सबकी निगाहें शीर्ष न्यायपालिका पर

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आलोक कुमार

वाराणसी.सर्व सेवा संघ की ओर से देश के जाने-माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपनी दलील पेश करते हुए अहम सबूत पेश किए.सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कुछ जरूरी दस्तावेज मांगे और सुनवाई के लिए 14 जुलाई को नई तारीख तय कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सर्व सेवा संघ में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है.

 वाराणसी के सर्व सेवा संघ भवन मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.सीजेआई के विशेष खंडपीठ के जस्टिस ऋषिकेस राय पंकज मित्तल ने वादी का पक्ष सुना.साथ ही दस्तावेज देखे.वकील ने जेपी और बिनोवा से जुड़े भवन के इतिहास से बारे में बताया. कोर्ट ने वादी का पक्ष सुनने के बाद जिला प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दिया है.14 जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख दी है.

 विद्वान अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सीजेआई से स्टे का अनुरोध करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के विचारों और दर्शन का प्रचार करने के लिए आचार्य विनोबा भावे ने 1948 में सर्व सेवा संघ की स्थापना की थी और अब स्थानीय प्रशासन द्वारा इमारत को ढहाने की कोशिश की जा रही है। संगठन ने वाराणसी जिले में 12.90 एकड़ भूखंड पर बने ढांचों को गिराने के लिए उत्तर रेलवे द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था.संगठन का कहना है कि वाराणसी के ‘परगना देहात’ में उसके परिसर के लिए जमीन उसने केंद्र सरकार से 1960, 1961 और 1970 में तीन पंजीकृत सेल डीड के माध्यम से खरीदी थी.

        बता दें कि राजघाट के सर्व सेवा संघ की जमीन और भवन बचाने के लिए गांधी वादी सत्याग्रह कर रहे हैं.इसमें बिहार एकता परिषद् के कुल 15 साथी मौजूद हैं. बक्सर से आठ एवं भोजपुर से सात. अरवल के साथी किसी वजह से कल नहीं पहुँच सके.आज सर्वसेवा संघ प्रकाशन भवन की जमीन पर रेलवे की दावेदारी के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आना है. और,आज ही मुजफ्फरपुर (बिहार) ए.प.की ओर से बनारस-सत्याग्रह के समर्थन में एक-दिवसीय सत्याग्रह आहूत है.  

      बताया गया कि सर्व सेवा संघ भवन महात्मा गांधी, जय प्रकाश नारायण और संत विनोबा की विरासत है.इस संगठन की स्थापना देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की थी. महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी ने इसे बचाने को लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को लेटर लिखा.वहीं, प्रियंका गांधी ने इसको लेकर कहा था कि जनता कभी बर्दाश्त नहीं करेगी.

      विजय गोरैया ने कहा कि छेड़छाड़ अंदरुनी हो या बाहरी, गांधी-कार्य से जुड़े संस्थानों के साथ किसी तरह का छेड़छाड़ गांधी का अपमान है. गांधी-जनों व गांधी-विचार से लगाव रखने वालों को गांधी-विचार के लिए कार्यरत संस्थाओं पर नजर रखनी चाहिए और किसी भी विपरीत परिस्थिति में, जहाँ हों वहीं से अपना पुरजोर विरोध दर्ज कराना चाहिए. राजघाट, बनारस स्थित सर्वसेवा संघ के प्रकाशन भवन की परिसंपत्ति पर रेलवे व स्थानीय प्रशासन की कुदृष्टि पड़ने के बाद, पिछले 54 दिनों से गांधी-जन अपना प्रतिरोध सत्याग्रह चला रहे हैं. सत्याग्रह को मजबूती प्रदान करने के लिए जगह-जगह से साथी वहाँ पहुँच रहे हैं. लेकिन, बनारस पहुँचना संभव नहीं हैं. ऐसी परिस्थिति में मजफ्फरपुर (बिहार) ए.प. के साथियों ने बनारस-सत्याग्रह के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए कल 14 जुलाई को एकदिवसीय सत्याग्रह का कार्यक्रम तय किया है. सत्याग्रह समाप्ति के बाद रेल मंत्री भारत सरकार तथा मुख्यमंत्री, यूपी के पास एक मांगपत्र भी भेजा जायेगा.बनारस-सत्याग्रह के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने की दृष्टि से ही एकता परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष साथी प्रदीप प्रियदर्शी जी ने आज बिहार के साथियों के नाम एक अपील जारी करते हुए कहा है कि जिस जिला में संभव हो वहाँ कल एक दिन का सत्याग्रह किया जाये.                        

       साथियों से मेरा अनुरोध है कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महोदय की इच्छा के आलोक में तथा लोकतंत्र की रक्षा हेतु, अपने जिला में छोटा या बड़ा कार्यक्रम अवश्य करें. अगर कल संभव नहीं हुआ तो कल के बाद ही सही. 

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