आलोक कुमार
पटना.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत की. केंद्र सरकार को लेकर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री कहा कि केंद्र सरकार का मीडिया पर कब्जा है. प्रधानमंत्री का नाम और पद का उल्लेख किए बिना ही मुख्यमंत्री ने कहा कि सब जगह घटनाएं घट रही हैं लेकिन उनका कोई बयान नहीं आता है. वे लोग अपने ढंग से जो अच्छा लगता है उसको बोलते हैं. उनको काम करना चाहिए लेकिन काम नहीं हो रहा है.हाऊस चलता है फिर भी वे लोग चुप रहते हैं.
उन्होंने कहा कि पहले ऐसा नहीं होता था जब हम लोग हाऊस में रहते थे, जब श्रद्धेय अटल जी की सरकार थी तो हर बात का जवाब दिया जाता था. अब केवल एकतरफा बातें छपती हैं. इधर के लोग जो बोलते हैं उनकी बातों को नहीं छापा जाता है, वे जो बोलते हैं केवल उसको ही छापा जाता है. अब उसे देखने की क्या जरूरत है, ऐसे भी हम टी०वी० देखना बहुत कम कर दिए हैं. अपनी बात रखने का विपक्ष को अधिकार है. अब हम लोग की तरफ बहुत पार्टियां आ गए हैं और एकजुट हो गई हैं.
पटना से ही विपक्षी एकता की शुरुआत हुई है.हम लोग सभी पार्टियां मिलजुलकर तय करेंगे कि किस तरह से आगे देश का विकास करना है. जब हम लोग एकजुट हो रहे हैं तो उन लोगों को परेशानी हो रही है.
उन्होंने यहां तक कह डाला कि वर्ष 2024 में भाजपा बिहार से खत्म हो जाएगी पत्रकारों के इस सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हां, बिल्कुल इसलिए वे लोग घबराहट में हैं. हमलोगों की एकजुटता का नतीजा अच्छा निकलेगा.वे लोग केवल प्रचार प्रसार करते हैं, अब विकास का कोई काम नहीं हो रहा है.
बिहार में जो भी काम हुआ सब हमलोगों ने किया है.हम लोगों ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग की लेकिन क्या हुआ ? अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता तो हम लोग कितना आगे पहुंच जाते. वे लोग बिहार को भूल जाते हैं.यह सबसे पौराणिक स्थल है.इसके इतिहास को उठाकर देख लीजिए.
जदयू के बारे में कुछ लोग बयान देते हैं कि वो तीसरे नंबर पर है लेकिन वर्ष 2005 में जब हम लोग चुनाव जीते तो हम लोग कितने नंबर पर थे, कितना वोट आया था हम लोगों को और भाजपा वालों को कितना वोट आया, देख लीजिए. वर्ष 2010 में क्या हुआ हम लोगों को 118 सीटें आईं और उन लोगों को कितनी सीटें आईं, हमसे कम सीटें आईं.इस बार के चुनाव में हम लोगों को हराने का काम किया गया है. एजेंट के तौर पर अन्य लोगों को खड़ा कर हमलोगों को हराया गया. जनता सब जानती है.
वर्ष 2020 के चुनाव के बाद हम मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे और हमने इसके लिए मना कर दिया था लेकिन वे लोग बोलने लगे तो हम उनलोगों की बात मान लिए.वर्ष 2009 में हमलोग लोकसभा का चुनाव साथ लड़े थे. हमलोग 25 सीट पर लड़े तो उसमें 20 पर जीते और भाजपावाले 15 पर लड़े 12 जीते, ये सब बातें वो लोग भूल रहे हैं. हर चीज वे लोग भूल रहे हैं.
श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी हमको मानते थे. हम हमेशा उनका सम्मान करते रहेंगे, इन लोगों को जो मन में आए बोलते रहें. हमलोग काम करना जानते हैं और इनलोगों को सिर्फ बोलना है. वे लोग जो घोषणा किए थे उसमें एक भी पूरा नहीं किए. हम देश के हित में काम करते हैं और राज्य के हित में यहां काम करते हैं. सब लोगों को एकजुट होना चाहिए, यह देश के हित में है.कोई इतिहास न बदले. आजादी की लड़ाई को न भुला दें इसीलिए हमलोग सबको एकजुट करने का काम कर रहे हैं.जब चुनाव की सरगर्मी शुरू होगी तो और पार्टियां भी हम लोगों के साथ आ जाएगी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में उपमुख्यमंत्री रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की बदौलत लोकसभा में जदयू 2 से 16 सीट पर पहुँच गया, वरना राजद की तरह वह भी 2019 में सदन का मुँह न देख पाता.सत्ता के अहंकार में नीतीश कुमार इस हकीकत को भुलाना चाहते हैं.
उपमुख्यमंत्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार मुगालते में न रहें.जो 2014 और 2019 में आये, वही बिहार की सभी 40 सीटें जीत कर 2024 में भी केंद्र की सत्ता में और शक्तिशाली होकर लौटेंगे.
उन्होंने कहा कि पिछले साल विधानसभा के तीन उपचुनाव हुए, जिसमें से दो भाजपा जीती और मोकामा में 64 हजार वोट लाकर पार्टी ने राजद को कड़ी टक्कर दी.
श्री मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद के आगे घुटने टेकने के कारण जदयू का लव-कुश और अति पिछड़ा जनाधार खिसक कर भाजपा के साथ आ चुका है.
आगे मोदी ने कहा कि एक वर्ष में महागठबंधन के साथ न कोई बड़ा नेता जुड़ा, न कोई दल. बिहार में घमंडिया आईएनडीआईए कमजोर हुआ, जबकि चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के आने से एनडीए की ताकत बढ़ी.
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