रोजगार की लड़ाई लड़ने वालों को जमानत मिली

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

रोजगार की लड़ाई लड़ने वालों को जमानत मिली

लखनऊ.रोजगार के अधिकार के लिए आंदोलन की अगुवाई करने वाले युवा मंच के संयोजक राजेश सचान, अध्यक्ष अनिल सिंह व अमरेन्द्र सिंह को आज जमानत मिलने को आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने जनांदोलन की जीत बताया. आज लिए राजनीतिक प्रस्ताव में आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने कहा कि रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने, उत्तर प्रदेश समेत देश में खाली पड़े 24 लाख पदों पर भर्ती चालू करने, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पीईटी की व्यवस्था पर रोक लगाने और 6 माह में रिक्त पदों को भरने जैसे सवालों पर युवाओं का आंदोलन जारी रहेगा. युवाओं की मांगे वाजिब है और युवा आंदोलन को आइपीएफ हर सम्भव मदद देता रहेगा. यह राजनीतिक प्रस्ताव आइपीएफ नेता दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी किया. 
प्रस्ताव में कहा गया कि योगी सरकार एक तरफ करोड़ों रोजगार देने की घोषणा करती है वहीं दूसरी तरफ युवा मंच समेत तमाम संगठनों व प्रतियोगी छात्रों द्वारा मांग करने के बावजूद सरकार ने शिक्षकों व तकनीकी संवर्ग के लाखों खाली पदों को भरने का विज्ञापन आज तक नहीं निकाला. हद यह है कि अधीनस्थ चयन बोर्ड जैसी परीक्षाओं के लिए अनावश्यक रूप से अर्हता परीक्षा यानी पीईटी ला रही है. इसी तरह योगी सरकार ने गैरकानूनी ढंग से काम के घंटें बारह कर दिए थे जिसे वर्कर्स फ्रंट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में हस्तक्षेप के बाद सरकार को वापस लेना पड़ा था. यहीं सब वे कारण है जिससे छात्रों और नौजवानों में गहरा विक्षोभ अंदर से है जो कल हजारों की संख्या में नौजवान जिसमें बड़ी संख्या युवतियों की थी, के प्रदर्शन में शामिल होने में दिखाई दिया. आज भी युवा मंच के नेताओं के जमानत में जिस तरह से इलाहाबाद के छात्रों, नौजवानों और वकीलों ने पहल ली वह इस बात को दर्शाता है कि लोग इस सरकार के लगातार जारी दमन से आजिज आ गए है. प्रस्ताव में कहा यह जनांदोलनों का दौर है क्योंकि वित्तीय पूंजी सम्राटों और कारपोरेट के मुनाफे के लिए विकास का जो रास्ता लिया गया उसने किसान, मजदूर, युवा, छोटे मझोले व्यापारी सबको तबाह कर दिया है. तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी के लिए कानून बनाने के लिए किसानों का आंदोलन जारी है. रोजगार के अधिकार के लिए और रिक्त पदों की भर्ती के लिए नौजवान आंदोलनरत है. मजदूर वर्ग भी अपने अधिकारों पर हमले के खिलाफ आंदोलन में उतर रहा है. इसलिए आज जरूरत है कि यह सभी आंदोलन एक साथ मिलकर लड़े. 
      इसके अलावा आज पूरे प्रदेश के युवाओं व युवा संगठनों और आइपीएफ कार्यकर्ताओं द्वारा योगी सरकार द्वारा छात्रों नौजवानों के साथ की गई इस तानाशाही पूर्ण दमनात्मक कार्यवाही के विरूद्ध और जेल भेजे गए युवा मंच के संयोजक राजेश सचान, अध्यक्ष अनिल सिंह व अमरेन्द्र सिंह की बिना शर्त रिहाई के लिए मुख्यमंत्री के नाम पत्र भेजे. युवा हल्ला बोल और युवा शक्ति संगठन ने भी अपना प्रतिवाद दर्ज किया. वहीं लखीमपुर खीरी में आइपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डा. बी. आर. गौतम, सीतापुर में मजदूर किसान मंच नेता सुनीला रावत, युवा मंच के नागेश गौतम, अभिलाष गौतम, एडवोकेट कमलेश सिंह, सोनभद्र में प्रदेश उपाध्यक्ष कांता कोल, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, कृपाशंकर पनिका, मंगरू प्रसाद गोंड़, युवा मंच नेता ज्ञानदास गोंड़, रूबी गोंड़, सूरज कोल, रामफल गोंड़, शिव प्रसाद गोंड़, महावीर गोंड,़ आगरा में वर्कर्स फ्रंट उपाध्यक्ष ई. दुर्गा प्रसाद, इलाहाबाद में युवा मंच राम बहादुर पटेल, चंदौली में स्नेहा राय, आलोक राजभर, मऊ में बुनकर वाहनी के एकबाल अहमद अंसारी, बलिया में मास्टर कन्हैया प्रसाद ने प्रतिवाद का नेतृत्व किया. 
 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :