चंचल
मायावती जी हमे पसन्द हैं, इसके अनेक कारण हैं , इसमे से एक है - राजनीति में चुक चुके हँसी - मजाक को फूंक-फांक कर जिंदा रखने की कला .शुरू से ही यह आदत रही .
इनकी पार्टी का एक सूत्रीय प्रोग्राम रहा- मनुवाद के चलते, समाज के निम्न से निन्म तल पर जा चुका समाज का ही एक बड़ा हिस्सा ,जिसे अछूत या हरिजन ( इस शब्द से मायावती जी चिढ़ती हैं ) को ऊपर ले आना और उनको उनका हक मिले की वकालत करना .मनुवाद के रचयिता , वाहक और सबसे बड़े पैरोकार रहे हैं ब्राह्मण .ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य के लिए नारा निकला - तिलक ( ब्राह्मण ) तराजू (बनिया ) और तलवार ( क्षत्रिय ) / इन्होंने मिल कर समाज को खोखला किया , इसका इलाज क्या हो ? इलाज भी बता दिया एक ब्राह्मण (?) ने - जूता मारो , चार .( चार तुकबन्दी में लिया गया या किसी विप्र ने गणना करके गन्ना बिठाया ? यह पत्थर की हवेली में ही कैद है .बहरहाल भारत की राजनीति में एक नया और पहला उत्तेजक नारा आया -
तिलक, तराजू औ तलवार .
इनको मारो ,जूता चार ..
बाभन हंसा - नासमझ है ,मास्टरनी .सारा खेल दिमाग करता है इतना भी नही मालूम , बहुत भोली है .बाभन सूतिया नही होता .पैदा होते ही बवाल लेकर आता है .
बड़े - बड़ों को देखा है .सबको पीट कर देश निकाला तक दे दिया है .हम अपनी जंग में तलवार नही चलाते , हम अहिंसक हैं हमारे पास जुबान है , दिमाग मे कहानी है .इस कहानी से ही हम अपने दुश्मन को मारते आये हैं .बिम्बसार कुल में बाप की हत्या कर बेटे को गद्दी तक पहुचाना मामूली जोखिम भरा काम नही था , लेकिन किया , बुद्ध को देवता बना कर ,उनके अनुयायी को मलेक्ष किसने घोषित किया ? बुद्ध भारत मे पिट गया लेकिन दुनिया को फतह कर लिया .कबीर को जुलाहा और उनकी मा को ब्राह्मणी किसने बताया ? आओ कांशी राम .एक उच्चकुल का बाभन खोज कर मायावती के पास भेज दो .कहानी का पूरा हिस्सा आप जी रहे हैं बताने की जरूरत ही नही .मनुवाद के खिलाफ खड़ी एक पार्टी को एक पतितपावन ' मिश्र ' राजगद्दी का महात्म्य बताया .केशव की भाषा मे .केशव दरबावरी कवि है .अगर आपने केशव रचित 'राम चंद्रिका ' पढ़ी होगी तो उन्हें सहज ज्ञान मिल जाएगा कि केशव ने जिस तरह से रावण 'दरबार ' का वर्णन किया है , वह अद्भुत है - सका मेघमाला , शकी पीतकारी ,
करें कोतवाली , महादण्डधारी ..
( सका कहते हैं कहार को जो पानी भरता है , रावण के दरबार मे यह काम बादलों का झुंड कर रहा है , शकी मतलब अग्नि स्वयं महरिन बनी भोजन बनाती है और जिसका दरबान महादण्डधारी यानी यमराज खुद है , यह दरबार है रावण का .और रावण ,- ब्रह्मा को डांटता है - सुन विरंचि ! वेद को मौन होकर वेद की तरह पढ़ो
- विरंचि वेद मौन पढ़ !, छोड़ जीभ छंद रे .
मायावती को दरबार महात्म् समझा कर मिश्र विप्र घुमा दिया पूरे सोच को और मनुवाद की मारी मायावती लगी मनुवाद को स्थापित करने .शुरुआत गुजरात से ही हुई .
बहरहाल कल एक बहुत बड़ा मजाकिया बात कह गईं मायावती जी -
' बहुजन पार्टी , पैसा लेकर चुनाव का टिकट नही देती.दुमछल्ला लगाया - कांग्रेस जो रैली करती है , किराए पर लोग बुलाये जाते हैं .' इन दोनों बयानों को जोड़ कर देखिये - किस वाद के समर्थन में जा रहीं हैं ?
ये सब हास्य हैं , कम्बखत मीडिया इसे संजीदा करेगी क्यों कि ये और कुपथित हैं
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