मोनेटाइजेशन के बहाने नीलामी पर चढा देश

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मोनेटाइजेशन के बहाने नीलामी पर चढा देश

हिसाम सिद्दीकी 
नई दिल्ली. मोनीटाइजेशन के बहाने नरेन्द्र मोदी हुकूमत ने रेलवे, हाईवेज, पावर जनरेशन, पावर ट्रांसमीशन, कुदरती गैस पाइप लाइन, सिविल एवीएशन, टेलीकाम, वेयर हाउसिंग, माइनिंग, शहरी रियल एस्टेट यहां तक कि स्टेडियम भी प्राइवेट हाथों में सौंपने का एलान किया है. फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण के मुताबिक इससे सरकार को छः लाख करोड़ रूपए हासिल होंगे. नरेन्द्र मोदी और निर्मला सीतारमण यह नहीं बता पाए कि अभी तो वह तमाम सरकारी जायदादें बेच कर छः लाख करोड़ रूपए कमाएंगे और देश चलाने में उसे खर्च करेंगे लेकिन जब यह पैसा खर्च हो जाएगा तब प्राइवेट कम्पनियों के हाथों में क्या सौंपा जाएगा. क्या तब यह लोग देश को ही बेच देंगे? सरकार की जानिब से कहा गया है कि इन तमाम पुरवकार (गौरवपूर्ण) इदारों को सिर्फ चार साल के लिए प्राइवेट हाथों में सौंपा जाएगा. लेकिन क्या यह मुमकिन है कि इतनी मोटी रकम इनवेस्ट (निवेश) करने के बाद प्राइवेट कम्पनियां मुनाफे समेत अपना पैसा वसूले बगैर इन इदारों को दोबारा सरकार को वापस कर देंगी? कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने कहा कि सत्तर सालों में देश में जो पूंजी और इदारे बनाए गए थे उन्हें बेचा जा रहा है. यहीं पर नरेन्द्र मोदी का वह दावा कि सत्तर साल में पिछली सरकारों ने कुछ नहीं किया. यह टेप 2013 से मुसलसल बजा कर अवाम को गुमराह करके एक्तेदार (सत्ता) पर कब्जा कर लिया लेकिन सिवाए जुमलेबाजियों के कुछ नहीं किया और अब मुल्क चलाने के लिए विरासत में मिली जायदादों को बेचने का फैसला करना पड़ा है. सवाल यही है कि जब पिछली सरकारों ने कुछ किया ही नहीं तो यह जायदादें कहां से आ गईं. 
कांग्रेस लीडर राहुल गांधी का कहना है कि मोदी सरकार ने इन जायदादों को बेचने के लिए किसी से कोई मश्विरा नहीं किया. अपने कुछ थैलीशाह दोस्तों के साथ मिलकर उनकी मर्जी के मुताबिक जायदादों को बेचने का फैसला कर लिया ताकि वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी अपने तीन-चार दोस्त थैलीशाहों का सरकारी जायदादों पर कब्जा कराकर उन्हें मोटा मुनाफा कमवा सके. राहुल ने कहा कि चार सौ स्टेशनों और डेढ सौ से ज्यादा ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपकर सरकार रेलवे मुलाजमीन के मुस्तकबिल से खिलवाड़ करना चाहती है. प्राइवेट कम्पनियां रेलवे के बड़ी तादाद में मुलाजमीन को मुलाजिमत से निकाल कर बेरोजगार कर देंगी. इसी तरह स्टेशन पर काम करने वालों को थोड़े पैसे देकर ज्यादा काम कराया जाएगा. 
मोदी हुकूमत ने लखनऊ, मुंबई जैसे कई अहम हवाई अड्डे पहले ही अपने दोस्त अडानी को सौंप रखे हैं. अब बड़ौदरा, चेन्नई, बनारस और भोपाल जैसे दो दर्जन से ज्यादा हवाई अड्डे उन्हीं को सौपने की तैयारी है. मोदी के कारपोरेट सेक्टर के अडानी ने जैसे दोस्त मुंबई जैसे हजारों करोड़ में बने पुरवकार (गौरवपूर्ण) हवाई अड्डों को तो ले लिया क्योकि उनके लेते ही उनकी आमदनी शुरू हो गयी लेकिन दिल्ली के पास जेवर और अयोध्या में बनने वाले एयरपोर्ट का काम वह नहीं लेंगे क्योकि ऐसे हवाई अड्डों में जमीन एक्वायर करने से हवाई अड्डे बनाने तक जो हजारों करोड़ रूपए खर्च होंगे वह खर्च अडानी नहीं करने वाले. अगर इन हवाई अड्डो का काम मुकम्मल होने तक देश में मोदी सरकार रही तो सरकारी पैसे से बनाकर यह हवाई अड्डे भी अडानी को दे दिए जाएगे. हवाई अड्डों की तरह बेशुमार पैसा खर्च करके दिल्ली में बने जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, बंगलौर और जीरक पुर के स्टेडियम भी प्राइवेट हाथों में दिए जा रहे हैं. शायद यही मोदी का राष्ट्रवाद है. 
निर्मला सीतारमण ने जो एलान किया है उसके मुताबिक नेशनल हाईवेज की सडकों से एक लाख साठ हजार दो सौ (160200) करोड़, चार सौ रेलवे स्टेशनों के जरिए एक लाख बावन हजार चार सौ छियान्नवे (152496) करोड़, इनमें सात सौ इक्तालिस किलोमीटर लम्बी कोकण रेलवे, पन्द्रह रेलवे स्टेडियम और रेलवे कालोनियां भी शामिल हैं. बिजली के शोबे में पावर जनरेशन और पावर ट्रांसमीशन को प्राइवेट हाथों में सौंप कर सरकार पच्चासी हजार बत्तीस (85032) करोड़ रूपए कमाएगी. नेचुरल गैस पाइप लाइन और दीगर पाइप लाइन्स के जरिए छियालिस हजार नौ सौ छाछठ (46966) करोड़, शहरी रियल एस्टेट से पन्द्रह हजार (15000) करोड़, टेलीकाम से पैतीस हजार एक सौ (35100) करोड़, वेयर हाउसिंग से अटठाइस हजार नौ सौ (28900) करोड़, माइनिंग से अट्ठाइस हजार सात सौ सैतालीस (28747) करोड़, हवाई अड्डों से बीस हजार सात सौ बयासी (20782) करोड़, बंदरगाहों से बारह हजार आठ सौ अट्ठाइस (12828) करोड़ और स्टेडियमों से ग्यारह हजार चार सौ पचास (11450) करोड़ रूपए कमाएगी.जदीद मरकज़ 
 

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