मांग पूरी नहीं होने पर 12 जुलाई से काम बंद

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मांग पूरी नहीं होने पर 12 जुलाई से काम बंद

आलोक कुमार

पटना.प्रदेश में बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ गोपगुट/ऐक्टू  के नेतृत्व व्यापक आंदोलन की तैयारी जारी है.सबसे पहले 9 सूत्री मांगों को लेकर 22 जून को सैकड़ों  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आशा व फैसिलिटेटर ने मिल कर 12 जुलाई से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने की नोटिस अपने अपने प्रभारी को  दे दिया.इसके बाद 4 जुलाई को जिले के सिविल सर्जन के समक्ष 9 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया.इधर भाकपा माले विधायक महबूब आलम ने आंदोलनकारी आशा व फैसिलिटेटरों को आश्वस्त किया कि 10 जुलाई से चलने वाले विधानसभा में आपकी मांग को जोरदार तरीके से उठाऊंगा.

      मालूम हो कि आशा व फैसिलिटेटर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की एक महत्वपूर्ण कड़ी है. इसके कार्यान्वयन के लिए आशा का चयन, प्रशिक्षण एवं दवाई किट आपूर्ति किया जाना है.प्रत्येक 1000 की ग्रामीण आबादी पर एक आशा चयन किया जाता है.

      महिला आशा वर्कर्स (ASHA Workers) सरकार की कई स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी आम लोगों के बीच पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तहत इन सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवकों की भूमिका पहली बार 2005 में स्थापित की गई थी. आशा मुख्य रूप से विवाहित, विधवा या समुदाय के भीतर से 25 से 45 वर्ष की आयु के बीच की तलाकशुदा महिलाएं हैं. कार्यक्रम के दिशा-निर्देशों के मुताबिक कक्षा 8 तक औपचारिक शिक्षा के साथ साक्षर होना चाहिए.इन दिनों बिहार में 89,437 आशा सेवारत हैं.आशा कार्यकर्ता को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम जैसे आशा कार्यकर्ता (Asha Worker), आशा बहू (Asha Bahu) या आशा बहन आदि नामों से जाना जाता है.

   प्रदेश में आशा कार्यकर्ता के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो में महिलाओं की डिलीवरी करानें के साथ ही बच्चों का टीकाकरण कराना,  किशोरियों के साथ स्वच्छता की बैठक करना तथा बच्चे के जन्म के बाद उनके घर जाकर 42 दिनों तक उनकी देखभाल करनें का कार्य किया जाता है. 

    उन्हें गर्भावस्था के दौरान पूरी देखभाल, प्रसव की तैयारी, सुरक्षित प्रसव का महत्त्व, स्तनपान, टीकाकरण, सम्पूरक आहार, सीमित एवं सुखी परिवार की अवधारणा, बॉंझपन, गर्भपात, स्वास्थ्य प्रतिरक्षा, गर्भनिरोधक उपाय आदि के संबंध में महिलाओं/पुरुषों को प्रेरित करना तथा परामर्श देना पड़ता है.

     आशा कार्यकर्ता 24 घंटे कार्य में व्यस्त रहते हैं.उसके अनुरूप परिश्रम का फल नहीं मिलता है.बिहार जनस्वास्थ्य कर्मचारी संघ के मंत्री राजीव रंजन ने कहा कि आशा कार्यकर्ता से सभी प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी कार्य कराए जा रहे हैं.लेंकिन उन्हें मानदेय के नाम पर एक हजार रुपए पारितोषित के रूप में दी जाती है.संघ की जिला सचिव सुनीता प्रसाद ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं को दिनरात एक कर कार्य करना होता है. वह अपना घर- बार छोड़ कर दिनरात मरीजों की सेवा में लगी रहती है लेकिन उसे स्वास्थ्य कर्मी का दर्जा नहीं मिला है.                 आशा कार्यकर्ता का कहना है हमलोगों की 9 सूत्री मांगों में 1.पारितोषिक नही, मानसिक मानदेय चाहिए.2.1000 मे दम नही 10000 रूपये नियत मासिक मानदेय दिया जाय.3.आशा कार्यकर्ताओ को स्वास्थ्य कर्मचारी घोषित करना चाहिए.इस तरह का सवाल पर आशा संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर  12 जुलाई  2023 से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की योजना बनाई गई तथा पूरे बिहार मे अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जायेगा.

        समस्तीपुर में पारितोषिक राशि एक हजार से मानदेय 10 हजार महीना करने, कोरोना काल में किए गए कार्य का भुगतान करने समेत 9 सूत्री मांगों को लेकर जिले भर के आशा कार्यकर्ताओं ने सोमवार 4 जुलाई को सिविल सर्जन कार्यालय पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन का नेतूत्व आशा कार्यकर्ता संगठन की जिला सचिव सुनीता प्रसाद ने की. इस आंदोलन में बिहार चिकित्सा एवं जनस्वास्थ्य कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया.इससे पूर्व लोगो ने बिहार महासंघ स्थल से डंडा बैनर के साथ शहर में जुलूस निकाला जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए सदर अस्पताल पहुंची.बाद में एक प्रतिनिधि मंडल सिविल सर्जन से मिलकर ज्ञापन सौंपा.

     आशा कार्यकर्ताओं ने कहा की उनकी मांग पूरी नहीं की गई तो राज्यभर के आशा कार्यकर्ता अगामी 12 जुलाई से काम बंद कर आंदोलन पर चले जाएंगे.इसी तरह बिहार के  पटना, जहानाबाद, अरवल,नवादा, मुंगेर, भागलपुर, खगड़िया, अररिया, सुपौल, कटिहार,मधेपुरा, दरभंगा, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, प.चंपारण, सिवान,गोपालगंज, सीतामढ़ी,शिवहर, कैमूर, रोहतास, समस्तीपुर,मुजफ्फरपुर ,नालन्दा सहित अन्य जिलों में भी बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ गोपगुट/AICCTU  के नेतृत्व में बड़ी संख्या में आशा व  फैसिलिटेटर सिविल सर्जन के समक्ष प्रदर्शन कर हड़ताल की नोटिस दी.

       बता दें कि 'पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी ने विधानसभा में घोषणा की कि आशा कर्मियों का वेतन 6,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये किया जाएगा.बिहार की आशा कार्यकर्ता कम से कम 10 हजार रुपए महीना मानदेय देने की मांग कर रही है.

     इस बीच कटिहार जिला के बारसोई अनुमंडल स्तरीय बैठक जूही महबूबा के नेतृत्व बुलाई गई.बैठक में  फ़कीर्ण निशा, रुणा खातून, रेखा,बबिता,जरिफा, अनोखा, के नेतृत्व में हड़ताल को सफल बनाया जाएगा.बैठक से11 सदस्यीय कमेटी का निर्माण किया गया.12 जुलाई के हड़ताल को सफल करने की रणनीति बनाई गई. बैठक में महासंघ के महामंत्री प्रेमचंद कुमार सिन्हा जी भी शामिल हुए.बैठक को भाकपा माले विधायक महबूब आलम ने संबोधित करते हुए आश्वस्त किया कि 10 जुलाई से चलने वाले विधानसभा में आपकी मांग जोरदार तरीके से उठाऊंगा.


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