लखीमपुर खीरी में मोदी के वजीर ने आग लगाई

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लखीमपुर खीरी में मोदी के वजीर ने आग लगाई

हिसाम सिद्दीकी 
लखीमपुर खीरी! वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ को किसानों के आंदोलन से इंतहा दर्जे तक नफरत दिखती है. इन्हीं से शह पाकर मोदी वजारत में मिनिस्टर आफ स्टेट होम अजय मिश्रा उर्फ टेनी ने पच्चीस सितम्बर को किसानों को धमकी देते हुए कहा था कि वह उन्हें लखीमपुर जिले में ही नहीं रहने देंगे. तो अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने तीन अक्टूबर को पुरअम्न किसानों पर अपनी गाड़ियां चढवाकर उन्हे और उनके आंदोलन को कुचलने का काम किया. किसानों का हौसला देखते हुए यह बात कही जा सकती है कि भले ही अजय मिश्रा के बेटे ने अपनी कीमती थार गाड़ी चढाकर चार लोगों को मौत के घाट उतार दिया हो किसानों के आंदोलन को कुचलने और कमजोर करने की उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकती. इस शर्मनाक और भयानक वाक्ए में चार किसानों के अलावा एक सहाफी रमन कश्यप समेत पांच दीगर लोग भी मारे गए. आशीष मिश्रा के ड्राइवर और गाड़ियों में बैठे बीजेपी के दो वर्करों को किसानों के मरने के बाद भीड़ ने पीटकर मार डाला तो रमन कश्यप के लिए कहा जाता है कि उनकी मौत बीजेपी लीडर की गोली लगने से हुई. इतने शर्मनाक वाक्ए के बाद पांच अक्टूबर को वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी लखनऊ में ‘अमृत महोत्सव’ मनाने आए. उन्होने लखीमपुर के वाक्ए का जिक्र तक नहीं किया. उल्टे उनके प्रोग्राम के दौरान इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के हाल में बाहर नाच गाने का प्रोग्राम चलता रहा. 
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का सो-मोटो नोटिस लिया और आठ अक्टूबर तक यूपी सरकार से सटेटस रिपोर्ट तलब की. हड़बड़ी में योगी सरकार ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रवीण कुमार श्रीवास्तव की कयादत में एक रूकनी तहकीकाती कमीशन बना दिया. लखीमपुर पुलिस ने मरकजी वजीर के बेटे आशीष मिश्रा को गिरफ्तार करने के बजाए उन्हें पूछगछ के लिए समन जारी किया साथ ही यह भी कह दिया कि आशीष गायब है. 
किसानों के साथ मोदी और योगी सरकारों की दुश्मनी का आलम यह है कि अगर कोई किसान बीजेपी के किसी लीडर को काला झण्डा दिखा दे तो झण्डा दिखाने वाले के खिलाफ फौरन ही सख्त दफाओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है. लखीमपुर का वाक्या भी स्याह झण्डे दिखाने की वजह से पेश आया. पच्चीस सितम्बर को अजय मिश्रा को कुछ किसानों ने काले झण्डे दिखा दिए थे इससे अजय मिश्रा इतना बौखला गए कि उन्होने अपनी एक तकरीर में घुमा फिरा कर यह कह दिया कि वह बहुत बड़े गुण्डे हैं. अगर वह अपनी पर उतर आएं तो जिन लोगों ने उन्हें स्याह झण्डे दिखाए हैं वह निघासन तो दूर पूरे लखीमपुर में कहीं रह नहीं पाएंगे. दरअस्ल अजय मिश्रा नाम लिए बगैर सिखों को खौफजदा करने की बात कर रहे थे क्योंकि स्याह झण्डे दिखाने वाले किसानों में सिख किसान ही ज्यादा थे. यह सही है कि अजय मिश्रा गुण्डे रहे हैं बल्कि अभी भी हैं. कत्ल के एक मामले में वह मुल्जिम भी हैं. 
तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्य का लखीमपुर जिले में अजय मिश्रा के गांव जाने का प्रोग्राम था एहतेजाज कर रहे किसानों ने हैलीपैड और उसके इर्द गिर्द कब्जा कर लिया और उन्हें व अजय मिश्रा को स्याह झण्डे दिखाने का प्रोग्राम बना लिया. केशव प्रसाद मौर्य हेलीकाप्टर के बजाए सड़क के रास्ते से लखीमपुर चले गए. सड़क पर दोनों तरफ किसान स्याह झण्डे लिए खडे़ थे झण्डे दिखाने के बाद वह खामोशी के साथ अपने-अपने घर वापस जा रहे थे, तभी तिकुनिया में अजय मिश्रा का बेटा आशीष अपनी थार गाड़ी में पीछे से आया उसके साथ दो गाड़ियां और थी. उसने तेज रफ्तार थार सड़क के किनारे चल रहे किसानों पर चढा दी जिससे चार किसानों की मौत हो गई और दर्जनों जख्मी हो गए. तेज रफ्तार थार और उसके पीछे चल रही स्कार्पियो चंद कदम आगे चलकर उलट गई. किसानों ने उन्हें घेर लिया. किसानों का कहना है कि थार के अंदर से आशीष मिश्रा ने अपनी रिवाल्वर से फायरिंग भी की, वह बाहर निकला तो पुलिस वालों ने उसे घेर लिया और गन्ने के खेत से लेकर भाग गए. उनके ड्राइवर और बीजेपी के दो-तीन वर्करों को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. 
किसानों को इस तरह कुचले जाने के बाद मरकजी वजीर अजय मिश्रा ने सफाई देते हुए कह दिया कि उनका बेटा आशीष तो मौके पर था ही नहीं. अगर वह मौके पर होता तो किसानों के नाम पर इकटठा हुए बलवाइयों और फिरकापरस्त अनासिर ने ड्राइवर की तरह उसकी भी जान ले ली होती. अजय मिश्रा जो पच्चीस सितम्बर को किसानों (सिखों) को लखीमपुर से बाहर निकालने का दावा कर रहे थे बेटे की करतूत के बाद काफी सहमे से दिखने लगे. उनका बेटा तो जैसे छुप ही गया लेकिन अजय मिश्रा को अपनी गुण्डई के पुराने दिन याद दिलाना महंगा ही पड़ गया. आशीष मिश्रा और उसके पन्द्रह-बीस नामालूम साथियों के खिलाफ कत्ल समेत कई संगीन दफाओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया. 
लखीमपुर के वाक्ए की इत्तेला होते ही पूरे देश में जैसे हंगामा मच गया. दिल्ली के बाहर गाजीपुर बार्डर पर धरने पर बैठे राकेश टिकैत फौरन लखीमपुर के लिए रवाना हो गए. उत्तर प्रदेश की इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांधी भी रात में ही दिल्ली से निकलकर लखनऊ पहुच गई और लखीमपुर के लिए रवाना हो गई. सीतापुर पुलिस ने हरगांव में उन्हें गिरफ्तार कर लिया और सीतापुर में पीएसी के गेस्ट हाउस में ले जाकर बंद कर दिया. राकेश टिकैत मौके पर पहुच गए. उत्तर प्रदेश के कई सीनियर पुलिस और सिविल अफसरान भी मौके पर पहुचे. टिकैत के साथ अफसरान की कई राउण्ड की बातचीत के बाद तय हुआ कि मरने वाले चार किसानों समेत मरने वाले सभी लोगों को पैतालीस-पैतालीस लाख का मुआवजा दिया जाएगा उनके कुन्बे के एक-एक शख्स को सरकारी नौकरी दी जाएगी और आशीष मिश्रा और उनके साथियों के खिलाफ कत्ल का मुकदमा दर्ज किया जाएगा. इस समझौते के बाद ही सड़क पर बैठे किसानों ने अपना आंदोलन खत्म किया. खबर लिखे जाने तक आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी तो दूर पुलिस ने उससे पूछगछ तक नहीं की थी. 
कांग्रेस ने इस मामले में पूरे मुल्क में एहतेजाज शुरू कर दिया है. पंजाब कांग्रेस कमेटी के सदर नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी पार्टी के मेम्बरान असम्बली, वजीरों और हजारों दीगर लोगों के साथ मोहाली से लखीमपुर तक सात अक्टूबर को मार्च निकाल दिया. उत्तर प्रदेश पुलिस ने सहारनपुर के सरसावां में सिद्धू को रोक कर हिरासत में ले लिया. सिद्धू ने एलान किया था कि अगर वजीर के बेटे आशीष मिश्रा को गिरफ्तार न किया गया तो आठ अक्टूबर से वह तिकोनिया में भूक हड़ताल पर बैठ जाएंगे. 
जदीद मरकज

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