चंचल
हमे कोई मुगालता नही है .सब समझता हूं .हम जानते हैं , आज हम जिस वाकये और संजीदा मजाक पर हँस रहे हैं ,इसी पर कल हम जार जार रोयेंगे और बचने की कोई जगह नही मिलेगी .दूर कहीं दूर भागना भी चाहें तो नही भाग सकेंगे क्यों कि हम ईनसानी सभ्यता में वह वाहिद बसावट है ,जो ता उम्र अपने हद में सिमटे रही , बाहर झांका तक नही ,क्यों कि हमारे पास कूबत नही थी , न ही जज्बा .एक बुद्ध को छोड़ कर . कालांतर में गांधी आये जिन्होंने दुनिया को फतह किया . तलवार से नही , करुणा से दिलों को जीता .आज दोनो दुनिया मे घूम रहे हैं, बे खौफ लेकिन अपने ही मुल्क में हमने ही इन दोनों को जिबह किया ।पहले कहानी से फिर हथियार से . आप संजीदा मत होइए हम फलसफे की इबारत यहीं रख रहे हैं , क्यों कि बाहर ड्योढ़ी पर किसी ने दस्तक दी है -
- नमस्ते सदा
- क्या बात है आज बहुत चहक रहे हो ?
वह छाती पर हाथ लगा कर हिटलर में प्रवेश कर गया .काली टोपी की कनपटी से बहते पसीने की बूंदें उसे असहज करने लगी तो इसने उंगली से खुजलाने लगा .वह अक्सर यही करता होगा , वरना ठीक उसी जगह टोपी के उधड़ने की कोई और वजह नही है . वह निहायत संजीदा था - तब हमने पूछा - आज बहुत खुश हो ? ( उसकी आदत है कब वह अंदर से खुश होता है तो बाहर उसका चेहरा संजीदा हो जाता है .कामरेड लेनिन बनर्जी का कहना है - ' गुप्त ' इसका वर्गीय चरित्र है .इसकी हर बात गुप्त होती है इज्जत के अलावा .)
- अफगानिस्तान को देखा ?
उसका गुप्त उघार होना शुरू हुआ .उसके दिमाग मे हिंसा कुलबुला रही थी , लेकिन वह हिंसा की मजम्मत कर रहा था , क्यों कि वह जिस हिंसा की निंदा कर रहा था उसकी जुबान मुख्तलिफ थी , लिबास और सलीका मुख्तलिफ था बाद बाकी सब उससे मेल खाता था .कमीना इस कदर है कि उसके दिमाग मे हिंसा की पहचान भी कई तरह की होती है .अपनी हिंसा को अपनी भाषा से निकाल कर अंग्रेजी के जिम्मे टिका दिया - लिंचिंग .
- क्या हुआ अफगानिस्तान में ?
- तालिबान सत्ता में आ गए
- इस लिए खुश हो ?
- किसने कहा खुश हूं ?
- खुश नही हो तो क्या हो ?
- मजहब की आड़ में जेहाद ? खुल्लम खुल्ला हिंसा ?
- इसका तर्जुमा करो अपनी भाषा मे , हकलाओ मत , बोलो .
- धर्म के आड़ में हिंसा , अपनी संस्कृति को सामने रख कर हत्या , यही सब .
- जैसे ?
- दाढ़ी रखना जर मर्द को जरूरी है
- और औरत को ?
- बुर्के में रहना , सड़क पर निकलें तो अकेले नही , एड़ी तक नही दिखना चाहिए , नौकरी नही कर सकती , केवल बच्चा पैदा करें
- इसका तर्जुमा सुन लो , औरतों को पर्दे में रहना चाहिए .सड़क पर जब भी उतरें शरीर को पूरा ढक कर उतरें .जवान जोड़े नही दिखना चाहिए , चाहे भाई बहन ही क्यों न हों , दिखाई पढ़ें तो उन्हें पीट पीट कर दुरुस्त करो, पब में बैठ कर शराब न पिएं , प्यार का इजहार न करें यही सब कहता है तालिबान .है न ?
- जी यही
- तालिबान का मतलब जानते हो ? तर्जुमा कर लेना
आईने के सामने खड़ा होकर.
- पागल थी अफगान की जनता , तालिबान बनते रहे और जनता खामोश रही ?
- तालिबान का अर्थ होता है धर्म का असल ज्ञान ग्रहण करनेवाला .यह धर्म ओढ़ कर आता है .जनता को धर्म के नाम पर आसानी से सम्मोहित कर सकते हो विशेष कर तब जब नेतृत्व कमजोर हो .तुम्हारी लाठी गिर गयी है , उसे उठा लो और निकल लो काशी मथुरा
- तुम कहाँ जा रहे हो ?
- अफगानिस्तान से खत आया है सहरा करीमी का .उसे पहुचाना है .
- किसे ?
- अगली पीढ़ी को
माफ करना सहरा , हम खुद , खुद खुद
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments