बुलडोजर पहले हमारी छाती पर चलेगा

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बुलडोजर पहले हमारी छाती पर चलेगा

आलोक कुमार

वाराणसी.प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च, 2021 को साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से 'दांडी मार्च' को हरी झंडी दिखाकर 'आजादी का अमृत महोत्सव' का उद्घाटन किया था.यह समारोह हमारी आजादी की 75वीं वर्षगांठ से 75 सप्ताह पहले शुरू हुआ और 15 अगस्त, 2023 को समाप्त होगा.आजादी का अमृत महोत्सव काल में महात्मा गांधी की विरासत को ध्वस्तीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है.

     सर्व सेवा संघ की स्थापना मार्च 1948 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई थी.काशी स्टेशन के उत्तरी छोर पर जीटी रोड से सटे रेलवे की 13 एकड़ जमीन पर विनोबा भावे के मार्गदर्शन में करीब 62 वर्ष पहले नींव रखी गई.इसका उद्देश्य महात्मा गांधी के विचारों का प्रचार-प्रसार करना था.1960 में इस जमीन पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना के प्रयास शुरू हुए.भवन का पहला हिस्सा 1961 में बना था.1962 में जय प्रकाश नारायण यहां रहे थे.

        इस बीच वाराणसी जिलाधिकारी वाराणसी की कोर्ट ने सर्व सेवा संघ की जमीन का दावा खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जमीन रेलवे की है. इसी आधार पर रेलवे प्रशासन ने संघ भवन के ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी कर दिया. इसके बाद ही सर्व सेवा संघ ने याचिका दाखिल करके जिलाधिकारी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.

          जिलाधिकारी कोर्ट के आदेश पर जीटी रोड से सटे रेलवे की 13 एकड़ जमीन पर बने सर्व सेवा संघ के भवन को तोड़ा जाएगा.इसके साथ ही संघ परिसर की जमीन को भी खाली कराया जाएगा.इसको कार्य अंजाम देने के लिए 30 जून की सुबह भारी संख्या में फोर्स आकर कार्रवाई करने वाली थी. इस जमीन पर कार्रवाई के लिए रेलवे द्वारा नोटिस जारी की जा चुकी है.

       वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ को ध्वस्त करने के विरोध में  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्व सेवा संघ पर कार्रवाई पर रोक लगा दी है.मामले को लेकर हाईकोर्ट में तीन जुलाई को सुनवाई की गई.सीजेआई के विशेष खंडपीठ के जस्टिस ऋषिकेस राय पंकज मित्तल ने वादी का पक्ष सुना.साथ ही दस्तावेज देखे. वकील ने जेपी और बिनोवा से जुड़े भवन के इतिहास से बारे में बताया.कोर्ट ने वादी का पक्ष सुनने के बाद जिला प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दिया है. 

         इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारत सर्व सेवा संघ की याचिका सोमवार को खारिज कर दी. इसके पहले सर्व सेवा संघ ने याचिका दाखिल करके जिलाधिकारी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संघ की याचिका खारिज की थी.अब सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला है.रेलवे प्रशासन के मुताबिक, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था.साफ किया था कि जमीन रेलवे की है.अब ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी. मंगलवार को आरपीएफ सहित अन्य टीमें लगाई गई थीं, लेकिन ऐन वक्त पर फैसला बदल दिया गया.यह जमीन काशी स्टेशन के विस्तार की जद में है.

       22 जुलाई को वाराणसी में सर्व सेवा संघ और गांधी विद्या संस्थान पर कब्ज़ा करने के लिए पुलिस फोर्स के आने की शर्मनाक हरकत की जानकारी सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल वरिष्ठ गांधीवादी मुहम्मद आरिफ और उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज जी से पाकर बहुत क्षोभ हुआ. 

      परिसर के गेट पर गांधीजन धरने पर बैठे हैं, पुलिस जबरदस्ती उन्हें हटाने की कोशिश की .पुलिस के पास परिसर खाली कराने के लिए किसी न्यायालय का कोई आदेश नहीं है, न ऐसा कोई आदेश सर्व सेवा संघ के वकील और पदाधिकारियों को दिखाया गया है.यह गांधी - जेपी की विरासत पर सीधा हमला किया जा रहा है.वाराणसी के साथी सर्व सेवा संघ पहुंच कर प्रतिरोध में योगदान कर रहे हैं.देश के सभी सरोकारी व्यक्ति और संगठन इस विरोध से जुड़े और सभी राष्ट्रीय नेता वाराणसी पहुंचे. इस अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ सत्याग्रह का समय आ गया है.

    सभी गांधीजनों सर्वोदयी और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आस्था रखने वाले सभी साथियों से अपील है कि इस तानाशाही का हर स्तर पर विरोध और प्रतिकार करें.इस मामले में महात्मा गांधी की विरासत को बचाने के लिए वहां रहनेवाले गांधीवादी नेताओं ने विरोध किया लेकिन प्रशासन अपनी बात पर अडिग है.उधर, पूर्व मंत्री व कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय ने भाजपा सरकार में इस एतिहासिक धरोहर को नष्ट किये जाने पर बयान जारी किया.कहाकि गांधी को न सही कम से कम जयप्रकाश नारायण की विरासत को तो बख्श देते. गौरतलब है कि काशी रेलवे स्टेशन को मल्टीमाडल स्टेशन बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है.इसके लिए रेलवे का कहना है कि उसकी 13 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है जिसे वह खाली कराएगा.

          

ऐसे दिया अंजाम 


     राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ से कब्जा हटवाने के लिए शनिवार की सुबह रेलवे पुलिस व प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची.इस दौरान लोगों ने प्रशासनिक कार्रवाई का जमकर विरोध किया और धरने पर बैठ गए.एडीएम सिटी के निर्देश पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.

     सुप्रीम कोर्ट में सर्व सेवा संघ की याचिका खारिज होने के बाद रेलवे भवन के ध्वस्तीकरण में जुट गया है. शनिवार की सुबह पुलिस व प्रशासन की टीम कार्रवाई के लिए पहुंची तो वहां रह रहे लोगों ने भवन खाली करने से इनकार कर दिया. वे कोर्ट के आदेश की कापी मांगने लगे.आरोप लगाया कि उन्हें न तो पहले कोई नोटिस भेजी गई और न ही पुलिस आदेश दिखा रही है.उन्हें भवन खाली करने का फरमान सुना दिया गया.यह तानाशाही बर्दाश्त नहीं करेंगे.

       कहा गया कि प्रशासन बिना नोटिस दिए कार्रवाई नहीं करता है. 50-50 साल से यहां रह रहे लोगों को तुरंत भवन खाली करने के लिए कहा जा रहा है. यह अन्याय है.यहां रह रहे लोगों ने त्याग किया.अपनी जमीनें बेंचकर इस संघ को बनाने में लगा दिया.आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन बीजेपी कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहा है.पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है, लेकिन जब तक हम सभी जिंदा रहेंगे, तब तक इस भवन का ध्वस्तीकरण नहीं होने देंगे. बुलडोजर पहले हमारी छाती पर चलेगा.

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