राहुल गांधी की यह बड़ी जीत है

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राहुल गांधी की यह बड़ी जीत है

आलोक कुमार

नई दिल्ली.जो देश-विदेश-प्रदेश के लोग समझते थे,कि गुजरात के बाउंड्री लाइन के बाहर के कांग्रेस नेता राहुल गांधी का मानहानि का मामला जाएगा.तो एक ही झटके में राहुल गांधी को इंसाफ मिल जाएगा. जो 2019 से शुरू और 2023 में फौरी राहत मिल गयी.

  सर्वविदित है कि राहुल गांधी 13 अप्रैल,2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने मोदी सरनेम को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि सभी चोरों का एक ही सरनेम होता है- मोदी. असल में वो नीरव मोदी और ललित मोदी का जिक्र कर रहे थे, लेकिन इशारों-इशारों में वो पीएम मोदी को भी घेरने की कोशिश कर रहे थे.

      राहुल गांधी के इस विवादित बयान ने इतनी तुल पकड़ ली कि बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक में राहुल गांधी का बयान के आधार पर 15 अप्रैल,2019 को बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई.उनके खिलाफ केस दर्ज करवा दिया.राहुल गांधी पर पूरे 13 करोड़ मोदी समाज को अपमानित करने का आरोप लगाया गया. इसके बाद सूरत की सत्र अदालत ने उन्हें दोषी भी ठहरा दिया.7 जुलाई, 2019 को मानहानि मामले में राहुल गांधी पहली बार सूरत की मेट्रोपॉलिटन अदालत में पेश हुए. 

         17 मार्च ,2023 को केस में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित, 23 मार्च,2023 को सूरत मेट्रोपॉलिटन अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि का दोषी करार देते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई. 24 मार्च, 2023 को अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने और दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी को संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया.दो अप्रैल, 2023 राहुल गांधी ने मेट्रोपॉलिटन अदालत के फैसले को सूरत की सत्र अदालत में चुनौती दी. यह मामला और दोष सिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध अभी अदालत में लंबित है. 

20 अप्रैल, 2023 को सूरत की सत्र अदालत ने राहुल गांधी को जमानत दी, लेकिन दोष सिद्धि पर रोक लगाने से इंकार किया.

25 अप्रैल, 2023 को राहुल गांधी ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की. 

7 जुलाई,2023 को गुजरात हाइकोर्ट में याचिका खारिज.15 जुलाई, 2023 को राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, दलील दी कि अगर इस पर स्थगन नहीं लगाया गया तो यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर करारा प्रहार होगा. 21 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात के मंत्री पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, लेकिन उनकी दोष सिद्धि पर स्थगन लगाने से इंकार किया. 2 अगस्त,2023 को  राहुल ने माफी मांगने से फिर इनकार किया.

      Defamation Case: हलफनामे में कहा गया है कि आपराधिक प्रक्रिया और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत परिणामों का उपयोग करके राहुल गांधी को बिना किसी गलती के माफी मांगने के लिए मजबूर करना, न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है.

         कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी उपनाम वाली टिप्पणी के लिए माफी मांगने से एक बार फिर इनकार कर दिया है. इसी मामले में मानहानि से जुड़े केस के चलते उन्हें संसद की सदस्यता गंवानी पड़ी थी.राहुल सुप्रीम कोर्ट से आपराधिक मानहानि मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की है. शीर्ष कोर्ट में दायर एक हलफनामे में राहुल ने कहा कि पूर्णेश मोदी ने अपने जवाब में उनके लिए अहंकारी जैसे निंदनीय शब्दों का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए किया, क्योंकि उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया.

      कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि उन्होंने हमेशा कहा है कि वह अपराध के दोषी नहीं हैं और दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है. पूर्व सांसद ने यह भी कहा कि अगर उन्हें माफी मांगनी होती और समझौता करना होता, तो उन्होंने बहुत पहले ऐसा कर लिया होता.

          राहुल ने अपने हलफनामे में कहा कि याचिकाकर्ता को बिना किसी गलती के माफी मांगने के लिए मजबूर करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया का उपयोग करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इस न्यायालय द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.

हलफनामे में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने हमेशा कहा है कि वह अपराध का दोषी नहीं है.दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है.अगर उसे माफी मांगनी होती और समझौता करना होता तो वह बहुत पहले ही ऐसा कर चुके होते.

राहुल गांधी ने कहा कि उनका मामला असाधारण है, क्योंकि अपराध मामूली है और एक सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने से उन्हें अपूरणीय क्षति हुई है.इसलिए प्रार्थना की जाती है कि राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई जाए, जिससे वह लोकसभा की चल रही बैठकों और उसके बाद के सत्रों में हिस्सा ले सकें.

उन्होंने दावा किया कि रिकॉर्ड में 'मोदी' नाम का कोई समुदाय या समाज नहीं है.केवल मोदी वणिका समाज या मोध घांची समाज ही अस्तित्व में है.इसलिए समग्र रूप से मोदी समुदाय को बदनाम करने का अपराध नहीं बनता है.

4 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की दोष सिद्धि पर रोक लगायी जिससे उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाली का रास्ता साफ हो गया है.

      सेशंस कोर्ट में 2 साल की सजा सुनाई, गुजरात हाई कोर्ट ने सजा बरकरार और सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी.राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने वाली बेंच में जस्टिस वी.आर.गवई,जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार थे.

   इसके पहले 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए फौरी राहत देने से मना कर दिया था.सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने राहुल गांधी के वकील की दलीलों पर साफ कर दिया कि बिना इस मामले को विस्तार से सुने वो कोई फैसला नहीं दे सकते.इसके बाद गुजरात सरकार और पूर्णेश मोदी के लिए नोटिस जारी की गई और उन्हें 10 दिनों में जवाब देने के लिए कहा गया.इसके बाद अगली तारीख 4 अगस्त तय की गई.

       मोदी सरनेम मानिहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ किया कि वो केस की मेरिट पर नहीं विचार कर रहे हैं. कोर्ट के कहने का मतलब था कि अभी इस पर विचार नहीं हो रहा है कि राहुल के खिलाफ मानहानि का केस बनता है या नहीं.सिर्फ इस पर विचार हो रहा है कि दोष सिद्धि पर रोक लगे या नहीं. कोर्ट ने कहा कि चूंकि राहुल को दो साल की सज़ा मिली है, जो इस केस में अधिकतम सज़ा है.इसलिए उनकी सदस्यता गई. ट्रायल कोर्ट के जज ने अपने आदेश में ये साफ नहीं किया कि आखिर दो साल की सज़ा ही क्यों ज़रूरी है और दूसरी बात उन्होंने लिखी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि - क्या ये बात विचार योग्य नहीं है कि इस फैसले के चलते ( अधिकतम सज़ा के चलते) एक सीट बिना प्रतिनिधित्व के रह जाएगी. ये सिर्फ एक ही व्यक्ति के अधिकार तक ही सीमित रहने वाला मामला नहीं है, ये उस सीट के वोटरों के अधिकार से भी जुड़ा मसला है.

   'मोदी सरनेम' टिप्पणी मामले में राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जज इसे नैतिक अधमता से जुड़ा गंभीर अपराध मानते हैं. यह गैर-संज्ञेय और ज़मानती अपराध है. मामले में कोई अपहरण, बलात्कार या हत्या नहीं की गई है. यह नैतिक अधमता से जुड़ा अपराध कैसे बन सकता है? अभिषेक मनु सिंघवी ने ने आगे कहा कि लोकतंत्र में हम असहमति रखते हैं. राहुल गांधी कोई कट्टर अपराधी नहीं हैं. राहुल गांधी पहले ही संसद के दो सत्रों से दूर रह चुके हैं.

       सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर शुक्रवार को रोक लगा दी. राहुल गांधी को उनकी 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर मानहानि मामले में गुजरात की एक अदालत ने दोषी ठहराया था. उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद उनकी संसदीय सदस्यता समाप्त हो गई थी. अब सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार के फैसले से राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता की बहाली का रास्ता तो साफ हो गया है, और सबसे बड़े बात है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषसिद्धि पर रोक, मामले में मुख्य अपील के निपटारे तक बनी रहेगी. ये मुख्य अपील गुजरात की एक सत्र अदालत में अभी लंबित है और उस पर सुनवाई होनी है. 


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