' दुनिया '  लिखते समय,   किसी तरह  महिमा गायन के आरोप का अंदेशा तक नही हुआ , न हिचक ,न ही संकोच .धड़ल्ले से लिख रहा हूँ  तर्क के साथ . आंख बन्द करके देख लो - 
 ' दुनिया कहाँ खड़ी है ? '  
बारुद के ढेर पर .हिंसा , घृणा , उत्तेजना , समूचे कायनात को घेरे खड़ी है .हथियारों के सौदागर खून सस्ते होने की घोषणा कर रहे हैं .लोंगो के घरों  में लगी आग को ज्वलनशील पदार्थ से बुझाने का खेल चल रहा है .ऐसे में कहीं से कोई करुणा , प्यार ,अपनेपन का एहसास दिलाता दिख जाए,  तो मौसम अपने आप खुशगवार हो  जाता है .' गांधी - नेहरू परिवार ' जी ! आपने बिल्कुल सही समझा ,वही कह रहा हैं - गांधी - नेहरू परिवार की एक बेटी प्यार बांटते सड़क पर निकल पड़ी है .उसके पास कुछ हो या न हो,  एक रवायत तो है ही , और इसी रवायत को कहते है - गांधी - नेहरू परिवार ।बुद्ध , पाणिनि , पतंजलि , कृष्ण , नानक , मोहम्मद साहब , ईसा मसीह , थ्योरो , सुकरात या दुनिया की वह हर अजीम शख्सियत जिनके पास दिलों के जितने का  हुनर था , प्यार , मोहब्बत और करुणा बांटते चलते लोग , इक्कट्ठे होकर गांधी बने बैठे थे  यह वही परम्परा है .इसी परंपरा में है-  जालिम के सामने घुटने मत टेको .उसकी बात मानने से इनकार कर दो .तकलीफ सह लो .यह है सिविल नाफरमानी .लखीमपुर , आगरा , हाथरस कहीं भी देख लो .पुलिस को करारा जवाब देती है , प्रियंका  चंडी रूप धारण कर लेती है .पुलिस सहम कर पीछे हट जाती है .याद रखिये प्रियंका का रास्ता पुलिस नही रोक रही है ,सरकार रोक रही है .यही पुलिस जब सरकार के चोंगे से बाहर आती है कर उसका इंसान सामने आता है, उसी पुलिस को  प्रियंका में बेटी , बहन , और भविष्य दिखने लगता है .पुलिस के अंदर का इंसान दौड़ता है प्रियंका को देखने , गले लगाने , 'एक तस्वीर हो जाय दीदी ' और चंडी पिघल कर माँ हो जाती है - हमे रोकना हुक्म था सरकार का , उसने उसे निभाया .लेकिन  हुक्म के अलावा वह इंसान भी तो है चंडी का रौद्र रूप करुणा , और ममता से आगे बढ़ता है ।प्रियंका बाहें फैला देती हैं . 
  '  मन बदल दो ' यही तो रवायत है कांग्रेस की .दुनिया देख रही है वो गांधी तो जिंदा है . 
   
  अमा ! राजनीति जाय भाड़ में .देखो तो सही , इस तस्वीर को ,फाड़ पाओगे? जला पकोगे  इस पोस्टर को ?  
 धान के खेत और हाइवे की सड़क के बीच की दूरी जब टूटती है  , इंसानी सभ्यता तब शुरू होती है . 
      शुक्रिया प्रियंका

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