आलोक कुमार
नई दिल्ली.सत्रहवीं लोकसभा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के एक मामले में सजा सुनाये जाने के मद्देनजर लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया.इसके बाद आम पार्टी कद्दावर नेता संजय सिंह को राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने पूरे मॉनसून सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया है.नेता सदन पीयूष गोयल ने इस बावत सदन में प्रस्ताव लाया जिसे ध्वनिमत से मंजूर किया गया.इसके बाद आसन ने यह फैसला किया.दोनों नेताओं का दोष मात्र यह है कि दोनों सत्ता से सवाल पूछ रहे थे.
मालूम हो कि लोकसभा जनता के प्रतिनिधियों से मिलकर बनी होती है जिन्हें वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष निर्वाचन के द्वारा चुना जाता है.संविधान में उल्लिखित सदन की अधिकतम क्षमता 552 सदस्यों की है, जिनमें 530 सदस्य राज्यों के व 20 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं और दो सदस्यों को एंग्लो-भारतीय समुदायों के प्रतिनिधित्व के लिए राष्ट्रपति द्वारा नामांकित किया जाता है; ऐसा तब किया जाता है जब राष्ट्रपति को लगता है कि उस समुदाय का सदन में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है.अब तो सदन में एंग्लो-भारतीय समुदायों के प्रतिनिधित्व नजर नहीं आते हैं,तब भी राष्ट्रपति के द्वारा एंग्लो-भारतीय समुदायों के प्रतिनिधित्व को नामांकित नहीं कर सकती है.
भारत की संसद के दो सदन हैं. लोक सभा में 545 सदस्य होते हैं, 543 सदस्यों का चयन पांच वर्षों की अवधि के लिए एकल सीट निर्वाचन क्षेत्रों से होता है और दो सदस्यों को एंग्लो-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाता था.जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने बंद कर दी है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मार्च में संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जब सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया.राहुल ने अप्रैल 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी व ललित मोदी का जिक्र करते हुए कहा था, " ताज्जुब की बात है कि सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे है." उनकी इस टिप्पणी के लिए सूरत की एक अदालत ने उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई थी.
गुजरात उच्च न्यायालय ने 7 जुलाई को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें उनकी मोदी उपनाम वाली टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी. गुजरात उच्च न्यायालय ने गांधी के खिलाफ 10 अतिरिक्त आपराधिक मानहानि शिकायतों के अस्तित्व को स्वीकार किया है. अदालत ने आगे कहा कि सत्र अदालत द्वारा जारी आदेश में इस मामले में किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.
इससे पहले मई में न्यायमूर्ति ने गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहते हुए कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.तब 29 अप्रैल को एक सुनवाई के दौरान, गांधी के वकील ने तर्क दिया था कि जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम दो साल की सजा का मतलब है कि उनका मुवक्किल अपनी लोकसभा सीट "स्थायी और अपरिवर्तनीय रूप से" खो सकता है, जो "उस व्यक्ति और जिस निर्वाचन क्षेत्र का वह प्रतिनिधित्व करता है, उसके लिए एक बहुत ही गंभीर अतिरिक्त अपरिवर्तनीय परिणाम है".
भारतीय दंड संहिता के 162 साल के अस्तित्व में मानहानि के मामले में दो साल की उच्चतम सजा कभी नहीं लगाई गई है.राहुल गांधी के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे का उद्देश्य राहुल गांधी को संसद से अयोग्य घोषित करना था, जो मुकदमे के पीछे छिपे उद्देश्यों का सुझाव देता है.
मोदी सरनेम मामले में गुजरात हाई कोर्ट से झटका मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया है। अब इस मामले में 4 अगस्त को सुनवाई होगी. राहुल गांधी कहते हैं कि वह भारत की आवाज के लिए लड़ रहे हैं और हर कीमत चुकाने को तैयार हैं.
राज्यसभा में सोमवार को मणिपुर मुद्दे को लेकर माहौल गरमाया गया.एक तरफ राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सभापति जगदीप धनखड़ और टीएमसी के डेरेक ओ’ब्रायन के बीच तीखी नोकझोंक हो गई.विपक्ष के 27 सांसदों ने नियम 267 के तहत राज्यसभा में नोटिस जमा कराए गए थे.इसके तहत ही चर्चा करने की मांग पर अड़ गए.तो दूसरी ओर सरकार नियम 176 के तहत बहस करना चाहती थी.इसी को लेकर राज्यसभा में विपक्ष और सरकार के बीच पेच फंस गया कि मणिपुर पर चर्चा किस नियम के तहत हो. क्योंकि सरकार नियम 176 के तहत बहस करना चाहती है तो विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा करने की मांग पर अड़ा हुआ है.इसी नियमों को लेकर राज्यसभा में पक्ष और विपक्ष के नोटिस जमा कराए गए थे.
सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान पहले नियम 176 के तहत मिले नोटिसों का विवरण देते हुए सांसदों और उनसे जुड़े राजनीतिक दलों के नाम पढ़े, जिनमें से ज्यादातर राजकोषीय पीठों से थे, जिसमें राजस्थान से लेकर मणिपुर तक के राज्यों में हिंसा पर अल्पकालिक चर्चा की मांग की गई थी.
उन्होंने बताया कि उन्हें नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा के लिए 11 नोटिस मिले हैं.नोटिस देने वाले सभी सदस्यों के नाम के साथ उनके दल और उनके मुद्दों का उल्लेख किया और कहा कि सभी नोटिस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है.
इस बीच मणिपुर मुद्दे पर सदन में इन दिनों हंगामा मचा रहा. इस दौरान मणिपुर मुद्दे पर सदन में विपक्ष के विरोध के दौरान आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह पर बड़ा एक्शन लिया गया. उन्हें शेष मानसून सत्र के लिए सोमवार को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. संजय सिंह के निलंबन का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्री और सदन के नेता पीयूष गोयल ने पेश किया और सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रस्ताव के लिए सदन की मंजूरी मांगी.राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संजय सिंह ने बार बार मना करने के बाद भी सदन की कार्यवाही को बाधित किया है.इसलिए आप सांसद को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया. संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई को शुरू हुआ और 11 अगस्त तक चलेगा.
बताते चले कि जगदीप धनखड़ ने पिछले हफ्ते संजय सिंह को चेतावनी देते हुए कहा था कि दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण के लिए केंद्र के अध्यादेश को बदलने के लिए प्रस्तावित विधेयक का बार-बार विरोध करने के बाद उन्हें आप सदस्य का नाम लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.आप सदस्यों से बार-बार अपनी सीट लेने का आग्रह करने के बाद जगदीप धनखड़ ने आप सदस्य को आगाह भी किया था.आप विपक्षी दलों में शामिल है और मणिपुर की स्थिति पर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान देने और मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रही है. सरकार ने कहा था कि वह मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए तैयार है.
निलंबित आप नेता संजय सिंह ने कहा कि कारगिल का योद्धा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछ रहा है. मैंने तो देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर किया मगर मेरी पत्नी के साथ ऐसी दरिंदगी क्यों हुई ? जरा सी भी संवेदना है तो उठो, जागो और मोदी सरकार से सवाल पूछो.26 दलों से निर्मित 'इंडिया' गठबंधन के नेता धरना देकर एकता का इजहार कर रहे हैं.इस समय देश तानाशाही राज्य की ओर अग्रसर है.
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