पटना.आखिरकार यह भी खबर आ गई. कोविशील्ड जहां असल में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका का भारतीय संस्करण है वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह भारत की अपनी वैक्सीन है जिसे 'स्वदेशी वैक्सीन' भी कहा जा रहा है.कोविशील्ड को भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया कंपनी बना रही है. वहीं, कोवैक्सीन को भारत बायोटेक कंपनी इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर बना रही है. बिहार में 10 लाख डोज आ रहा है.कोवैक्सीन 20 हजार डोज और कोविशील्ड 9 लाख 80 हजार डोज.16 जनवरी से शुरू कोरोना टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क और सजग है.बिहार में कुल 300 स्थलों पर वैक्सिनेसन का शुभारंभ होगा, टीकाकरण का पहला डोज स्वास्थ्यकर्मियों को दिया जायेगा. टीका उन्हीं का होगा, जो पूर्व से को-विन पोर्टल पर निबंधित होंगे.
राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर स्थित स्टेट वैक्सीन स्टोर को अब कोरोना वैक्सीन के रखरखाव के लिए पूरी तरीके से तैयार कर लिया गया है.स्टेट वैक्सीन स्टोर बिहार में वैक्सीन भंडारण का सबसे बड़ा केंद्र है. यह वैक्सीन सेंटर बिहार ही नहीं, देश के सबसे बड़े वैक्सीन भंडारण केंद्रों में से भी एक है. दावा किया जा रहा है कि वैक्सीन स्टोर में एक साथ कोरोना वैक्सीन के 35 लाख डोज रखे जा सकते हैं. नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर बिनोद कुमार सिंह ने बताया कि स्टेट वैक्सीन स्टोर में करीब 22 लाख डोज रखने की व्यवस्था थी, जिसको बढ़ाकर अब 35 लाख कर दिया गया है.
राजधानी समेत जिला और प्रखंड सहित शहरी क्षेत्रों में चिह्नित स्थलों पर प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती कर दी गई है, वैक्सीन टीकाकरण के लिए 5 सदस्यीय टीम का गठन प्रत्येक केंद्रों के लिए किया गया है जिनके द्वारा एक केंद्र पर एक दिन में 100 लोगों को टीका दिया जायेगा.राज्य के सभी 9 सरकारी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल, 5 प्राइवेट कॉलेज, 21 सदर अस्पताल, 17 अनुमंडलीय अस्पताल, 208 प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 1 नर्सिंग स्कूल 3 रेफरल अस्पताल एवं शेष 36 प्राइवेट संस्थान इनमें शामिल हैं.कोविड पोर्टल पर 4 लाख 67 हजार 684 लाभार्थी निबंधित हुए हैं. वैक्सीन भंडारण के लिए राज्य स्तर पर एक टीकौषधि भंडार, क्षेत्रीय स्तर पर 10, जिला स्तर पर 38 और प्रखंड स्तर पर 630 भंडार की व्यवस्था की गई है। जिन 300 स्थानों पर टीकाकरण का शुभारंभ होना है.
बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव के एक बयान ने राजनीतिक गलियारे की हलचल बढ़ा दी थी.तेज प्रताप यादव ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेने को कहा था, जिससे इसका रिएक्शन पता चल जाए.देश में कोरोना वैक्सीन को लेकर कई ऐसे बयान आए जिससे सत्ता पक्ष ने विपक्ष ने हमला किया. बिहार में भी ऐसे ही बयान से माहौल गर्म रहा है. ऐसे में आम जन की राय है कि पहला डोज अगर मुख्यमंत्री या फिर स्वास्थ्य मंत्री लेते हैं तो विपक्ष को करारा जवाब मिल जाएगा. विश्वास भी लोगों में बढ़ जाएगा.
पहले चरण में कोरोना संक्रमण से जूझने वाले डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन दी जानी है.इसके लिए स्वास्थ्स विभाग आंकड़े इकट्ठा कर रहा है. बताया जाता है कि पटना के सिविल सर्जन कार्यालय के पास अधिकांश सरकारी अस्पतालों के आंकड़े पहुंच चुके हैं.हालांकि, अभी 20 फीसद निजी अस्पतालों के आंकड़े ही पहुंचे हैं.जिलाधिकारी ने आंकड़ा संग्रह करने के काम में तेजी का निर्देश दिया है.
विदित हो कि 10 माह के बाद कोरोना वैक्सीन लगाने के पहले यह सवाल सामने आ गया है कि नेता-मंत्री वैक्सीनेशन का उद्घाटन फीता काटकर करेंगे या खुद वैक्सीन लेकर ? वैक्सीन के प्रति विश्वास-अविश्वास को लेकर पूरे बिहार के लोगों का कहना है कि हेल्थ मिनिस्टर मंगल पाण्डेय और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव को भी हेल्थ वर्कर के साथ वैक्सीन लेना चाहिए.कोविशील्ड वैक्सीन हेल्थ मिनिस्टर मंगल पाण्डेय को और कोवैक्सीन पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव को देनी चाहिए.इनके साथ विभाग के हर अधिकारी को कोरोना वारियर्स मानते हुए वैक्सीनेशन के प्रति विश्वास जगाने के लिए खुद आगे आना चाहिए.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments