सवाल पूछना अभद्र नही है मित्र

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सवाल पूछना अभद्र नही है मित्र

चंचल  
हिंदुस्तान हिंदी अखबार से हमारा रागात्मक लगाव है , इसलिए इसे जेरे बहस उठा लिया .आज इसके डिजिटल अखबार में एक खबर है,  जिसमे दिल्ली की घटना पर अखबार का  नुमाइंदा लिखता है - 'अभद्र व्यवहार ' .  अखबार के संवाददाता के पास एक अचूक हथियार होता है , जो आग की  खबर पर पानी फेर सकता  है और  थिर जल में ज्वार ला सकता है इसे कहते हैं -  
  ' साइलेंट मैसेज ' .हमारे जमाने मे संपादक या सम्पादकीय सहकर्मी जो संवाददाता के लिखे को फाइनल रूप देकर छपने के लिए भेजते थे , वे इस साइलेंट मैसेज को बारीकी से देख लेते थे कि संवाददाता क्या कहना चाहता है .अब यह साइलेंट की धार देखिये -  
  ताजा उदाहरण - कल पूर्व प्रधानमंत्री  मन मोहन  सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा .इस पत्र का जवाब मोदी ने खुद नही दिया , सेहत मंत्री को कहा जवाब दे दो .प्रोटोकॉल की बात ही नही करता , इस सरकार से उसका कोई लेना देना नही , कम से कम उम्र और अनुभव का ही लिहाज कर लेते .बहरहाल .वह जाने दीजिए .आज एक कनपुरिया अखबार , कमबख्त अपने को  एक नम्बरी कहता है,  खबर की हेडिंग दिया - मनमोहन को ' करारा ' जवाब .ये जो करारा है यही साइलेंट मैसेज कहा जाता है । 
 सहतमंत्री हर्षवर्धन करारा जवाब दे रहे हैं ?  
     बहरहाल अब आइये हिंदुस्तान की खबर पर . 
     दरियागंज में एक सड़क है .अरुणाआसफली रोड .यह सड़क इतिहास है .जिस महिला के नाम यह सड़क बनी है उनका नाम है अरुणा आसफली .9 अगस्त 1942 को जब समूची कांग्रेस अपने अधिवेशन की पूर्व संध्या पर गिरफ्तार कर ली गयी तो दूसरे दिन अलसुबह बम्बई के  कांग्रेस अधिवेशन पर तिरंगा फहराने  की औपचारिकता जिस बहादुर सेनानी ने पूरा किया था , वो यही युवा लड़की अरुणा थी .आजादी के बाद वही अरुणा आसफली दिल्ली की पहली महापौर बनी .उनकी मृत्यु के बाद दिल्ली की इस सड़क का नाम अरुणा आसफली पड़ा .यह वाकया इसी सड़क का है . 
     एक दम्पत्ति बन्द कर में इसी अरुणा आसफली सड़क से गुजर रहे थे तो पुलिस ने गाड़ी रोका .उन दोनों मियां बीवी ने मास्क  नही पहना था .पुलिस ने कहा चालान होगा .महिला और  पुलिस   के बीच बतकही शुरू हो गयी .बार बार महिला पूछती रही किस धारा में चालान  होगा ? पुलिस के पास जवाब नही था , बस फरमान था जिसका वह हवाला दे रहा था .बहरहाल महिला का सवाल देखिये -  
    - यह  मास्क सब के लिए है या कुछ लोंगो के ही लिए ?  
      - यह  मास्क दिल्ली में लगेगा , दिल्ली से कुछ ही दूरी पर हरिद्वार है इसी दिल्ली से होकर स्नानार्थी हरद्वार गए ,उनके लिए  मास्क जरूरी नही था ?  
     - राजनीति में मास्क  जरूरी नही है ?  
  अभी यह सवाल और पुलिस की चुप्पी चल ही रही थी कि अचानक वह महिला उस भीड़ की तरफ  मुड़ी जो तमाशा देखने आ खड़ी हुई थी .महिला ने भीड़ को ललकारा - तमाशा देख रहे हो ,  शर्म नही आती ? सवाल पूछने की हिम्मत नही , ही ही कर रहे हो ? भीड़ भगी .बहरहाल क्लिपिंग बन्द हो गयी .अब अखबार कहता है  
  महिला ने पुलिस से अभद्र व्यवहार किया ।  
 जनाबेआली ! अखबार ! मोदी , अमित , कारकून , पूरी भीड़ मास्क तो छोड़ो सुरसा की तरह मुंह फैलाये खेला होबे खेला होबे चीख रहे हैं वह सलीका हो गया और एक दम्पत्ति बन्द गाड़ी में बगैर मास्क के जा रहे हैं अपराध हो गया .ठीक है   उसे अदालत जाने .आपका फैसला पहले ही आ  गया -  'अभद्र व्यवहार ' .सवाल पूछना अभद्र नही है मित्र .अपनी पीठ पर जो बस्ता लेकर चलते हो , उसमे कई खीसे हैं .एक जेब मे लिख कर डाल लो -  
       ' जालिम वहीं पैदा  होते हैं , जहां  दब्बू रहते हैं '  
काम आएगा मित्र ।

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