आलोक कुमार
पटना.राजधानी पटना में बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट -ऐक्टू) सह नेत्री आशा संयुक्त संघर्ष मंच का आह्वान पर बुधवार से ही महाजुटान शामिल होने के लिए गुलाबी रंग की साड़ी में ब्लू बोर्डर लगे ड्रेसकोड में हजारों की संख्या में आशाकर्मी गेट पब्लिक लाइब्रेरी गर्दनीबाग पटना में हजारों की संख्या में पहुंच गई.इंतजार सुबह होने की. इंतजार 21 मार्च को सदन के अंदर उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव का ऐलान का जो आशा कार्यकर्ताओं को मानदेय देने का वादा किया था.इंतजार बिहार सरकार के द्वारा अपने वादा से मुकरने के बाद वादा पूरा करने का है.
गुरूवार को महाजुटान का ऐसा दृश्य बना कि हजारों आशाएं आंदोलन स्थल पर ही नहीं पहुंच पाई.लोगों को इधर उधर ही खड़ा होना पड़ा.एक एक आशा अपनी मांगों और हड़ताल के प्रति दृढ़ दिखीं!हड़ताल की मुख्य नेत्री शशि यादव ने जब ऐलान किया कि बिना मानदेय लिए हड़ताल नहीं टूटेगी.पिछली बार 38 दिन हड़ताल चली तब जाकर कुछ मांगें मिली,इस बार हम 65 दिन तक लड़ेंगे,तो एक एक आशाओं और आशा फैसिलिटेटर ने हाथ उठाकर समर्थन किया.वहीं सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है लेकिन इसकी प्रबल दावेदार आशाओं के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि भाजपा ने बड़ी चालाकी से मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आशाओं को 6हजार मासिक मानदेय और 1लाख रुपए रिटायरमेंट पैकेज देने की घोषणा की है. भाजपा इसको बिहार में मुद्दा बना रही है.नीतीश व तेजस्वी सरकार को आशाओं के वाजिब मांगों को पूरा कर भाजपा की अवसरवादी राजनीति को कटघरे में खड़ा करना चाहिए!
9 सूत्री मांगों पर आशाओं का अनिश्चितकालीन हड़ताल 23 वें दिन भी जारी है.पारितोषिक नहीं मासिक मानदेय दो,एक हजार नहीं 10 हजार दो, रिटायरमेंट पैकेज देना होगा,सभी बकाया का भुगतान करो.आशा नेत्री शशि यादव ने कहा कि महाजुटान से हड़ताली आशाएं भूखे पेट काम नहीं करेगी,बिहार सरकार आशाओं से किया वादा पूरा करो मानदेय लागू करो के नारे के साथ साथ पारितोषिक नहीं 10 हजार मानदेय देना होगा,रिटायरमेंट के बाद आशा खाली हाथ घर नहीं लौटेगीं की मांग गूंजती रही.
पटना में आशा और आशा व फैसिलिटेटर का महाजुटान ने आंदोलन को और बड़ा तेवर प्रदान किया है.आंदोलन के समर्थन में भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, उपनेता सत्यदेव राम,गोपाल रविदास,रामबली सिंह यादव ,अमरजीत कुशवाहा,डॉक्टर सत्येंद्र यादव,अजय कुमार(cpm) आदि ने सभा को संबोधित कर आंदोलन के प्रति एकजुटता प्रदर्शित की.महागठबंधन सरकार को आशाओं के न्यायसंगत मांगों को पूरा करना होगा.दसियों हज़ार आशाओं के महाजुटान ने फैसला किया है कि मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी.
अब सरकार को चाहिए कि उनकी 9 सूत्री मांगों को लेकर संवाद स्थापित कर समझौता को सकारात्मक मोड़ पर लाकर बेमियादी हड़ताल को खत्म करा दें.मानदेय के रूप में पुंडुचेरी ने 10 हजार रूपए देने की घोषणा की है.उसी तरह मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा आशाओं को 6हजार मासिक मानदेय और 1लाख रुपए रिटायरमेंट पैकेज देने की घोषणा की है.अब दिल बड़ा करके महागठबंधन सरकार भी एक हजार पारितोषिक में दम नहीं को दस हजार मानदेय देने का ऐलान कर सहयोगी दल के जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को तोहफा दें.
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