ईसाई समुदाय राष्ट्रीय और धार्मिक पर्व मनाया

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ईसाई समुदाय राष्ट्रीय और धार्मिक पर्व मनाया

आलोक कुमार 

पटना.आज ईसाई समुदाय राष्ट्रीय और धार्मिक पर्व मनाया.ईसाई समुदाय ने सुबह-सुबह चर्च में जाकर कुँवारी मरियम का स्वर्गाेदग्रहण महापर्व मनाया.कहा गया कि यह एक ऐसा अवसर है जब हम कुँवारी मरियम की महानता पर चिंतन करते हैं, उन्हें महिमा में देखते हुए समझते हैं कि सच्ची शक्ति सेवा में है, और राज करने का अर्थ प्रेम है.इसके बाद चर्च परिसर में ही ईसाई समुदाय ने 77 वें स्वतंत्रता दिवस मनाया.इस अवसर पर झंडोत्तोलन किया गया.

         भारत का स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है. सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी.यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है.          प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं.15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था.महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया. स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ.विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं. विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ. यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी. भारत की जनगणना 1951 के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए.

         इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है. भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान,   घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ देशभक्ति फिल्में देखते हैं, देशभक्ति के गीत सुनते हैं.

   इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दसवीं बार लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया.इस बार संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जो चुनिंदा शब्द पूरा देश बीते नौ साल से स्वतंत्रता दिवस पर सुनता आया था वह बदले हुए थे. इस दौरान उन्होंने 140 करोड़ देशवासियों को प्यारे परिवारजन कहकर बुलाया. इस शब्द की मदद से पीएम मोदी ने देशवासियों के साथ रिश्ते को परिवार का रिश्ता से जोड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में "भाइयों बहनों" और "मेरे प्यारे देशवासियों" की जगह पर इस बार "परिवारजन" का जिक्र सबसे ज्यादा किया.

      बता दें कि 2014 में पीएम मोदी ने जब पहली बार लाल किला से देशवासियों को संबोधित किया था तो प्यारे भाइयों-बहनों शब्द का इस्तेमाल किया था और अभी तक भाइयों-बहनों बोलकर ही संबोधित करते थे. लेकिन, इस बार उन्होंने देशवासियों के रिश्ते को ‘परिवारजन’ नाम दिया.दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से "परिवारजन" का जिक्र किए जाने के पीछे कई सामाजिक और राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. पीएम मोदी के भाषणों समेत उनके 'कम्युनिकेशन स्किल' पर शोध करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी ने ऐसा करके आने वाले चुनावों में ज्यादा से ज्यादा घरों तक पहुंचने की अपनी एक बड़ी पैठ को बढ़ाया है.

   "सेंटर फॉर लिंग्विस्टिक एंड इट्स इंपैक्ट" के नेशनल कन्वीनर जेपी लोढ़ा कहते हैं कि भाषा और बॉडी लैंग्वेज के माध्यम से आप बहुत हद तक लोगों को प्रभावित कर सकते हैं.उनका कहना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में अलग-अलग मंचों से लोगों को हमेशा से प्रभावित करते आए हैं. उनका कहना है कि परिवार जन भारतीय परंपरा में जुड़ाव का मजबूत माध्यम है जिसमें लोग न सिर्फ अपनेपन का एहसास करते हैं बल्कि सीधे तौर पर उससे जुड़ते भी हैं.

     प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से स्वतंत्रता दिवस पर बार-बार बोले जाने वाले परिवारजन के असर को लेकर लोढ़ा कहते हैं कि निश्चित तौर पर इसका असर एक बड़े जनमानस पर तो पड़ेगा ही. उनका कहना है कि वह इस मामले में कोई राजनीतिक बात तो नहीं कर रहे हैं लेकिन यह बात चाहे मोदी पर लागू हो या अन्य विपक्ष के किसी नेता पर। जो जनता से सीधे तौर पर मिलेगा, बात करेगा, संवाद करेगा या उनकी तरह उनके सामने पेश आएगा तो उसको सियासी लाभ भी मिलेगा. वह कहते हैं राजनीति में भाषा और बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल हमेशा से होता आया है और उसका जनता में असर भी दिखता है.

      वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिए गए डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान परिवारजन शब्द को लेकर सियासत भी होने लगी है. कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के मद्देनजर अपने पूरे डेढ़ घंटे के भाषण में सियासी शब्द ही बोले हैं. केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा जीवन देश के लिए ही समर्पित है. इसलिए पूरे देश के लोग उनके परिवारजन हैं. और वह अपने देश के प्रत्येक नागरिक और प्रत्येक घर को परिवार ही मानते हैं.

      हालांकि अनुराग ठाकुर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए यह भी कहते हैं कि कुछ लोगों के लिए देश के मतदाता राक्षस हो सकते हैं लेकिन हमारे लिए देश का प्रत्येक नागरिक और घर मेरा अपना घर है और मेरे अपने परिवार वाले हैं.

       पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने ये दावा किया है कि लाल किला से पीएम मोदी का ये आखिरी भाषण होगा. आने वाले चुनाव में विपक्षी गठबंधन की सरकार बनने वाली है. लेकिन, इस साल के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, अगले साल भी 15 अगस्त को वह लाल किले पर फिर से आएंगे और तिरंगा लहराएंगे. हालांकि, ये अब वक्त ही बताएगा कि जनता किसका साथ देगी?


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