नारों को प्ले कार्ड में उकेर दिया

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नारों को प्ले कार्ड में उकेर दिया

आलोक कुमार

पटना.अब बिहार के जागरूक और चिंतित नागरिक मणिपुर के समर्थन में आ गए हैं. रविवार को बिहार नागरिक अधिकार मंच के बैनर तले सड़क पर उतरे और अपने हाथों में मणिपुर के समर्थन में लिखित नारों को प्ले कार्ड में उकेर दिया.

         मणिपुर राज्य हिंसक वारदातों से अशांत हो उठा है. 03 मई से लगातार आगजनी और उग्रवादी हरकतों से लोगों का जीना हराम कर दिए हैं.इस कार्यक्रम की संयोजक डोरोथी फर्नांडीस ने कहा कि पिछले 53 दिनों से मणिपुर जल रहा है.इस ओर मौन कोई विकल्प नहीं है.यदि मानवाधिकारों को लेकर चिंतित रहने वाले नागरिक मणिपुर की महान त्रासदी पर चुप रहे तो कहीं न कहीं यह समझा जाएगा कि मानवता के इस घोर उल्लंघन को अपनी सहमति दे रहे है. यहां पर बहुमूल्य जिंदगियां खो गई, संपत्तियां लूट ली गई है, और भय दिन का क्रम बन गया है. मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन की ऐसी स्थिति में, सत्ता में बैठे लोगों ने कुछ नहीं बोला है. इसलिए हमलोग एक मौन मार्च और अंतर -धार्मिक सार्वजनिक प्रार्थना आयोजित किए.इस मौन मार्च के माध्यम से अपनी बात रख रहे हैं.हम भारत सरकार और सभी राज्य सरकारों से हस्तक्षेप करने और शांति ,सद्भाव और मानवता बहाल करने का आग्रह करते हैं.

      रविवार को 54 वें दिन बिहार के जागरूक और चिंतित नागरिकों ने मणिपुर में जारी हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ अपना विरोध प्रकट करने के एक मौन मार्च और अंतर -धार्मिक सार्वजनिक प्रार्थना आयोजित किए.बिहार की राजधानी पटना के डाक बंगला चौराहा पर समाज के सभी वर्गों से लगभग हजारों नागरिक एकजुटता के साथ एकत्र हुए.बिहार नागरिक अधिकार मंच के बैनर तले, मणिपुर पर ध्यान आकर्षित करने के लिए आगे आए. जुलूस में विभिन्न सामाजिक संगठनों और समूहों के कई जाने-माने चेहरे शामिल हुए.

         पूर्व सांसद वीणा शाही, आप से उमा दफ्तर, राजद से मुकंुद सिंह,कांग्रेस से आनंद माधव और जदयू से अंजुम आरा के साथ फोरम ऑफ रिलीजियस फॉर जस्टिस एंड पीस,राइट टू फूड कैंपेन,लोकतांत्रिक जन पहल, कोशिश से जुड़े नागरिकों ने भाग लिया.एक्शन एड,पीयूसीएल,मेन,पुंश,अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद,बीडब्ल्यूबीएस,बिहार दलित विकास समिति, मंथन,लोक मंच, एक्सआईएसआर और विवा.जब जूलूस बुद्ध स्मृति पार्क पहुंचा तो सिख, हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और बोध समुदायों के धार्मिक नेताओं ने एक छोटी अंतर-धार्मिक सेवा के दौरान शांति और सद्भाव के लिए प्रार्थना की.कैंडल लाइट किए.पटना महाधर्मप्रांत के आर्चबिशप सेबेस्टियन कल्लूपुरा ने सद्भाव प्रार्थना की अगुवाई की. इस अवसर पर झारखंड विधानसभा के एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि विधायक ग्लेन गोलुस्टीन, महाधर्मप्रांत के प्रवक्ता फादर जेम्स,फादर अमलराज, सुशील लोबो, जेवियर लौरेंस,फादर एलेक्स जेवियर आदि भी उपस्थित रहे.

       अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद के बिहार चैप्टर के प्रतिनिधि एसके लौरेंस ने समस्या के शीघ्र समाधान का आह्वान किया. मैं माननीय प्रधानमंत्री से कहना चाहूंगा कि पचास दिनों से मणिपुर जल रहा है,स्थिति नियंत्रण से बाहर है,हजारों जिंदगियां बर्बाद हो गई है, घर नष्ट हो गए हैं,लोग मारे जा रहे है और फिर भी आप चुप हैं!

    एक कार्यकर्ता प्रकाश लुइस ने कहा कि मणिपुर में सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान के प्रयोग और पूर्वाेत्तर में इसी तरह के उल्लंघन का प्रयोग करने की उसकी भयावह योजना ने संविधान के बुनियादी सिद्धातों-लोकतंत्र,समाजवाद,नागरिक अधिकार,सभी के साथ समान व्यवहार पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिये हैं.

समाचार रिपोर्टों के अनुसार 5 जून तक लगभग 3413 घर नष्ट हो गए थे,105 लोग मारे गए थे और 40000 से अधिक विस्थापित हुए थे.कुछ नवीनतम अनुमान है कि 55000 लोग विस्थापित हुए हैं.पूरे के पूरे गांव जमींदोज कर दिए गए हैं. हिंसा अब भी जारी है.मणिपुर में हिंसा से लोगों में गुस्सा है. 3 हफ्ते से राज्य में सब कुछ ठप पड़ा है. बाजार न खुलने के चलते लोगों को रोजमर्रा की चीजें नहीं मिल रही हैं. अगर मिल भी रही है, तो बहुत महंगी. हालत ये हैं कि आलू 80 रूपए किलो और पेट्रोल 150 रूपए लीटर पर पहुंच गया है. कर्फ्यू के बाद भी लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. गुस्साई महिलाएं हर आने जाने वाली गाड़ियों को रोक रही हैं. 

     जुलूस में शामिल हुए मुंगेर के 28 वर्षीय स्वयंसेवक प्राणेश चंदन सिंह ने कहा,अगर सभी भारतीय हमारे भाई-बहन है,तो हमें नफरत की राजनीति के प्रति जीवित रहना होगा जो हिंसा का कारण बन रही है और हमारी मणिपुरी बहनों को प्रभावित कर रही है.

सामाजिक कार्यकर्ता और राजद सदस्य मुकुंद सिंह ने कहा कि मणिपुर में नफरत की जो राजनीतिक भड़काई गई है,वह पूरे देश को तबाह करने के लिए फैल जाएगी.यदि नफरत फैलाते हैं, तो आपके पास कुछ नहीं बचेगा,इसलिए हमें नफरत का मुकाबला प्यार से करना चाहिए.इस जुलूस में शामिल होने का यही हमारा कारण है.

सामाजिक कार्यकर्ता और जदयू की राजनीतिक कार्यकर्ता अंजुम आरा ने मणिपुर में स्थिति को संभालने में केंद्र सरकार की अक्षमता की ओर इशारा किया. उन्होंने मणिपुर में जिस तरह से सांप्रदायिक तत्व स्थिति का फायदा उठा रहे हैं, उसकी तीखी आलोचना की.उन्होंने केंद्र से हस्तक्षेप करने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने की अपील की.

त्रिशूर के मेट्रोपॉलिटन प्रमुख आर्चबिशप मार एंड्रयूज थज़थ  22 जनवरी 2007 से आर्चबिशप है. उनको बेंगलुरु के सेंट जॉन्स नेशनल एकेडमी ऑफ हेल्थ साइंसेज में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की 35वीं आम सभा की बैठक में 10 नवंबर 2022 को सीबीसीआई नए अध्यक्ष चुना गया.

         सीबीसीआई के अध्यक्ष आर्चबिशप मार एंड्रयूज थज़थ  ने  भारत में कैथोलिक चर्च के सभी आर्चबिशप, बिशप,पुरोहित, डीकन, धार्मिक,कैटेचिस्ट और भक्त लोगों के नाम से पत्र लिखकर कहा है कि मैं मणिपुर राज्य की मौजूदा स्थिति से बेहद दुखी हैं. 3 मई, 2023 से इस क्षेत्र में अभूतपूर्व हिंसा और अस्थिरता का बोलबाला है. इंफाल के आर्चबिशप से प्राप्त जानकारी के अनुसार, संघर्ष शुरू होने के बाद से हिंसा और आगजनी लगातार जारी है, विशेष रूप से क्षेत्र की घाटी के बाहरी इलाकों में; घरों और गांवों को जला दिया गया या पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया, कीमती सामान चुरा लिया गया और लूट लिया गया, पूजा स्थलों को अपवित्र कर दिया गया और आग लगा दी गई. 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं, बेघर हो गए हैं और विभिन्न राहत शिविरों और निजी आवासों में पीड़ा झेल रहे हैं. कई लोग शहर छोड़ चुके हैं. बहुत से लोग इंफाल और राज्य से भागकर सुरक्षित इलाकों की ओर चले गए हैं, जिनमें निकटवर्ती राज्य मिजोरम, अन्य उत्तर-पूर्वी राज्य और प्रमुख शहर भी शामिल हैं. इस हिंसा ने लगभग 100 लोगों की जान ले ली.

        इसे ध्यान में रखते हुए, सीबीसीआई पदाधिकारियों ने रविवार, 25 जून, 2023 को सभी को सूचित करने का निर्णय लिया कि अगले रविवार, 2 जुलाई, 2023 को मणिपुर में पीड़ित लोगों के लिए शांति और प्रार्थना के लिए रविवार के रूप में मनाया जाएगा.इस पहल को शायद पूरे देश में अपनाया जा सकता है, हमारे पैरिश, संस्थान और धार्मिक समुदाय इस दिन को सार्थक रूप से मनाएंगे.इस दिन को और अधिक महत्वपूर्ण कैसे बनाया जाए, इस पर कुछ सुझाव दिए गए हैं:

 रविवार की धर्मविधी के विश्वासियों की प्रार्थनाओं में शांति और सद्भाव के लिए विशेष इरादे जोड़ें और, यदि संभव हो, तो मणिपुर के पीड़ित लोगों के लिए हस्तक्षेप करने के लिए, प्रत्येक पल्ली में यूचरिस्टिक भगवान के सामने एक घंटे की आराधना की व्यवस्था करें.


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